शाहिद अंसारी
मुबंई:मुबंई के मुलुंड पुलिस थाने में फ़र्ज़ी रेप केस मामले में आरोपी को पुलिस हिरासत में जबरन वायाग्रा की गोली खिला कर उसका स्पर्म निकाला गया।मामले की शिकायत पीड़ित ने ह्युमन राइट्स कमीशन से की जिसके बाद कमीशन के चेयरमैन जस्टिस बन्नूरमठ ने मामले को संज्ञान मे लेते हुए इसकी रिपोर्ट मंगाई है।
दर असल पेशे से डॉक्टर अर्जुन कटारिया जिनका मुबंई के मुलुंड पुलिस थाने के अंतर्गत क्लीनिक है उनके ऊपर एक नाबालिग युवती ने रेप का आरोप लगाया।पुलिस बिना जांच किए ही आरोपी की क्लीनिक एलाज करने के बहाने पहुंचे।और पूछताछ का नाटक कर आरोपी को पुलिस थाने लाया और पोस्को ऐक्ट के तहेत गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ़्तारी के बाद कोर्ट ने जांच के डॉक्टर को पुलिस हिरासत मे भेजा दिया।16 सिंतबर 2014 को रात 10 बजे जांच अधिकारी रावसाहेब जाधव ने डॉक्टर को अपनी केबिन मे बुलाया और कहा कि “ कल पुलिस हिरासत खत्म हो जाएगी तुम्हारा वीर्य देना होगा ” जबकि आरोपी का पहले ही खून का नमूना लिया जाचुका था।जब आरोपी ने कहा कि उनकी मानसिक स्तिथि सही नहीं है तो रावसाहेब जाधव ने कहा कि “पानी निकालने के लिए बाई दूं क्या” और धमकी देनी शुरू की और जबरन वायाग्रा की गोली खिलाई और कहा “अब एक घंटे में पानी निकालने के लिए फिट रहना ” उसके बाद मुलुंड पुलिस थाने ने आरोपी का वीर्य निकालने के लिए मुलुंड जनरल हास्पिटल ले गए।
पुलिस का वसूली खेल
इसके बाद शुरू हुआ पुलिस का वसूली खेल जांच अधिकारी रावसाहेब जाधव ने डॉक्टर के घर के लैंडलाइन नंबर पर अपने फोन नंबर 8108004020 से फोन कर तथाकथित आरोपी की पत्नी को रात में पुलिस थाने बुलाया और कहा कि “ तुम्हारे पती का वीर्य हमारे पास आचुका है अब हम इसे पीड़ित के कपड़े पर फेक कर फर्ज़ी सुबूत तय्यार करेंगे और फिर उसे 10 साल की जेल होगी अगर यह सब नहीं करना है तो उसे 50 हज़ार रूपए मुझे और सीनियर पीआई प्रकाश मुनसुख को 10 हज़ार और एसीपी मारूती अव्हाड को 10 हज़ार और रायटर को 5 हज़ार रूपए दो ” जिसके बाद आरोपी की पत्नी ने अपने रिश्तेदारों से 75 हज़ार रूपए एक्टठे कर के रात 1 बजे पुलिस थाने में जांच अधिकारी रावसाहेब जाधव को दे दिए।
वसूली करने वालों का हुआ स्टिंग ऑपरेशन
दरअसल डाक्टर की गिरफ़्तारी के दूसरे ही दिन पीड़िता की मां और उसके रिश्तेदार ने डाक्टर के घर जाकर उनकी पत्नी से पैसों की मांग की और कहा की पैसे दोगे तो हम केस वापस ले लेंगे।हमने पैसों के लिए झूठा केस दर्ज करवाया है हमें पुलिस ने पहले ज़ीरो FIR करने के लिए कहा है।और इसकी रिकार्डिंग डाक्टर की पत्नी ने कर ली यह जानकारी जब जांच अधिकारी को दी गई तो उन्होंने कोई ध्यान ही नहीं दिया।इसकी जानकारी डॉक्टर की पत्नी ने डीसीपी विनय राठौर को 15 बार दी लेकिन डीसीपी राठौर ने भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की।
11 दिसंबर 2014 को डांक्टर को ज़मानात मिली जिसके बाद इसी जांच अधिकारी ने डाक्टर के खिलाफ़ 2 फ़र्जी एनसी मुलुंड पुलिस थाने में दर्ज करवाई और 2 एनसी भांडुप थाने में दर्ज कराई।और एनसी की कॉपी लेकर सेशन कोर्ट में ज़मानत कैंसल कराने के लिए आवेदन किया।जिसके बाद सेशन कोर्ट ने इस जांच अधिकारी की भूमिका को शक के घेरे मे लेते हुए इस तरह से फ़र्जी एनसी को लेकर जांच अधिकारी की भूमिका की जांच करने के आदेश दिए।
मामले की सच्चाई
इस मामले की सच्चाई कुछ इस तरह से है साल 2009 में डॉक्टर अर्जुन कटारिया ने अपना अस्पताल मुलुंड में बनाया उस दौरान उसी इलाके के दिलीप पाटिल नाम के एक गुंडे ने एक लाख रूपए की वसूली की मांग की।जिसके बाद डाक्टर ने साल 2009 मे ई-मेल द्वारा तत्कालीन सीपी मुंबई से शिकायत की जिसके बाद इस झोलर के खिलाफ़ मुलुंड पुलिस थाने में FIR दर्ज कर इसे गिरफ्तार किया गया।मामला कोर्ट में चल रहा है और जल्द ही इसका फैसला आने वाला है।
डॉक्टर के अस्पताल में प्रमिला नाम की नौकरानी थी जिसे डाक्टर ने 2012 में काम में लापरवाही के चलते नौकरी से निकाल दिया था।
इस नौकरानी के घर नाबालिग पीड़िता रहा करती थी क्योंकि पीड़ित की मां बार डांसर थी और उसने दूसरी शादी की थी।इसलिए पीड़ित को प्रमिला नाम की इस नौकरानी के घर पर रहने के लिए छोड़ रखा था।
नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद नौकरानी ने डॉक्टर को फोन कर धमकी देने लगी नौकरानी ने कहा कि अगर नौकरी पर वापस नहीं रखा तो मैं पुलिस मे शिकायत दर्ज कराऊंगी कि तुमने मेरे घर मे मौजूद नाबालिग लड़की का फोटो खींचा है।ताज्जुब इस बात का पीड़ता ने पुलिस को जो तारीख़ बताई उस तारीख के हास्पिटल के सीसीटीवी और मरीज़ों की लिस्ट तक चेक किए गए।जहां पीड़िता के द्वारा लगाए गए आरोप साबित नहीं होसके क्योंकि पीड़िता वहां गई ही नहीं थी।जिसके बाद पीड़ित ने एक नया नंबर लिया और डॉक्टर को फोन कर यह कहा कि आपके खिलाफ़ कुछ लोग पुलिस मे झूटी शिकायत दर्ज करवान वाले है।कई बार बात करने के बाद पीड़ित ने कहा कि आप मिल लीजिए ताकि मिलकर बात करने में आपके खिलाफ़ फ़र्ज़ी शिकाय ना की जासके।उस दौरान पीड़िता की बताए हुई जगह पर डाक्टर अपनी कार लेकर पहुंच गए और पीड़ित के साथ दूसरी जगह जाने लगे जहां पर डाक्टर की नौकरानी और दूसरे लोग मौजूद थे।वह लोग लगातार डाक्टर के फोन पर संपर्क बनाए हुए थे।जैसे ही डाक्टर ने देखा कि नौकरानी जिसके पास चलना है वह इधर उधर की बात कर रहे तो डाक्टर ने मिलने से इंकार किया।उसी दौरान नौकरानी के दामाद ने पीड़िता के फोन पर फोन किया और डाक्टर से बात की कहा हम तुम्हारी गाड़ी के पीछे हैं और अब पांच लाख रूपए दो नहीं तो नाबालिग के साथ रेप केस में शिकायत दर्ज कराई जाएगी।डाक्टर ने पैसे देने से जब इंकार किया और नाबालिग पीड़िता को उसी जगह छोड़ा जहां से उसे गाड़ी मे बिठाया था।जिसके बाद इन लोगों ने थाने के कपूर वाड़ी पुलिस थाने मे जीरो FIR दर्ज करवाई बाद मे मुलुंड पुलिस थाने में केस को ट्रांस्फर किया गया।
दर असल डॉक्टर ने जब अपनी नौकरानी को काम से निकाला तो उस दौरान नौकरानी ने और दिलीपी पाटिल (डॉक्टर ने साल 2009 में जिसके खिलाफ़ वसूली की शाकायत दर्ज कराई थी) उससे मिली।उसके बाद नाबालिग लड़की और नौकरानी के दामाद इस पूरी गैंग ने मिलकर फ़र्जी रेप केस की साज़िश रची।इस साज़िश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जांच अधिकारी रावसाहेब जाधव ने अहम भूमिका निभाई।क्योंकि इस गैंग के एक स्टिंग ऑपरेशन में इस गैंग ने कहा कि हमें इस जांच अधिकारी ने कहा कि पहले FIR जीरो दाखिल कराओ इसके बाद केस को ट्रांस्फर कर हम मुलुंड पुलिस थाने में दर्ज करेंगे ताकि इसमे पुलिस की पकड़ ना हो।
पीड़िता का बैकग्राउंड
पीड़िता की मां बार डांसर है उसने दूसरी शादी कर के अपनी नाबालिग बेटी (पीड़िता) को उस नौकरानी के पास रखा है जिसे डॉक्टर ने काम से निकाल दिया था।पीड़िता की मां ने इससे पहले बाबू राव जनके और जीवन जाधव नाम के एक प्रोफेसर के खिलाफ़ छेड़छाड़ का मामले में भांडुप पुलिस थाने में ज़ीरो FIR दर्ज कराई जिसे विक्रोली पुलिस थाने ट्रांस्फर किया गया।बिलकुल इसी तर्ज़ पर इसकी बेटी मतलब डॉक्टर के फ़र्ज़ी केस में जो नाबालिग पीड़िता है उसने मुलुंड पुलिस थाने में रफीक मुहम्मद शेख़ के खिलाफ़ रेप की ही ज़ीरो Fir दर्ज करा कर भांडुप पुलिस थाने में केस ट्रांस्फर करवाय़ा।
मेडिकल रिपोर्ट में भी कोई सुबूत नहीं
पुलिस के ज़रिए जो मेडिकल रिपोर्ट निकाली गई उसमें रेप का कोई सुबूत नहीं।घटना के दौरान पीड़िता ने उसका फोन 52 मिनट तक चलता रहा जिसे इस गैंग ने गायब करदिया।जिसे पुलिस आजतक बरामद नही कर सकी।उसपर सोने पर सोहागा यह कि जांच अधिकारी नें डॉक्टर की गाड़ी में दो पैक कंडोम रखा ताकि डाक्टर के खिलाफ़ कुछ मनगढ़त सुबूत तय्यार कर सके।
इस बारे में जब जांच अधिकारी रावसाहेब जाधव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कानूनी है इसलिए मैं उसे पूरी कर रहा था।जब उनसे 75 हज़ार रूपए वसूली की बात की गई तो रावसाहब जाधव ने कहा कि उन्होंने इसकी शिकायत क्यों नही की।हालांकि इस मामले शिकायत तत्कालीन ज्वाइंट सीपी लॉ ऐंड ऑर्डर सदानंद दाते से की उन्होंने कार्रवाई करने का आदेश दिया।लेकिन चूंकि यह जांच अधिकारी खुद उसी गैंग का एक हिस्सा होने के नाते बड़ी ही ढिटाई से जवाब दिया कि जो लिखना है लिख दो।
दरअसल इस गैंग में इस तरह के पुलिस कर्मियों की मिलीभगत से फ़र्ज़ी रेप केस दर्ज कराए जाते हैं और सबसे पहले रेप केस की ज़ीरो FIR दर्ज कराई जाती है।ताकि संबंधित पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई ना की जासके।ताज्जुब इस बात का इस मामले के स्टिंग की गई वीडियो को ज़ोनल डीसीपी विनय राठौर को कई बार सौंपी गई है लेकिन।लेकिन अबतक इस मामले मे किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि इस वसूली के मामले में कोर्ट ने धारा 156 (3) के तहेत जांच के आदेश दिए।लेकिन वसूली के मामले मे कार्रवाई तो दूर की बात डीसीपी राठौर नें कहा कि आप लोग पीड़िता से मिलकर अपना अपने मामले का निपटारा करलो।हमने उनका भी पक्ष भी जानने के लिए उनको फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नही उठाया।
सीनियर वकील एजाज़ नक़वी ने कहा कि इस तरह वायाग्रा की गोली खिला कर किसी से जबरन उसका स्पर्म लेना यह गैर कानूनी है ऐसे में उस जांच अधिकारी के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 328 के तहेत मामला दर्ज होसकता है।इस मामले में भी वरिष्ठ अधिकारियों को गंभीरता से जांच कर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
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3 Comments
Akira
We need more people like you to highlight such crimes which don’t find sunlight so easily and go around internally ?? keep up the great work
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