शाहिद अंसारी
मुंबई:पुलिस हो या मीडिया हर एक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने और राज्य सरकार ने यह आदेश जारी किया है कि नाबालिग आरोपियों की पहचान किसी भी तरह से ज़ाहिर ना की जाए लेकिन इस आदेश की खुले आम धज्जियां नागपुर पुलिस उड़ा रही है।
दर असल नागपुर पुलिस की द्वारा उनकी वेबसाइट पर आरोपयों की शिनाख्त के तौर पर उनके केस की तफ़्सील और उनके फ़ोटो लोड किए गए हैं ताकि जंता को उन आरोपियों के बारे में जानकारी हो।लेकिन जंता को जागरित करने के चक्कर मे नागपुर पुलिस ने कई नाबालिग आरोपियों की फ़ोटो और नाम पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड की हैं।वेबसाइट के मुख्य पेज पर क्रिमनल फ़ोटोग्राफ्स में अगर आप जाकर देखेंगे तो आपको यह सारी फोटो आपकी स्क्रीन पर दिखाई देगी।
इसी में पेज नंबर एक पर गुनाह क्रमांक 373/12 के तहेत चोरी के एक नाबालिग आरोपी की फोटो और उसका नाम और पता अपलोड किया गया है इसकी उम्र 17 साल है।केवल यही नहीं इसके अलावा भी पुलिस ने 6 आरोपियों की उम्र 18 साल लिखी है।इससे ज़ाहिर होता है कि जिनकी उम्र 18 साल पूरी पूरी लिखी गई है वह भी 18 साल के पूरे नहीं हुए उनकी भी गिंती नाबालिग आरोपियों की फहरिस्त मे है।लेकिन नागपुर पुलिस की इस वेबसाईट पर बालिग और नाबालिग दोनों आरोपियों की फ़ोटो अपलोड की गई है।
हालांकि साल भर पहले ही राज्य सरकार ने बालिग,नाबालिग हर आरोपियों की पहचान और उन्हें मीडिया के सामने पेश करने से मना किया और उसका तर्क यह दिया कि उससे केस पर असर पड़ता है।जिसके बाद पुलिस थानों ने इस आदेश का पालन करते हुए बालिग आरोपियों के भी फोटो मीडिया को देना बंद किया।लेकिन नागपुर पुलिस की वेबसाइट पर इस तरह से नाबालिग आरोपियों के फ़ोटो अपलोड कर पुलिस उन सारे नियमों के मज़ाक उड़ा रही है।जो कि राज्य सरकार और कोर्ट के ज़रिए जारी किए गए हैं।
अपराधिक मामलों के वकील एजाज़ नक़वी ने कहा कि इस तरह से अगर पुलिस नाबालिग आरोपियो की पहचान अपनी वेबसाइट पर देकर लोगों को जागरित करने की कोशिश करती है तो यह खुद अपराध है सुप्रीम कोर्ट और दामिनी मामलों के बाद नाबालिग आरोपियों या अपराधियों के बारे मे सख़्त क़ानून बनाए गए हैं और यह फ़रमान जारी किए गए कि नाबालिग आरोपियों की पहचान सार्वजनिक ना की जाए।अब अगर इस फ़रमान पर अमल खुद पुलिस नहीं करती तो दूसरी एजेंसिया कैसे करेंगी।नक़वी ने यह भी कहा कि इस तर से खुद आरोपी इसके ख़िलाफ ह्युमन राइट्स में शिकायत कर सकता है या तो कोर्ट में भी इस तरह से शिनाख़्त ज़ाहिर करने को लेकर वह शिकायत कर सकता है।
आम तौर पर नाबालिग की पहचान इसलिए भी ज़ाहिर नहीं की जाती कि उसे क़ानून ने खुद सुधरने का मौका दिया है इसलिए उनके लिए बाल सुधार गृह बनाए गए ताकि नाबालिग़ आरोपियों को इस जगह भेज कर उन्हें सुधारा जा सके।लेकिन जिस प्रकार से उनकी शिनाख़्त वेबसाइट पर की गई है उससे यहीं ज़ाहिर होता है कि पुलिस के लिए आरोपियों में बालिग और नाबालिग़ में कोई फ़र्क नज़र नहीं आता।
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