Bombay Leaks Desk
गुजरात : पत्रकार शाहिद अंसारी पर आज़ाद मैदान दंगों के मुख्य आरोपी तथाकथित स्वंय घोषित धर्मधुरंधर तोड़ु-ए-नागपाड़ा मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली के ज़रिए दर्ज करवाई गई झूटी एफआईआर प्रकरण मामले की वकालत करने के लिए नागपाड़ा पुलिस प्रेस कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया के समक्ष पेश हुई।लेकिन कॉउंसिल ने बंगाली की वकालत करने वाली नागपाड़ा पुलिस की एक न मानी।
शाहिद अंसारी और उनके सहयोगी शौकत अली बेडगिरी ने अपना पक्ष कॉउंसिल के सामने रखते हुए पुलिस और बंगाली बाबा के दरमियान हुई साठगांठ के बारे में बताया और यह भी बताया कि बंगाली नागपाड़ा पुलिस थाने में धार्मिक भावना के झूटे मामले दर्ज कराने में माहिर है और इसने पुलिस का सहारा लेकर अंसारी के खिलाफ़ झूटा मामला दर्ज कराया है।काउंसिल ने अंसारी के इस पक्ष को लेकर गंभीरता दिखाई और यह माना कि अंसारी के विरुद्ध जो मामला दर्ज किया गया है वह बोगस है उन्होंने नागपाड़ा पुलिस से ख़बर को पढ़ कर सुनाने और उस पर किस तरह से धार्मिक भावना आहत करने का मामला दर्ज होता है यह पूछा जिसके बाद नागपाड़ा पुलिस यह बताने में असमर्थ रही।
इस तरह से बंगाली बाबा के भक्त नागपाड़ा पुलिस थाने के दबंग सीनियर पीआई संजय बस्वत को फिर से मुंह की खानी पड़ी क्योंकि कॉउंसिल में वह तो खुद नहीं आए लेकिन अपने द्वारा तहरीर भेज कर कॉउंसिल के सामने यह साबित करने की कोशिश की उन्होंने जो किया है सही किया है लेकिन कॉउंसिल के सामने बस्वत का यह भ्रम उसी तरह से टूट गया जिस तरह से मुंबई हाईकोर्ट के सामने टूटा था।नागपाड़ा पुलिस ने बंगाली को लेकर कॉउंसिल के सामने बंगाली की भूमिका पेश करते हुए बताया कि बंगाली बहुत बड़े धर्मधुंरधर और तोड़ु-ए-नागपाड़ा हैं जिनपर अंसारी ने ख़बर लिखी है।इस पर काउंसिल के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के रिटाएर्ड चीफ़ जस्टिस माननीय सी. के. प्रसाद ने पुलिस की करतूतों आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अंसारी उनकी करतूतों के बारे में लिखा है नाकि किसी धर्म या जाती या समुदाय को लेकर ख़बर लिखी है।
काउसिंल की ओर से तकरीबन 9 सदस्यों ने जिनमें इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन प्रमुख एसएन सिन्हा भी मौजूद थे उन्होंने नागपाड़ा पुलिस की हरकत को मिसयूज़ ऑफ़ पुलिस पॉवर की संज्ञा देते हुए आड़े हाथों लिया और सवालों की बौछार करते हुए नागपाड़ा पुलिस को आईपीसी की धारा 295 A और 153 A और 120 B की धारा कैसे लगाई इसके बारे में जवाब मांगा लेकिन पुलिस किसी भी तरह का जवाब देने में असमर्थ और लाचार रही।
काउंसिल ने आगे बढ़ते हुए पुलिस की जांच को लेकर भी सवाल उठाया कि आखिर इतना समय बीत जाने के बाद भी जांच पूरी क्यों नहीं हुई इस बारे में अब तक क्या जांच की गई उन्होंने पुलिस से इस बारे में स्टेशन डायरी मांगी जो कि नागपाड़ा और मुंब्रा पुलिस दोनों ने दिखाने में लाचारी ज़ाहिर की।कॉउंसिल पुलिस के रवय्ये को देखते हुए इस नतीजे पर पहुंची कि पुलिस ने सोची समझी साज़िश के तहेत पत्रकार शाहिद अंसारी के खिलाफ़ मामला दर्ज किया है।इस मामले को लेकर जल्द ही कॉउसंलि ने अपने फैसले में महाराष्ट्र डीजी और मुंबई पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी करने की बात कही।
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