मुंबई: मुंबई पुलिस की लापरवाही का मामला एक बार फिर सामने आया है । सर जेजे मार्ग पुलिस स्टेशन ने एक मामले में पूछताछ के लिए जिन 4 लोगों को समन भेजा है उनमें से दो की मौत हो चुकी है। मतलब शिकायत मिलने के बाद तहकीकात कर समन भेजने की प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया। सर जेजे मार्ग पुलिस स्टेशन में राजू सिकंदर उर्फ राजू पुलिस के जरिए एक फर्जी शिकायत की गई जिसमें पुलिस इंस्पेकटर उमेश कदम ने फौरन 4 लोगों को समन भेज पुलिस थाने तलब किया। समन मिलने के बाद पता चला कि जिस फर्जी शिकायत को लेकर उमेश कदम नें समन भेजा उनमे दो लोगों की मौत होगई मामला सामने आने के बाद उमेश कदम को 40 बार फोन किया गया लेकिन मामले से बचने के लिए उमेश कदम ने एक बार भी फोन नही उठाया ।
मामला यह है कि जेजे मार्ग पुलिस में सिकंदर सुलेमान उर्फ राजू पुलिस ने शिकायत की कि उसकी चोर बाजार में दुकान है और उसने वर्ष 2011 में चार लोगों ईस्माइल गफूर सारंग, शौकत सारंग, लियाकत अली सारंग और इब्राहिम सारंग को 2 करोड़ रुपये नकद दिए ताकि वह उनकी मझगांव स्थित प्रॉपर्टी को खरीद सके। शिकायत में उसने अपने इस आरोप के समर्थन में एक गवाह अलताफ युसुफ लकड़ावाला को खड़ा किया।
सिकंदर का कहना है कि इन चारों ने अपनी प्रॉपर्टी सिकंदर को देने के बजाय एमआर रहमान नाम के इंजीनियर को बेच दी और इससे सिकंदर को 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
शिकायत मिलने पर जेजे मार्ग पुलिस ने इन चारों को समन भेजा। लेकिन हैरानी तब हुई कि इन चारों में से दो की मौत पहले ही हो चुकी है। पुलिस ने शिकायत तुरंत मिलने के बाद अपने स्तर पर कोई तहकीकात तक नहीं की और सीधे ही इन चारों को समन भेज दिए। इनमें से जिन दो की मौत हो चुकी है वह हैं ईस्माइल सारंग और इब्राहिम सारंग। ईस्माइल की मौत जनवरी, 2015 और इब्राहिम की मौत 2006 में ही हो चुकी है। ‘बाम्बें लीक्स’ के पास इनकी मृत्यु के सर्टिफिकेट मौजूद हैं।
जेजे मार्ग पुलिस ने जिनको समन भेजा है उनमें इन चारों को इंसपेक्टर उमेश कदम से मिलने को कहा गया है और उसका फोन नंबर दिया गया है। आमतौर पर समन में संबंधित जांच अधिकारी का फोन नंबर नहीं होता। मामले को पूर्व आईपीएस अधिकारी वाईपी सिंह ने कहा कि बिना एफआईआर दर्ज किए पुलिस किसी को भी नोटिस नहीं दे सकती और इस तरह के मामले सिविल होते हैं पुलिस का यह काम नहीं है कि किसी की प्रापर्टी किसी को दिलाना इस तरह की हरकत करने वाले पुलिस कर्मी के खिलाफ डिपार्टमेंटल जांच कर सीनीयर आफीसरों के जरिए मामले की सच्चाई का पता लगाना चाहिए
यह एक रैकेट:
जानकारों का कहना है कि भ्रष्ट पुलिस और बदमाशों का एक गिरोह है जो झूठी शिकायतें कर झूठे गवाह खड़े करता है और फिर भोले-भाले नागरिकों पर आरोप लगाते हुए उन्हें समन भेजते हैं। आम आदमी तो बिचारा समन आते ही बदनामी के डर से पुलिस के साथ तोडपानी करके मामला निपटाता है और इस रैकेट में इन भ्रष्ट लोगों की चांदी हो जाती है। और शरीफ आदमी अपनी इज्जत और पुलिस की जिल्लत से बचने के लिए अपना मुंह बंद रखता है
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