शाहिद अंसारी
मुबंई: आईपीएस पोस्टिंग गैंग के पकड़े जाने के बाद जुगाड़ू पोस्टिंग वाले अधिकारियों की हालत खराब हो चुकी थी क्योंकि वह भी जांच के दायरे में आचुके थे ऐसे में दबंग आईपीएस अधिकारी आर.डी शिंदे ने जुगाड़ और जैकपॉट लगाने के लिए हर उस दहलीज़ पर दस्तक दे दी जहां से उन्हें गडचिरोली से मुंबई तबादले की उम्मीद नज़र आई।क्योंकि उन्हें पता था कि वह जिस प्रकार से मेन स्ट्रीम मे रहकर मलाई खाते हुए किसी के भी खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी जिंदगी तबाह करने में वह माहिर हैं यह काम वह गडचिरोली में रहकर नहीं कर सकते थे यह सब करना वहां आसान नहीं था।इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र का होने का फाएदा उठाते हुए एनसीपी पार्टी के एक ऐसे असर-व-रुसूख रखने वाले नेता से पव्वा लगाने में कामयाब हो गए जिसके बोलने पर राज्य के मुख्यमंत्री ने शिंदे को गडचिरोली से मुंबई तबादला कर दिया।केंद्र में रहने वाले एनसीपी पार्टी के इस कद्दावर शख्शियत का दबदबा और रुसूख आज भी सत्ताधारी पक्ष में है जिसकी विनती से शिंदे की मुंबई में घर वापसी हुई।दरअसल शिंदे इस दौरान घरेलू मामलों को लेकर बहुत परेशान थे और इस तरह से गडचिरोली में रहकर उन्हें बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता अब वापस
मुंबई आने के बाद कम से कम वह अपने घरेलू मामलों को हल कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने मलाई खाने के चक्कर में किसी भी बंगाली बाबा रूपी भ्रष्टाचारियों को खुश करने के लिए किसी के भी खिलाफ़ कहीं भी झूटा मामला भी दर्ज करवा सकते हैं जिसके लिए वह पहचाने जाते हैं।हालांकि सरकार ने शिंदे को यह सोच कर गडचिरोली भेजा था कि वह वहां जा कर नक्सलियों से बात चीत कर उन्हें आत्मसमर्पण करने को मजबूर करें या उन्हें मौत के घाट उतार दें या तो खुद ही शहीद होकर महाराष्ट्र पुलिस के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराते लेकिन सरकार की इस मंशा को पूरा करनेे में वह असमर्थ रहे।हमने दिल्ली वाली पॉवर के बारे में शिंदे से जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी तरह का कोई जवाब नही दिया।इस पोस्टिंग से यह साबित होता है कि किसी भी आईपीेएस की अगर पोस्टिंग कहीं करवानी है तो उसके लिए उनके पास अभी भी जुगाड़ है भले रैकेट पकड़ा गया हो लेकिन इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं समझना चाहिए कि मनचाही पोस्टिंग के रास्ते बंद हो गए बस जुगाड़ के लिए मेहनत और हिम्मत दोनो चाहिए।
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