शाहिद अंसारी
मुंबई:महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किया है कि अंबरनाथ इलाके के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अरुण सावंत को 10 लाख रूपए का मुआवज़ा दिया जाए।इस आदेश के बाद राज्य सरकार को मुआवज़े की यह रकम अरुण सावंत को देनी पड़ी। अपने देश में कमीशन के चेयरमैन जस्टिस बन्नूरमठ ने राज्य के गृह विभाग और पुलिस विभाग को कहा है कि लोगों की सुरक्षा को लेकर वह गंभीर रहें और सुरक्षा को लेकर जिनके आवेदन पुलिस थानों में आऐं उन्हें पूरी तरह से सुरक्षा मुहय्या कराऐं।उन्होंने यह जानकारी राज्य के हर पुलिस थाने को जारी करते हुए सुरक्षा के नियम और क़ानून क्या हैं यह याद दिलाया और उस पर सख़्ती से अमल करने की हिदायत दी ।
अपने आदेश में कमीशन के चेयरमैन जस्टिस बन्नूरमठ ने कहा कि संबंधित पुलिस विभाग की ओर से शिकायतकर्ता को समय से सुरक्षा नहीं दी गई जबकि उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी।कमीशन ने इस बात पर ध्यान देते हुए अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के ज़रिए लगातार सुरक्षा की मांग किए जाने के बाद भी उन्हें पुलिस की तरफ सुरक्षा मुहय्या नहीं कराई गई जिसकी वजह से उन पर जानलेवा हमला हुआ।और इस तरह से पुलिस के ज़रिए मानव अधिकार के नियमों का उल्लघन किया गया।कमीशन ने इस बारे मे भी एतराज़ जताते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की शिकायत के बाद थाने पुलिस कमिश्नर को ह्युमन राइट्स कमीशन में सुनवाई के लिए तलब किया गया लेकिन कोई भी वरिष्ठ अधिकारी सुनवाई के दौरान नहीं आए।
साल 2010 में अरूण सावंत बदलापुर में पैदल जा रहे थे उसी दौरान 2 बाइक सवारों ने उनपर गोलियां चलाईं जिसके बाद वह बुरी तरह ज़ख्मी होगए।उनका लंबे समय तक इलाज चलता रहा और अब वह पूरी तरह से विकलांग हो चुके हैं सावंत आरटीआई कार्यकर्ता हैं।इस घटना के बाद से आरटीआई कार्यकर्ताओं को लेकर पुलिस विभाग की ओर से सुरक्षा ना मिलने पर जमकर थू थू हुई थी।क्योंकि सावंत भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रहे थे और उनकी आवाज़ दबाने के लिए उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई थी।
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