बॉम्बे लीक्स ,उत्तर प्रदेश
उमेश पाल हत्याकांड में सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार सवालों के घेरे में है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उमेश पाल हत्याकांड में जब गवाह रहे सीबीआई आफिसर अमित कुमार को कोर्ट में गवाही के लिए बुलाया जाता है तो वे मुकर जाते है।बताया जा रहा है कि अमित कुमार को जब कोर्ट तलब करता है और जब अमित आते हैं तो वो झूठा बयान देते हैं कि उमेश पाल का अपहरण ही नहीं हुआ है।वहीं राजू पाल हत्याकांड में अमित कुमार सीबीआई के विवेचक थे और उन्होंने उमेश पाल का बयान लिया था।
दरअसल ये खुलासा प्रयागराज के उन्हीं सरकारी वकीलों ने किया है।टीवी 18 की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े वकीलों ने इस पर खुलासा किया है।वकीलों के मुताबिक इस मामले में सुशील कुमार जो सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी हैं और वीके सिंह जो स्पेशल काउंसिल, MP/MLA कोर्ट ने ऐसा खुलासा किया है कि आखिर क्यों उमेश पाल की पत्नी उमेश पाल हत्याकांड की CBI जांच नहीं चाहती हैं। MP/MLA कोर्ट के स्पेशल काउंसिल वीके सिंह ने बताया कि उमेश पाल अपहरण केस में राजू पाल मर्डर केस की जांच कर रहे CBI के डिप्टी एसपी अमित कुमार ने माफिया डॉन अतीक अहमद के समर्थन में कोर्ट में गवाही में गवाही दी थी जो चौंकाने वाली बात है। दरअसल वीके सिंह ने बताया कि 2005 में हुए बसपा विधायक राजू पाल मर्डर की जांच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दी थी और उस मामले में सीबीआई से विवेचक के तौर पर डिप्टी एसपी अमित कुमार आए थेम बीते दिनों जब उमेश पाल अपहरण केस में सुनवाई चल रही थी तब डिफेंस विटनेस की लिस्ट आती है जिसमें डिप्टी एसपी अमित कुमार का भी नाम आता है।जिसके बाद कोर्ट उनको तलब करता है और जब अमित आते हैं तो वो झूठा बयान देते हैं कि उमेश पाल का अपहरण नहीं हुआ है।जबकि राजू पाल हत्याकांड में वो सीबीआई के विवेचक थे और उन्होंने उमेश पाल का बयान लिया था बावजूद इसके कि उमेश पाल चश्मदीद साक्षी थे। उन्होंने उनका बयान तो लिया लेकिन केस डायरी में 161 का बयान दर्ज नहीं किया। जो साफ तौर पर दिखाता है कि उन्होंने जानकर प्रक्रिया का पालन नहीं किया।इस मामले से जुड़े दूसरे सरकारी वकील सुशील कुमार वैश्य जो सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, MP/MLA कोर्ट हैं ने बताया कि उमेश पाल अपहरण केस में सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार को माननीय कोर्ट की तरफ से तलब किया गया था।अमित कुमार इस केस के विवेचक नहीं थे। वो न्यायालय के परमिशन से आए और उन्होंने इस केस में अभियुक्तों (अतीक अहमद गैंग) को फायदा पहुंचाने वाले कथन किए जबकि उन्होंने जो उसमें कहा कि उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड में चस्मदीद साक्षी नहीं थे।उनके इस बयान को CBI की केस डायरी में कोई वर्णन नहीं है।अगर वो इस केस के विवेचक नहीं थे तो उनको इस तरह के वक्तव्य देने की जरूरत नहीं थी क्योंकि इसका सीधा लाभ अतीक अहमद को मिलने की संभावना थी लेकिन चूंकि वो ये नहीं बता पाए कि हमने जो उमेश पाल से बयान लिए थे उसको रिकॉर्ड किया या नहीं किया। लास्ट में उनसे जिरह हुई तो उन्होंने कहा कि बयान रिकॉर्ड नहीं किए थे।
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