Bombay Leaks Desk
मुंबई : अपने आप को दबंग कहलाने वाले वर्दी पहेन कर कानून की धज्जियां उड़ाने वाले नागपाड़ा सीनियर पीआई संजय बसवत ने आखिरकार एक साल बाद यह मान लिया है कि उन्होंने पत्रकार शाहिद अंसारी के खिलाफ़ सुपारी लेकर धार्मिक भावना को आहत करने का जो मामला दर्ज किया था वह गलत था। बसवत के हाथों लिखा एक पत्र जिसमें लिखा है “ पत्रकार शाहिद अंसारी के द्वारा जो ख़बर प्रकाशित की गई है उसके बाद उनके थाना के क्षेत्र में किसी तरह का लॉ ऐंड ऑर्डर नहीं खराब हुआ पत्रकार शाहिद अंसारी और मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली दोनों मुस्लिम समुदाय के मानने वाले हैं इसलिए किसी प्रकार का धार्मिक भावना को आहत करने का मामला नही दर्ज हो सकता ।”
दर असल इसके पीछे की कहानी बड़ी रोचक है इससे पहले हमने शाहिद अंसारी पर बसवत द्वारा दर्ज किए गए झूटे मामले के बाद से शाहिद अंसारी के को लेकर बसवत की मंशा क्या थी वह खबर प्रकाशित की थी। अब हम इस तरह के पत्र के बारे में बताते हैं और बसवत के ज़रिए हथियार क्यों डाला गया उसके पीछे की असल सच्चाई बताते हैं।
1 सितंबर 2016 को बसवत ने पत्रकार अंसारी के खिलाफ़ झूटा मामला दर्ज करवाया और उसके बाद से ही अंसारी को गिरफ्तार कर के हिरासत में हत्या करने के लिए वह छटपटा रहे थे। लेकिन बसवत की इस करतूत की भनक मुंबई सीपी और राज्य के सीएम तक पत्रकार यूनिन ने मिलकर पहुंचा दी। बावजूद इसके बसवत अंसारी को गिरफ्तार करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिख कर लिखित रूप से इजाज़त मांग रहे थे। ताकि कभी वह अंसारी की हिरासत में हत्या करें तो गिरफ्तारी का मामला वरिष्ठ अधिकारियों पर ढकेल दें और खुद को बचा लें जैसा कि वह हमेशा करते हैं। लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने बसवत की इस मंशा को समझ लिया था। वबसत अंसारी को गिरफ्तार करते उससे पहले अंसारी ने मुंबई सेशन कोर्ट में गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत की अर्ज़ी दाखिल की जिसके बाद सेशन कोर्ट ने नागपाड़ा पुलिस थाने को यह आदेश दिया कि वह अरनेश कुमार नियम का पालन करें। हालांकि यह नियम कोर्ट के आदेश न देने पर भी लागू होता है लेकिन बसवत की गुंडई के चलते अंसारी को कोर्ट का रुख करना पड़ा।
19 दिसंबर 2016 को मुंबई हाईकोर्ट ने जब यह आदेश दिया कि पत्रकार शाहिद अंसारी के ऊपर धार्मिक भावना को आहत करने का मामला ही नहीं दर्ज हो सकता और कोर्ट ने अगली सुनवाई तक के लिए नागपाड़ा पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए मना कर दिया। यहीं पर बसवत का पूरा प्लान फेल हो गया। हालांकि बसवत नियम कानून को हमेशा अपनी जेब में रखते हैं लेकिन जब हाईकोर्ट का डंडा पड़ा तो बसवत के आँख के आगे अँधेरा छा गया। उन्होंने और भी कई नाकाम कोशिश करनी चाही ताकि अंसारी को दोषी साबित कर के वह फांसी के फंदे तक पहुंचा दें और बदले में बंगाली बाबा उन्हें अवार्ड से नवाज़े। लेकिन बसवत को यहां खुद की मिट्टी पलीद होते नज़र आई वह खुद के अहंकार को बचाने के लिए इसकी जांच बड़ी ही गंभीरता से शुरु करवा दी।
कोर्ट के ऑर्डर से पहले इस मामले की जांच मामला दर्ज करने वाले जांच अधिकारी सुहास माने को दी गई थी उसके बाद यही जांच कुसुम वाघमारे नाम की महिला पुलिस अधिकारी को सौंपी गई और इसी मामले की तीसरी जांच पुलिस इंस्पेक्टर विद्यासागर कालकुंद्रे को सौंपी गई। उसके बाद यह जांच ताड़देव डिवीज़न के एसीपी नागेश जाधव ने की। एक पत्रकार को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए जी तोड़ कोशिश की गई थी। इसी लिए बसवत ने 4 अधिकारियों से जांच कराई लेकिन उन अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ़ और झूटी रिपोर्ट नहीं बनाई जैसा बसवत चाहते थे।
हालांकी हर अधिकारी की जांच की रिपोर्ट वही है जैसा मुंबई हाईकोर्ट का आदेश है क्योंकि कोई भी सीनियर पीआई सुपारी ले कर झूटा मामला ज़रूर दर्ज कर सकता है लेकिन कोर्ट में उसकी यह गुंडई नही चलती कुछ ऐसा ही इस मामले में हुआ था। बसवत ने अपनी दबंगई दिखाते हुए मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन कोर्ट के सामने मुंह की खानी पड़ी। जांच अधिकारियों ने मामले की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में वही कहा जो मुंबई हाईकोर्ट ने कहा उनके साथ साथ डिवीज़नल एसीपी नागेश जाधव ने भी अपनी रिपोर्ट में वहीं कहा जो हाईकोर्ट ने कहा था। मामला यही नहीं थमा इस मामले की सुनवाई जब प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के समक्ष हुई तो अपने आपको दबंग और डेरिंगबाज़ कहने वाले बसवत ने वहां हाज़िर होने से पहले ही बीमारी का बहाना कर छुट्टी पर चले गए और वहां दूसरे अधिकारियों को भेज दिया। जिसके बाद प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने जम कर खरी खोटी सुनाई और लताड़ते हुए कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया। बसवत ने जब देखा कि हाईकोर्ट और तीन तीन अधिकारी , प्रेस काउंसिल आफ़ इंडिया के सामने झूट और गुंडई नहीं चल सकी तब उन्होंने यह मान लिया कि उन्होंने जो किया था वह गलत था।
नागपाड़ा मुंबई का एक ऐसा पुलिस थाना है जिसके अंतर्गत आज़ाद मैदान दंगों और हत्या के आरोपी तोड़ु-ए-नागपाड़ा भूमाफिया तथाकथित स्वघोषित धर्म धुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली जब चाहे जिस पत्रकार के खबरों पर धार्मिक भावना आहत करने का झूटा मामला दर्ज करवा सकता है। नागपाड़ा पुलिस थाने ने इससे पहले भी एक पत्रकार के खिलाफ़ इसी बाबा के इशारे पर झूटा मामला दर्ज किया था यहां तक क उसके अखबार का लाएसेंस भी रद्द करने के लिए कोर्ट में आवेदन भी किया था जिसकी सुनवाई के दौरान खुद दबंग सीनियर पीआई संजय वबसवत अपने लाव लश्कर के साथ कोर्ट पहुंचे हुए थे जहां कोर्ट ने नागपाड़ा पुलिस को जम कर लताड़ा और इनके आवेदन को ही खारिज कर दिया। Bombay Leaks पर जल्द ही पढ़ें बसवत ने अंसारी के पास खबर न लिखने के लिए किसे भेजा था ।
पत्रकार शाहिद अंसारी के विरुद्ध हुई जांच रिपोर्ट
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