शाहिद अंसारी
मुंबई:अहमद नगर पुलिस के कोतवाल पुलिस थाने ने जिन 22 लोगों को गिरफ़्तार किया था उन्हें कोर्ट ने ज़मानत पर रिहा कर दिया है।लेकिन अमेरिकन मराठी मिशन के अंतर्गत चलने वाले क्लेरा ब्रूस गर्ल्स हाई स्कूल ऐंड अहमद नगर ब्वाएज़ हॉस्टल की की 16 एकड़ की जगह को बचाने के लिए स्थानी लोग अभी भी धरने पर बैठे हुए हैं।
दर असल इस मामले की वीडियो पुलिस ने जिस तरह से फैलाई है उस वजह से असल मामला छुप गया और पुलिस को मारने वाली वीडियो के आधार पर लोगों का ध्यान दूसरी तरफ़ चला गया।जब इस मामले की दूसरी वीडियो BOMBAY LEAKS ने जारी की जिसमें पुलिस भी उसी बेरहमी से पिटाई कररही है जिस तरह से वहां के लोगों ने पुलिस को मारा है।इसके बाद पुलिस लग गई अपनी सफाई देने में।दर असल धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी के पार्टनर शरद मंसूखलाल मूथा,रसिक लाल मानिक चंद धाड़िवाल(मानिकचंद के मालिक)प्रकाश रसिक लाल धाड़िवाल इस कंपनी के पार्टनर हैं।जिन्होंने इस जगह के एक हिस्से को कौडियों के भाव मे खरीदने का दावा किया था।
लेकिन हमें इससे पहले पूरे मामले की सच्चाई जानना बेहद ज़रूरी है कि आखिरकार ऐसी नौबत ही क्यों आई कि लोगों ने पुलिस को मारने की जुर्रत की।इस सच्चाई से जब पर्दा उठेगा तो आप भी सोचने पर मजबूर होजाऐंगे कि अगर कोई भी गलत काम करना है या किसी की जगह किसी से खाली करवानी है तो अहमदनगर पुलिस की सहायता के बिना मुमकिन नहीं है।
अहमद नगर शहर के कोतवाली पुलिस थाने की हद में 150 साल से मौजूद अमेरिकन मराठी मिशन और वायडर चर्च मिनिस्ट्रीज़ (UCBWM) के अंतर्गत चलने वाले क्लेरा ब्रूस गर्ल्स ब्वाएज़ स्कूल हाई स्कूल ऐंड अहमदनगर हॉस्टल है जो कि 16 एकड़ की जगह पर फैला हुआ है जिसकी कीमत आज के समय में करोड़ों रूपए है।यह जगह ईसाई कम्युनिटी की है जहां 2003 में धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन ने थोड़ी सी जगह पर गैर क़ानूनू तरीके से घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी।
फरवरी 2016 को इस जगह पर गैर कानूनी निर्माण करने के लिए जगह को घेरने की कोशिश की।हालांकि इससे पहले कई बार इस जगह पर धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन ने घुसने की कोशिश की लेकिन लोगों के विरोध के चलते नाकामी हाथ लगी।लेकिन फरवरी 2015 में जब लोगों ने इसका विरोध जताया तो स्थानी पुलिस के साथ साथ एसपी एहमद नगर सौरभ त्रिपाठी ने भी लोगों की नहीं सुनी।जिसका नतीजा यह हुआ कि धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी को मौका मिल गया उसने पूरी जगह को पतरे से घेर दिया।इधर लोग इसका विरोध करते रहे और पुलिस ने लोगों की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया बल्कि पुलिस ने खुद धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी की सहायता की और उन्होंने 10 फरवरी को 100 % जगह घेरने की कोशिश की।जिसके बाद स्थानी लोगों का सब्र का पैमाना छलक गया और फिर जो हुआ उसकी वीडियो सब के सामने है।जब लोगों ने देखा की पुलिस धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी की सहायता कर रही है तो लोगों ने खुद उस जगह को जिस तरह से घेराव किया गया उसे तोड़ना शूरू किया।और उसे पहले के जैसे करने की कोशिश की।
लोगों का विरोध जाएज था क्योंकि इस जगह के विवाद को देखते मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने इसको सुलझाने के लिए एक अधिकारी को नियुक्त किया है।जबतक विवाद सुलझ ना जाए तबतक कोई भी इस 16 एकड़ की जगह पर दाखिल नहीं हो सकता ना ही इसे डेव्लप कर सकता है।हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि यह घटना घटने के बाद भी यहां धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी का काम अभी भी चालू है।
इस मामले में 2004 से संस्था में शामिल सबकी ट्रस्टीशिप चैरेटी कमिश्नर ने रोक कर रखी है और इसी विवाद के कारण हाईकोर्ट ने 2009 में एक अधिकारी की नियुक्त किया है।इसमें स्वघोषित मराठी मिशन और वायडर चर्च मिनिस्ट्रीज़ के डीजी भांबल,प्रेम मसीह(मुंबई अफ़गान चर्च बेचने के मामले में मुख्य आरोपी) राबर्ट मोज़ेज़,दिवंगत एस.के.सोलोनमन हैं।लेकिन इन्हें भी किसी तरह का कोई अधिकार नही दिया गया हैं बावजूद इसके यह लोग इस जगह का सौदा करने की नाकाम कोशिश कररहे हैं।
लोकिन यहां धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी के ऊपर स्थानी पुलिस और एसपी अहमद नगर की मेहरबानी थी इस लिए धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन ने इस जगह पर कोर्ट के आदेश के बावजूद घेरने में कामयाबी पाई।लोगों ने जब विरोध किया तो पुलिस ने कार्रवाई की।यह सच हैं कि लोगों ने पुलिस को भी पीटा जिसकी वजह से उनपर कार्रवाई हुई।लेकिन पुलिस ने भी लोगों को पीटा यह वीडियो पुलिस ने किसी को नहीं दी।क्योंकि पुलिस ने जो वीडियो फैलाई थी उसमें पुलिस को पब्लिक ने पीटा कहकर पुलिस खुद के लिए सहानुभूति बटोर कर असल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटका रही।ताकि धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस जगह पर क़ब्जा आसानी से मिल जाए।
हालांकि अहमदनगर एसपी सौरभ त्रिपाठी का कहना है कि पुलिस ने मात्र लॉ ऐंड ऑर्डर को बेहतर बनाने की कोशिश की है लेकिन यह सोचने वाली बात है कि आखिर जब कोर्ट का ऑर्डर है कि इस जगह पर कोई तबतक दखल नही दे सकता जबतक जांच पूरी नहीं होती तो पुलिस ने आखिर धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस जगह को घेरने और इसे डेवलप करने की सहायता कैसे की जबकि लोग लगातार इसका विरोध कर रहे थे। सौरभ त्रिपाठी ने भी पुलिस भी पुलिस को पीटे जाने की वकालत ज़रूर की है लेकिन पुलिस के ज़रिए पब्लिक को पीटे जाने की वीडियो को लेकर कहा कि यह कानून का प्रावधान है कि पुलिस ऐसे मामलो मे पुलिस बल का उपयोग करसकती है।लेकिन मामला मारपीट से कहीं ज्य़ादा माने यह रखता है कि 16 एकड़ की करोड़ों की इस जगह को हथियाने के लिए आखिर पुलिस धारीवाल मूथा कंस्ट्रक्शन कंपनी पर इतनी मेहरबान क्यों है।जिस बात को लेकर यह मसला खड़ा हुआ उसका दूर दूर तक कोई जिक्र ना करके पुलिस को पब्लिक ने मारा इस वीडियो को फैला कर असल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिश करही है।
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