बॉम्बे लीक्स
मुंबई : महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद से अब तक सियासी संग्राम जारी है।शिवसेना से बागी बनकर विधायक एकनाथ शिंदे ने पार्टी के एक तिहाई विधायको का समर्थन जुटाकर उद्धव ठाकरे से कुर्सी हथिया कर अब स्वयं राज्य का नेतृत्व कर रहे है।वहीं शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद चुनाव आयोग ने शिंदे और उद्धव गुट दोनों को पार्टी और सिंबल से बेदखल कर दिया।लेकिन अब तक जारी सियासी दुश्मनी का अंत थमने का नाम नही ले रहा है। शिवसेना लगातार शिंदे और फडणवीस सरकार पर हमलावर होते हुए एक बार फिर से अपने मुखपत्र सामना के जरिए शिंदे और केंद्र सरकार पर हमलावर हुई है।
शिवसेना ने एक बार फिर सामना के जरिए महाराष्ट्र सरकार पर हमला बोलते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है।शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में महाराष्ट्र से बाहर जाते उद्योग को लेकर सरकार को घेरा है।संपादकीय के जरिए शिवसेना ने कहा है कि वेदांता- फॉक्सकॉन जैसी महत्वपूर्ण परियोजना महाराष्ट्र में स्थापित होनेवाली थी जिसमें लगभग डेढ़ लाख करोड़ का निवेश होना था।इस परियोजना से एक लाख लोगों को रोजगार मिलने की गारंटी थी।केंद्र सरकार ये परियोजना गुजरात खींच ले गई।
इससे महाराष्ट्र उबर ही रहा था कि 22 हजार करोड़ रुपये की टाटा एयरबस परियोजना का भी अपहरण कर गुजरात ले जाया गया।उद्धव नीत शिवसेना ने आरोप लगाते हुए कहा है कि, शिंदे फडणवीस सरकार में महाराष्ट्र पर एक के बाद एक ऐसे आघात जारी हैं।महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस की सरकार आने के बाद से चार बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं गुजरात चली गईं।ये परियोजनाएं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश या बिहार नहीं गईं।
ये परियोजनाएं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश या बिहार नहीं गईं।ये पिछड़े राज्यों छत्तीसगढ़ या झारखंड भी नहीं गईं। इन परियोजनाओं को तय करके मोदी-शाह के गुजरात ले जाया जा रहा है और इस किडनैपिंग पर सूबे के मुख्यमंत्री मुंह में मिश्री डालकर बैठे हैं।
शिवसेना ने आरोप लगाए है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस झूठी जानकारी देकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं।चाहे वो फॉक्सकॉन परियोजना हो या फिर रांजणगांव में स्थापित होनेवाली इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर।यही बात बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल उपकरण उत्पादन परियोजना के मामले में भी है।शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि उन्हें मु्ंबई का महत्व कम करना है लेकिन अब उनकी नजर महाराष्ट्र पर भी है। महाराष्ट्र अपने पैर, अपनी हिम्मत पर खड़ा है और खड़ा रहेगा लेकिन अन्य पिछड़े राज्यों के विकास को गति नहीं दिया जाना पीएम मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे का खोखलापन सामने ला रहा है।
गुजरात का विकास और सारा देश कंगाल, ये नया नारा अब देना होगा।रुपये का 80 पैसा गुजरात को और 20 पैसा सारे देश को, ये गणित तय हुआ है तो क्यों न गुजरात को सोने से ही मढ़ देते।सामना के संपादकीय में कहा गया है कि आपके शिंदे मुख्यमंत्री ने हिंदुत्व, स्वाभिमान, महाराष्ट्र का हित जैसे शब्दों का बुलबुला फोड़कर एक सरकार बनाई।फिर अपनी विफलता का ठीकरा दूसरों पर क्यों फोड़ रहे हो।फिर क्या इन परियोजनाओं को लेकर ‘श्वेत पत्र’ जारी करेंगे, इन्होंने इसका भी ऐलान किया। इस तरह का पत्र निकालने की बजाय महाराष्ट्र से परियोजनाओं के अपहरण को लेकर दिल्ली पहुंचकर छाती पीटें।
Post View : 61276