फिरोज़ खान
मुंबई : जिस्म फरोशी के लिए बदनाम मुंबई के कमाठीपुरा में मुंबई पुलिस ने 17 कोठों पर ताला लगा दिया है जिसके बाद सेक्स वर्कर के लाले पड़ गए हैं। कई सेक्स वर्करों ने कमाठीपुरा छोड़ कर नए ठिकाने की तलाश में इधर उधर भटक रही हैं तो कई भुखमरी के कगार पर पहुंच चुकी हैं।
मुंबई पुलिस के ज़रिए कई गई यह बीते 3 दशक की सब से बड़ी कार्रवाई मानी जाती है जिस के बाद स्थानी पुलिस थाने नागपाड़ा केसीनियर पीआई संतोष बागवे की चारों तरफ़ चर्चा हो रही है कई लोगों ने कहा कि बागवे इस कार्रवाई के लिए पुलिस मैडल के हकदार हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक नागपाड़ा पुलिस थाने के सीनियर पीआई संतोष बागवे ने कमाठीपुरा में मौजूद 17 कोठों पर ताला लगा कर वहां मौजूद ए.सी और पंखे निकाल कर नागपाड़ा पुलिस थाने में ला कर आरोपियों के लॉकअप में रख दिया है। जबकि 17 कोठों में लगाए गए तालों की चाभियां उन्होंने अपने पास रख ली हैं। और पंखे एसी उन्होंने आरोपियों के लाकप मे रख दिया है। बागवे की इस खुफिया और अवैध कार्रवाई के बाद जिस्म फरोशी के कारोबार में शामिल 200 से ज़्यादा सेक्स वर्कर भुखमरी के कगार पर खड़ी हैं जिनको अब 2 वक्त की रोटी की मोहताज हो गई हैं।
कमाठीपुरा में सेक्स वर्कर के ज़रिए जिस्म फरोशी का कारोबार अवैध तरीके से कई दशकों से चल रहा है और इस जिस्म फरोशी की काली कमाई में खुद मुंबई पुलिस बाराबर की हिस्सेदार रहती है। इसके साथ साथ स्थानी दलालों और स्थानी कुछ पत्रकारों की हिस्सेदारी होती है।
इसी लिए जब यहां ज़ोनल डीसीपी अभिनाश सिंह ने छापेमारी की तो उससे पहले ही इलाके के लोगों को पुलिस ने छापेमारी की जानकारी दे दी।
हालांकि नागपाड़ा पुलिस थाने के सीनियर पीआई संतोष बागवे के द्वारा हुई यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है क्योंकि जिस 17 कोठों के पंखे और ए.सी पुलिस ने निकाल कर लाए हैं उनका पंचनामा नहीं किया और न ही जिन घरों में ताले लगाए हैं उनमें सील लगाई है। इससे जाहिर होता है कि नागपाड़ा पुलिस थाने ने यह कार्रवाई पुलिसिया वर्दी और गुंडई के दम पर की है ताकि जिस्म फरोशी करने वालों से जो मलाई अब तक मिलती रही है उनमें दहशत पैदा हो और पुलिस वहां से जो वसूली करती है वह ज्यादा मिले।
हमने इस बारे में सीनियर पीआई संतोष बागवे से बात करनी चाही लेकिन उनकी गुंडई और बदतमीज़ी के कारण उनसे बात नहीं की जा सकी। क्योंकि किसी भी ख़बर के लिए इससे पहले उनसे उनका पक्ष जानने के लिए कई पत्रकारों ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि अकेले आ के मिलो ताकि वह अकेले में उस पत्रकार को ज़लील कर ख़बर न लिखने के लिए धमका सकें।
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