डेस्क
मुंबई : धार्मिक भावना स्पेशलिस्ट पुलिस इंस्पेक्टर के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले संजय बसवत को जब मुंबई पुलिस कमिश्नर ने उनके काले कारनामों की वजह से नागपाड़ा पुलिस थाने से सीधे L.A विभआग में भेज दिया तो बसवत ज़लील हो कर L.A में ज़ग लगे हथियारों की सफ़ाई में जुट गए। लेकिन तबादले के 15 दिन बाद अपनी प्राइवेट कार से नागाड़ा पुलिस थाने वापस आए और अपने चार वसूलीबाज़ों के साथ इलाके के एक एक लोगों से वसूली की रकम इक्टठा की और प्राइवेट गाड़ी में बैठ कर वापस चले गए। ध्यान रहे यह चारों वसूलीबाज़ नागपाड़ा पुलिस थाने के ही पुलिस कर्मी हैं।
वसवत की इस दबंगई की वजह से पुलिस थाने के सारे अफसर नाराज़ थे कई लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि जिस आदमी का पेट पुलिस थाने में कार्यरत होते हुए नहीं भरा उसका पुलिस थाने से जाने के बाद क्या भरेगा।
बसवत उसूल के पक्के हैं वह वसूली का हिसाब किताब भी रखते थे उसके लिए बाकायदा डायरी बनाई जाती थी इसकी उपज संजय बसवत की ही है हालांकि ताड़देव डिवीज़न के एसीपी नागेश जाधव हमेशा इस बात के खिलाफ़ थे और वह कहा करते थे कि वसूली का जो भी हिसाब किताब रखता है वह महामुर्ख है और बसवत की यही मुर्खता उसे ले डूबी।
नागेश जाधव ने कहा कि हमने डिपार्टमेंट में सालों बिता दिए लेकिन मजाल है कि आज तक हमारे दामन पर कोई दाग़ लगा हो क्योंकि हम इस तरह क बेवकूफियां नहीं करते।
संजय बसवत उस वक्त सब से ज्यादा चर्चे मे आए जब उन्हें नागपाड़ा पुलिस थाने आए महेज़ कुछ ही दिन हुए थे और उन्होंने आज़ाद मैदान दंगों और हत्या के आरोपी मांडवाली जगत के बेताज बादशाह मांडवाली मास्टर तथाकथित धर्मधुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली के इशारे पर पत्रकार शाहिद अंसारी के विरुद्ध धार्मिक भावना आहत करने का झूटा मामला दर्ज कर के पुलिस हिरासत में हत्या की प्लानिंग बनाई थी लेकिन बसवत का यह प्लान फ्लॉप हो गया और उन्हें ज़लील कर के नागपाड़ा से L.A भेजा गया फिलहाल वह L.A में अपने दिन काट रहे हैं। फिलहाल बसवत के खिलाफ़ कई मामलों की विभागी जांच चल रही है
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