बाऐँ तरफ़ पीड़ित बिलाल अब्दुल क़ादिर शेख़ और दाऐँ तरफ़ महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन के चेयरमैन जस्टिस एस.आर बन्नूरमठशाहिद अंसारी
मुबंई:ट्राफिक पुलिस कांस्टेबल के ज़रिए एक शख्स को पीटने के जुर्म में महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन ने ट्राफिक विभाग को 6 हफ्तों के अंदर पीड़ित को एक लाख रूपए मुआवज़ा देने का आदेश दिया है।महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन के चेयरमैन जस्टिस एस.आर बन्नूरमठ ने इस मामले के सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।कमीशम ने पुलिस कांस्टेबल किशोर शिंदे,बालू किशन पवार,शंकर रावजी कड़ू,विलास आनंद यादव की हरकत को गलत करार देते हुए सख़्त रुख अपनाया है।
घटना साल 2012 की मुबंई से सटे कल्याण इलाके की है जब पीड़ित बिलाल अब्दुल कादिर शेख ने ट्राफिक सिग्नल तोड़ने की गलती की जिसके बाद चार ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल किशोर शिंदे,बालू किशन पवार,शंकर रावजी कड़ू,विलास आनंद यादव ने उसकी जमकर पिटाई की जिसके बाद वह ज़ख्मी होगए।पीड़ित को स्थानी हास्पिटल में भर्ती किया गया एलाज के बाद पीड़ित हमेशा के लिए 20 प्रतिशत शरीरिक रूप से विकलांग होगए।क्योंकि पुलिस के ज़रिए जिस बेदर्दी से उन्हें पीटा गया उसके बाद उनके दाहिने कंधे में ज़बरदस्त चोट आई।ऑपरेशन के बाद उनके कंधे में स्टील प्लेट लगाई गई ताकि उनका हाथ सही तरीके से काम कर सके उसके बाद भी वह शरीरिक रूप से 20 प्रतिशत विकलांग ही रहे।उन्होंने इसकी शिकायत कई जगह पर की लेकिन मामला पुलिस से जुड़ा होने की वजह से पुलिस वालों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई।आखिर मे उन्होंने महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन की दहलीज़ पर दस्तक दी।जिसके बाद सिग्नल तोड़ने पर हाथ तोड़ने वाले पुलिस वालों को मुआवज़ा अदा करने का आदेश जारी हुआ।
इस मामले में सबसे खास बात तो यह थी कि खुद पुलिस कर्मियों ने अपने आपको बचाने के लिए पीड़ित पर आईपीसी की धारा 353,333,323 और 54 के तहेत मामला दर्ज करवा दिया।जैसा कि अक्सर पुलिस करती है लेकिन पुलिस की यह झूटी कहानी सेशन कोर्ट में फर्जी साबित हुई और पीड़ित को इस केस से बरी करदिया गया।
इस मामले को महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन ने गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच की कमीशन के चेयरमैन जस्टिस एस.आर बन्नूरमठ ने बताया कि हमने इस मामले में शिकायतकर्ता की शिकायत को बड़ी ही बारीकी से जायज़ा लिया छानबीन मे इस बात का खुलासा हुआ कि पीड़ित के साथ अन्याय हुआ है।पीड़ित की बताई हुई बातें जांच मे सच साबित हुई हैं जबकि पुलिस की कहानी झूटी साबित हुई।इसलिए कमीशन ने इस मामले में पीड़ित पर हुए अत्याचार को देखते हुए अपना फैसला सुनाया है।
कमीशन के इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हमने जब इस दहलीज़ पर दस्तक दी तो हमे उसी दिन से उम्मीद कि हमें इंसाफ ज़रूर मिलेगा।हम कमीशन के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए इसी आधार पर उन सब के खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाऐंगे।
जस्टिस एस.आर बन्नूरमठ ने बात चीत में बताया की हमने कई मामलों में तकरीबन 52 सुमोटो मामले दर्ज करते हुए मामलों की छानबीन की है।यह मामले ऐसे हैं जिनमे मानव अधिकार का उल्लंघन किया गया है और आयोग ने इसे बिना किसी शिकायत के महसूस करते हुए इसपर कार्रवाई की है।इस तरह के मामलों में मेडिकल ग्राउंड और दूसरी रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए बहुत ही बारीकी से पूरे मामले की छानबीन करते होती हैं।इस मामले में एक लाख रुपये का हरजाना अदा करने का आदेश दिया गया जबकि मामला कितना गंभीर है इस बात को देखकर हरजाना की राशी बढ़ सकती है और इसका आदेश कमीशन दे सकता है।
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