बॉम्बे लीक्स ,दिल्ली
महिला पहलवानों से यौन शोषण के मामले में आरोपी बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर दिल्ली की राउज़ एवेन्यु कोर्ट में सुनवाई हुई। हालांकि, कोर्ट ने बृजभूषण को पेशी से छूट दी थी।सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट के सामने अपनी दलील दी।आज की सुनवाई पूरी हो गई है।अब अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
गौरतलब है कि भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज कथित यौन उत्पीड़न मामले में कोर्ट ने उन्हें पेशी से एक दिन की छूट दी है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि आरोपी बृजभूषण सिंह ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। पुलिस ने राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल के सामने दलील देते हुए कहा कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।दिल्ली पुलिस ने अपनी दलील में कहा कि बृजभूषण को पता था वो क्या कर रहे थे।बृजभूषण को जब भी मौका मिलता था।वह महिला पहलवान की लज्जा भंग करने की कोशिश करते थे। दिल्ली पुलिस ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि पीड़ित लड़की ने कोई प्रतिक्रिया दी है या नहीं, सवाल यह है उनके साथ गलत किया गया।जो सबूत और साक्ष्य पेश किए गए हैं वह बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त हैं।दिल्ली पुलिस ने शिकायतकर्ताओं के साथ दिल्ली में WFI के दफ्तर में हुई घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन शिकायतों का क्षेत्राधिकार दिल्ली में ही बनता है।एक महिला पहलवान का कहना है कि तजाकिस्तान में हुए एक इवेंट के दौरान बृजभूषण ने शिकायतकर्ता को कमरे में बुलाया और उसको जबरदस्ती गले लगाया। जब शिकायतकर्ता ने उसका विरोध किया तो बृजभूषण ने कहा कि पिता की तरह किया था, इससे साफ पता चलता है कि बृजभूषण को पता था वह क्या कर रहे हैं।कोर्ट में हो रही सुनवाई के बीच अतिरिक्त लोक अभियोजक यानी APP अतुल कुमार श्रीवास्तवव ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा, “जब भी और जहां भी मौका मिला, उन्होंने शिकायत करने वाली महिला पहलवानों की गरिमा को ठेंस पहुंचाई। उन्होंने आगे कहा कि धारा 354 के तहत मामला बनाने के लिए पीड़िता की प्रतिक्रिया कोई मायने नहीं रखती।वहीं जवाब में सांसद बृृजभूषण के वकील राजीव मोहन ने तर्क दिया कि गलत इरादे के बिना किसी महिला को छूना आपराधिक गतिविधि नहीं बनता है। कहा कि “धारा 354 के तहत मामला बनाने में पीड़िता की प्रतिक्रिया कोई मायने नहीं रखती है।फिलहाल इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल की कोर्ट में हो रही थी। अब अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
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