बॉम्बे लीक्स ,लखनऊ
लखनऊ : शिवसेना द्वारा उत्तर प्रदेश के चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के ऐलान के बाद पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि फिलहाल पार्टी 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।जिसके बाद प्रदेश की चुनावी सियायत में हलचल मच चुकी है। देखा जाए तो आगामी वर्ष 2022 की शुरुआत में प्रदेश में चुनाव होने है। सूबे में केंद्र की भांति भाजपा की सरकार में मुखिया बतौर सीएम योगी है।
ऐसे में शिवसेना इस बार भाजपा को सबक सिखाने का मन बना चुकी है।शिवसेना द्वारा एलान किया गया है कि जनता के विरुद्ध बनाये गए योगी सरकार के मंसूबो के खिलाफ मुद्दों को लेकर शिवसेना यूपी के चुनावी दंगल में उतरेगी।
महाराष्ट्र सरकार में सत्तारूढ़ शिवसेना पार्टी यूपी में भी अपने पैर पसारने की तैयारी में है। 2022 के यूपी विधान सभा चुनाव में शिवसेना उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि चुनाव लड़ने के मुद्दे पर पार्टी ने अभी तक इस बात का खुलासा नही किया है कि सेना किस राजनीतिक दल के साथ गठबंधन करेगी। फिलहाल सेना द्वारा अकेले चुनाव लड़ने के एलान तो किया गया है ,लेकिन गठबंधन की संभावना से भी इंकार नही किया है।
लखनऊ में हुई पार्टी की बैठक में यूपी प्रदेश प्रमुख ठाकुर अनिल सिंह ने बताया कि यूपी में कानून व्यवस्था बुरे दौर से गुज़र रही है।योगी सरकार ने कोविड में लाशों को जलाने का साधन तक नहीं उपलब्ध कराया।कहा की बेरोजगारी स्वास्थ्य व्वस्था ,कानून व्यवस्था ,किसान मुद्दा ,समेत हर स्तर पर भाजपा सरकार फेल साबित हुई है।ऐसे में पार्टी प्रमुख ने कहा कि प्रदेश से जंगल राज के सफाये के लिए बहन-बेटियों की असमत की रक्षा के लिए शिवसेना इस बार चुनाव लड़ेगी।
कहा कि आज प्रदेश में शिक्षा के नाम पर प्रदेश भर के विद्यालयों ने मनमानी फीस वसूली जा रही है। सरकार शिक्षा माफियाओं से मिलकर शिक्षा का सौदा करती है।
साथ ही शिवसेना ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सूबे में भाजपा ने अपने शासन के दौरान कुछ काम नही किया है।सेना ने कहा कि सरकार को जवाब देने के लिए इस बार शिवसेना सूबे की सभी 403 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी।हालांकि इसके बाद पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि यूपी में सभी सींटो पर नही बल्कि 100 सींटो पर शिवसेना अपने उम्मीदवार उतारेगी।
वही यूपी शिवसेना प्रदेश प्रमुख ने कहा कि जीत हार तो देश की जनता तय करती है लेकिन सूबे में भाजपा को।काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।देखा जाय तो भाजपा और शिवसेना दोनों ही पार्टियांको बड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि दोनों ही पार्टियों का वोटबैंक हिंदुत्व की विचारधारा वाला है।हालांकि शिवसेना कभी हिंदुत्व का बड़ा चेहरा मानी जाती रही।लेकिन पार्टी प्रमुख बाल ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना से यह तबका भाजपा ने अपने अधीन कर लिया है।
ऐसे में शिवसेना का यूपी चुनाव में उतरना भाजपा के वोट कटिंग में अहम रोल के तौर पर देखा जा रहा है।क्योंकि शिवसेना को आज भी हिंदुत्व के बड़े चेहरे के तौर पर देखा जाता है।
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