बॉम्बे लीक्स
मुंबई : महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों के बागी होने के बाद दो फाड़ हुई पार्टी की सियासी प्रतिक्रिया लगातार सामने आ रही है।सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में लटकी पार्टी सिंबल की अधूरी लड़ाई के बीच अब दशहरा रैली को लेकर आमना सामना है।शिवसेना नीति उद्धव ठाकरे दादर के शिवाजी पार्क में अपनी परंपरा के अनुसार रैली करने की बात कह चुका है।तो वही दूसरी तरफ आरोप भी लगाया है कि मुंबई के अधिकारी रैली के आवेदन को स्वीकार नही कर रहे है।अब दो फाड़ हुई शिवसेना से उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट को खुली चुनौती दी है।
उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘असली शिवसेना की दशहरा रैली तो शिवाजी पार्क में ही होगी। चाहे इसकी इजाजत मिले या न मिले। ठाकरे ने कहा कि जिसे जो कहना है कह सकता है।क्योंकि इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।मुंबई में होने वाली शिवसेना की दशहरा रैली को लेकर उद्धव और शिंदे गुट दो फाड़ हो चुकी है।शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे अपने-अपने धड़े को असली शिवसेना बता रहे हैं। इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने सीएम एकनाथ शिंदे और बीजेपी को खुली चुनौती दी है।
उद्धव ठाकरे की यह चुनौती भाजपा और शिंदे गुट को ऐसे समय में दी गई है जब उद्धव ठाकरे गुट ने दशहरा रैली के आयोजन को लेकर आशंका जता दी हैं। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने अब सामने आकर खुद ऐलान कर डाला कि सालाना दशहरा रैली तो शिवाजी पार्क में ही होगी।देखा जाए तो उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल जरूर हो गए हैं, लेकिन शिवसेना पर वे अपनी पकड़ कमजोर करना नहीं चाहते. इसी वजह से वह दशहरा के मौके पर शिवाजी पार्क में रैली करना चाहते हैं।ये शिवसेना की परंपरागत रैली है जो हर साल दशहरा पर होती है।
इस रैली में यहां से शिवसेना पूरे देश के शिवसैनिकों को संबोधित करती है।वही इस बार फर्क ये आ गया है कि सीएम एकनाथ शिंदे भी शिवाजी पार्क में ही दशहरा रैली करना चाहते हैं। वे शिवसेना को अपनी पार्टी मानते हैं, ऐसे में वहां पर रैली करके पार्टी पर अपनी दावेदारी को और मजबूत करना चाहते हैं।इस बीच उद्धव ठाकरे ने शिंदे को दो टूक जवाब दे दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि हर कीमत पर उनकी शिवसेना की रैली शिवाजी पार्क में होने वाली है।
उद्धव ठाकरे गुट के कुछ नेताओं ने मुंबई नगर निकाय से रैली के आयोजन को संशय जाहिर किया था।हालांकि पिछले एक दशक से शिवसेना शिवाजी पार्क में दशहरा रैली का आयोजन करती आ रही है। शिवसेना की विशाल रैली के दौरान शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे जोरदार ढंग से अपने भाषण दिया करते थे।लेकिन अब हालात एक समान नही है।क्योंकि शिवसेना से एक तिहाई विधायक सांसद और पदाधिकारी शिंदे गुट में शामिल हो चुके है।
गौरतलब है कि 1997 से मार्च तक बीएमसी पर शिवसेना का नियंत्रण था।
लेकिन इसके बाद चुनाव न हो पाने के चलते अब यह नगर निकाय एक प्रशासक के हाथों में है। वहीं जून में उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने के बाद शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे सीएम और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने हैं। इसके बाद से ही दोनों गुटों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो चला है। बीते दिनों विधानसभा सत्र के दौरान दोनों गुटों में हाथा-पाई तक की नौबत आ गई है। यही वजह है कि शिवसेना के इस सालाना आयोजन को संशयपूर्ण निगाहों से देखा जा रहा है।
Post View : 42679