बॉम्बे लीक्स ,महारास्ट्र
मुंबई : महारास्ट्र की धरती पर जारी सियासत के घमासान के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के रंग बदलते नये नये तेवर सामने देखने को मिलते आ रहे है।ऐसा माना जा रहा था कि एक नाथ शिंदे की शिवसेना में ही अब शिवसेना आगे का भविष्य तय करने वाली है।क्योंकि सेना प्रमुख और सीएम उद्धव ठाकरे का रातों रात सरकारी बंगला खाली करके अपने निजी आवास में दाखिल होकर सीएम और पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने का बयान देना।पार्टी सांसद संजय राउत का हथियार डालते हुए यह बयान जारी करना कि शिवसेना MVA से गठबंधन तोड़ने पर तैयार है।एकनाथ शिंदे आकर बात करे और सीएम बने।
इन सभी बयानों के बीच एक तरह से शिवसेना को यह आभास हो गया था कि अब सरकार तो सरकार बल्कि पार्टी भी उनके हाथों से निकल चुकी है।संजय राउत के बयानों के बाद महारास्ट्र कांग्रेस पार्टी ने सरकार से समर्थन वापसी की सभी विधायकों संग आनन फानन में बैठक कर डाली। इधर महारास्ट्र कि सियासत को बारीकी से समझने वाले शरद पवार को भांप लिया कि संजय राउत का बयान भाजपा की मंशा की राह निकल पड़ा है।ऐसे में शरद पवार ने तत्काल कांग्रेस पार्टी से बात करके सीएम उद्धव ठाकरे से बातचीत कर सरकार बचाने के फार्मूले पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही।
इसके बाद शिवसेना ने विधायक दल की बैठक बुला ली।सेना की इस बैठक में जो विधायक नही पहुँचे ऐसे शिंदे खेमे के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग कर डाली। आज भी शिवसेना ने चार विधायकों पर कार्रवाई की मांग की। इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के विधायक दल के नेता पद से एकनाथ शिंदे को हटा दिया गया था।उनकी जगह शिवसेना ने अजय चौधरी को यह पद सौंपा। पार्टी के इस अनुरोध को डिप्टी स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है।इसके बाद अचानक संजय राउत के बयानों में आये हुए परिवर्तन ने पुरानी शिवसेना का परिदृश्य खड़ा कर दिया।संजय राउत ने साफ कह दिया कि हम कानूनी और सड़क की लड़ाई के लिए तैयार है।संजय राउत का यह बयान एकनाथ शिंदे के लिए छिपे तौर पर एक तरह की वार्निंग है कि सूरत और असम में बैठकर बयानबाज़ी से क्या होगा।जो बात करनी है महारास्ट्र मुम्बई की धरती पर आकर करो।मतलब साफ है कि पार्टी बचाने के लिए शिवसेना अपने पुराने स्टाईल में वापसी करने को तैयार है।क्योंकि अब शिवसेना में बगावत के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री सीएम उद्धव ठाकरे ने भी कड़े तेवर अख्तियार करते हुए कहा है कि मर जाएंगे फिर भी शिवसेना नहीं छोड़ेंगे।ठाकरे ने कहा है कि बागी विधायक शिवसेना तोड़ना चाहते हैं।उद्धव ठाकरे ने पार्टी के जिला प्रमुख की बैठकों में तो यहां तक कह दिया है कि मैंने अपने पास के दो विभाग एकनाथ शिंदे को दिए।यानी शिवसेना एकनाथ शिंदे को यही बताने पर आमादा है कि सत्ता और पद की लालच में शिंदे पार्टी से बगावत कर रहे है।
सीएम ठाकरे के पुत्र और सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि पहले भी लोगों ने शिवसेना से गद्दारी करते हुए लालच में ही सत्ताधारी दल में शामिल हो गया।कहा कि सत्ता आती है और चली जाती है, लेकिन अभी तो लोग उस काम का समर्थन करते हैं जो उद्धव ठाकरे ने पिछले ढाई साल में किया है।वहीं शिवसेना से बागी हुए नेता एकनाथ शिंदे का गुट लगातार मजबूत होता जा रहा है। दूसरी तरफ विधायक एक-एक करके उद्धव ठाकरे से अलग होते दिख रहे हैं।बावजूद इसके शिवसेना मजबूत होने का दावा कर रही है। अबतक शिवसेना की तरफ से 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग उठाते हुए डिप्टी स्पीकर को पत्र भेजा गया है। दूसरी तरफ शिंदे खुद को विधायक दल का नेता बता रहे है।क्योंकि शिवसेना विधायकों की मीटिंग में पार्टी के 55 विधायकों में से सिर्फ 13 MLA ही शामिल हुए थे। यानी यह साफ हो चला है कि बाकी 42 विधायक शिंदे गुट के साथ हैं।इसमें से 38 विधायक शिंदे के पास गुवाहाटी पहुंच भी चुके हैं।ऐसे में अब शिंदे गुट पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा।फिलहाल कहा यह भी जा रहा है कि महारास्ट्र में जारी ग़दर के बीच अभी शरद मौजूद है।इंतज़ार उस वक़्त का हो।रहा है जब शिवसेना के बागी फ्लोर टेस्ट के लिए मुंबई में कदम रखेंगे।आशंका जताई जा रही है कि फ्लोर टेस्ट में ही आधे से ज्यादा शिंदे गुट के बागी विधायक पार्टी में वापसी कर लेंगे।फिलहाल MVA को यही उम्मीद है जिसके मुताबिक शिवसेना को स्वयं की मजबूत होने का आभास है।
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