बॉम्बे लीक्स।
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली में शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी में 8वें लक्ष्मीमल्ल सिंघवी स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को रद्द करने के बाद संसद में ‘कोई चर्चा’नहीं हुई और यह एक ‘बहुत गंभीर मुद्दा’ है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद द्वारा पारित एक कानून, जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘रद्द’ किया गया और और दुनिया को ऐसे किसी भी कदम के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम की बैठकों में हुई मौखिक चर्चाओं पर टिप्पणी करना पूर्व न्यायाधीशों के लिए फैशन बन गया है।अदालत ने यह भी जोड़ा कि मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को कुछ ऐसे लोगों के बयानों के आधार पर बेपटरी नहीं की जानी चाहिए जो ‘दूसरों के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी रखते हों।इसके साथ ही उसने जोर दिया कि सर्वोच्च अदालत सबसे पारदर्शी संस्थानों में से एक है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम की बैठकों में हुई मौखिक चर्चाओं पर टिप्पणी करना पूर्व न्यायाधीशों के लिए फैशन बन गया है।अदालत ने यह भी जोड़ा कि मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को कुछ ऐसे लोगों के बयानों के आधार पर बेपटरी नहीं की जानी चाहिए जो ‘दूसरों के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी रखते हों।इसके साथ ही उसने जोर दिया कि सर्वोच्च अदालत सबसे पारदर्शी संस्थानों में से एक है।
इसके साथ ही उसने जोर दिया कि सर्वोच्च अदालत सबसे पारदर्शी संस्थानों में से एक है।
उपराष्ट्रपति ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जब कानून से संबंधित कोई बड़ा सवाल शामिल हो तो अदालतें भी इस मुद्दे पर गौर फरमा सकती हैं।भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में यहां एल एम सिंघवी स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए धनखड़ ने रेखांकित किया कि संविधान की प्रस्तावना में ‘‘हम भारत के लोग” का उल्लेख है और संसद लोगों की इच्छा को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि शक्ति लोगों में, उनके जनादेश और उनके विवेक में बसती है। धनखड़ ने कहा कि 2015-16 में संसद ने एनजेएसी अधिनियम को पारित कर दिया।उन्होंने कहा, “हम भारत के लोग-उनकी इच्छा को संवैधानिक प्रावधान में बदल दिया गया।जनता की शक्ति, जो एक वैध मंच के माध्यम से व्यक्त की गई थी, उसे खत्म कर दिया गया।दुनिया ऐसे किसी कदम के बारे में नहीं जानती।स्मृति व्याख्यान में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जब कानून का कोई बड़ा सवाल होतो इस मुद्दे को अदालतों द्वारा देखा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में लिखा है- हम लोग, यानी सत्ता लोगों में, उनके जनादेश में, उनके ज्ञान में बसती है। भारतीय संसद लोगों के मन और इच्छा को दर्शाती है। जब भारत से सीधे सरोकार रखने वाले मुद्दों की बात आती है, तो हमें इस अवसर पर उठना चाहिए और केवल एक बात को ध्यान में रखना चाहिए ‘भारत का हित’।
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