बॉम्बे लीक्स , राजस्थान
जयपुर : कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में चेहरा बदलकर नेताओं संदेश दे दिया है कि अब किसी के दबाव के आगे पार्टी नही झुकेगी।नेतृत्व कौन करेगा यह अब विधायक नही बल्कि पार्टी हाईकमान तय करेगा।जिसके बाद अब राजस्थान की सियासत में भी नेतृत्व बदलाव के हवा चलने लगी है।जहां पर लंबे अरसे से सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट आमने सामने है।राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग सचिन पायलट खेमें की तरफ से की जाती रही है।
गौरतलब है कि पंजाब में नेतृत्व के बदलाव के बाद अब कांग्रेस हाई कमान कड़े फैसले लेने में किसी भी नेता के दबाव में नही आने वाला।ऐसे में अब कांग्रेस ने पंजाब के बाद राजस्थान में पार्टी का संकट खत्म करने की दिशा में रणनीति बनानी शुरू कर दी है। जिसके बाद अब सीएम गहलोत राजस्थान में अगले महीने तक मंत्रीमंडल में फेरबदल करने वाले है।जिसका मकसद कांग्रेस नेता सचिन पायलट गुट को बराबर की भागीदारी देना होगा।ऐसे में सरकार या पार्टी में सचिन पायलट की भूमिका को लेकर मंथन भी चल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक पायलट को राजस्थान कांग्रेस का दायित्व देने के साथ साथ सरकार में डिप्टी सीएम की भी पेशकश सामने रखी गई।जिसके बाद सचिन पायलट ने दोनों पद को ठुकरा दिया है।सचिन का कहना है कि वह राजस्थान सरकार का नेतृत्व कर चुके है।ऐसे में दोबारा इस पद ऑयर कार्य नही करना चाहते।वही दूसरी तरफ ऐसी ही परिस्थिति डिप्टी सीएम पर भी है।ऐसे में माना जा रहा है कि पायलट नेतृत्व परिवर्तन के बिना हार मानने वाले नही है।
वही दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान पंजाब की तरह राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने पर अभी विचार नहीं कर रहा है। गांधी परिवार के नजदीकी गहलोत को हाइकमान अभी राजस्थान में और वक्त देना चाहती है।हालांकि हाईकमान ने संगठन में बदलाव से इनकार भी अब तक नही किया है।
कांग्रेस के नेता सचिन पायलट की राहुल प्रियंका से लगातार मुलाकातें जारी है।सूत्रों के मुताबिक पार्टी आलाकमान पायलट का इस्तेमाल राष्ट्रीय राजनीति में करने का मन बना चुका है।वही पायलट ने साफ कर दिया है कि वह आगामी चुनाव तक राज्य की राजनीति में ही सक्रिय रहेंगे।
ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी पायलट को गुजरात जैसे राज्य में एक संगठनात्मक पद देकर भुनाना चाहती है।सचिन पायलट युवा नेता है हर राहुल प्रियंका के करीबी में गिने जाते है।ऐसे में सचिन पायलट को पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव की भी ज़िम्मेदारी दिए जाने की चर्चा पर मोहर भी लग जाने की चर्चा तेज़ हो चुकी है। पायलट और गांधी परिवार के बीच उनके दिल्ली स्थित आवास पर चर्चा उस समय हुई जब कांग्रेस ने पड़ोसी राज्य पंजाब में अपना मामला सुलझा लिया है।
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