बॉम्बे लीक्स ,राजस्थान
कनार्टक में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में फिर आपसी जंग शुरू हो गई। कांग्रेस के सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार बीच सीएम की कुर्सी के लिए खींचतान से फिर राजस्थान वाली ‘कलह’ सामने आई। हालांकि अब सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। शिवकुमार उप मुख्यमंत्री बनाया जाना तय हुआ है। इसी तरह 2018 में राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सत्ता बांटी गई थी।
गौरतलब है कि राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान बढ़ती जा रही है। भाजपा इस विवाद में अपना फायदा देखती नजर आ रही है। यहां तक कि गहलोत पर निशाना लगाने के लिए सचिन पायलट भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बहाना ले रहे हैं, लेकिन उन पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।भाजपा में वसुंधरा विरोधी कैंप को उम्मीद थी कि पायलट के कदम से उनको कुछ फायदा होगा, लेकिन कर्नाटक में हुए नुकसान से पार्टी राजस्थान में अपने सबसे लोकप्रिय नेता के खिलाफ कुछ भी कार्रवाई करने के प्रति सचेत हो गई है।वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों कांग्रेस ने 100 सीटें जीती थी। जब मुख्यमंत्री का नाम तय करने की बारी आई तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट में सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान शुरू हो गई। दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान के सामने 5 दिन तक रस्साकस्सी होती रही। अंत में कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया। 17 दिसंबर 2018 को गहलोत ने मुख्यमंत्री और पायलट ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन दिनों ऐसा माना जा रहा था कि ढाई साल बाद सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही वजह है कि आज तक गहलोत और पायलट के बीच नूरा कुश्ती जारी है।बता दें कि राजस्थान की तरह ही मध्यप्रदेश की सियासत में कांग्रेस के इतिहास में कुर्सी वाली कलह की कहानी दर्ज है। 2018 में जब कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया तब वहां भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच कुर्सी के लिए खींचतान शुरू हुई। तब आलकमान यानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जैसे तैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाया और सीएम की कुर्सी कमलनाथ को सौंप दी। यूं तो चुनौती थी कि मुख्यमंत्री अनुभवी नेता को बनाया जाए या युवा नेता की दावेदारी पर गौर किया जाए। इस दुविधा के बाद फैसला कमनाथ के पक्ष में रहा। यहीं से कांग्रेस पार्टी के भीतर खींचतान बढ़ती गई। बात इतनी बिगड़ी कि 15 महीने में ही सिंधिया ने बगावत कर दी। 18 साल पार्टी में रहे सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वॉइन कर ली।भाजपा के आंतरिक सूत्रों का मानना है कि शेखावत कैंप पायलट के इस आरोप से बेहद खुश है, जिसमें “राजे और गहलोत के बीच संबंधों का खुलासा होने की बात कही गई है।” शेखावत और राजे दोनों लोग अगले चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने पर सीएम पद के दावेदार हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे पर किसी भी तरह का दाग होने से शेखावत की दावेदारी मजबूत होगी। वैसे भी वसुंधरा राजे का हाईकमान में बहुत ही कम दोस्त हैं।
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