• देश मे सरकार के खिलाफ बोलने पर सस्पेंशन आर्डर का बढ़ता हुआ ग्राफ।
| बॉम्बे लीक्स लखनऊ |
मुंबई : सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाना उत्तर प्रदेश के एक अधिकारी को काफी महंगा पड़ गया।प्रदेश की योगी सरकार ने उस अधिकारी पर जांच बिठाकर सस्पेंड कर दिया।हालांकि बीजेपी शासन के दौरान यह कोई नया अचंभित करने वाला मामला नही है कि सत्ता मठाधीशो के खिलाफ आवाज़ उठाने ,सिस्टम के खिलाफ खड़े होने एवं अपने नैतिक अधिकारों की मांग करने वाले नागरिकों पर मामले न दर्ज किए गए हो।बल्कि सरकार से सवाल करने वाले विपक्षीय दलों ,समाजसेवकों एवं पत्रकारों पर भी आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे है।
फिलहाल ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश से जुड़ा है।जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोप में एक लेखपाल को योगी सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। जानकारी के मुताबिक जखनियां तहसील के उप जिलाधिकारी सूरज यादव के अनुसार ओड़रायी गांव में तैनात लेखपाल जितेंद्रनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी जोकि सरकारी सेवा नियमावली के विरुद्ध पाई गई।
अधिकारी के मुताबिक शिकायत मिलने के उपरांत मामले की जांच कराने के बाद आरोप सही पाए गए। जिसके बाद लेखपाल को सरकारी सेवा नियमावली का पालन न करने का दोषी करार देते हुये उसे निलंबित कर दिया गया। ख़बर के मुताबिक निलंबित लेखपाल जनपद मऊ के सरसेना गांव का रहने वाला है।
फिलहाल सरकार के खिलाफ बोलने पर सज़ा पाए जाने वाला यह कोई पहला अधिकारी नही है।इससे पहले भी सरकारी अधिकारी को पीएम के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए सस्पेंड किया जा चुका है। अप्रैल 2020 में मध्य प्रदेश के एक जॉइंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी द्वारा सोशल मीडिया पर पीएम मोदी पर तंज कसने के एवज उसे सस्पेंड कर दिया था।हालांकि विवाद बढ़ने पर उस अधिकारी ने पोस्ट डिलीट भी कर दी थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने गंभीरता से लेते हुए सस्पेंड कर दिया था।
सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के मामले में कई सरकारी अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। साल 2019 के आम चुनाव के दौरान ओडिशा के संबलपुर में मोदी के हेलीकॉप्टर की कथित रूप से जांच करने पर निर्वाचन आयोग ने ओडिशा के पर्यवेक्षक को निलंबित कर दिया था। कहा गया कि कर्नाटक कैडर के 1996 बैच के आईएएस अधिकारी ने एसपीजी सुरक्षा से जुड़े निर्वाचन आयोग के निर्देश का पालन नहीं किया। बताया गया कि एसपीजी की सुरक्षा प्राप्त लोगों को ऐसी जांच में छूट होती है।जिसका उलंघन किया गया।सरकार ने इसी नियम के उल्लंघन को लेकर अधिकारी पर कार्रवाई की थी।
ऐसे में देश मे सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने ,सवाल करना या न्याय की मांग करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है।लोगो पर नए नए मुकदमें पंजीकृत किये जा रहे है या फिर सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है।फिलहाल सरकार की इस हठधर्मिता के खिलाफ आवाज़ उठाये तो कौन !
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