Bombay Leaks Desk
यह सवाल नहीं बल्कि शाहिद अंसारी के खिलाफ़ दर्ज हुए झूटे मामलों को लेकर जो भूमिका उर्दू के दो छोटे से अख़बार ने निभाई है उनकी भूमिका को उजागर किया गया है सब से पहले उस उर्दू की ख़बर को पढ़ना ज़रूरी है तब हमारे निकट इस प्रशन का उत्तर बड़े ही आसानी से मिल जाएगा।ख़बर को पढ़ने के बाद कोई भी व्यक्ति यह बोलने से नहीं चूकेगा कि शाहिद अंसारी के ऊपर दर्ज हुए मामलों को लेकर न सिर्फ़ उर्दू के छोटे से अखबार ने अपनी भूमिका शाहिद की सुपारी के रूप में निभाई थी बल्कि शाहिद पर दर्ज हुए झूटे मामले को लेकर जमकर कर चाटूकारिता भी की थी।एक अख़बार को पैदा हुए मात्र कुछ ही महीने हुए लेकिन रग रग में चाटुकारिता भरी होने की वजह से इस अखबार में भी वहीं रंग नज़र आया लेकिन उनके मुंह में कालिख तब लग गई जब अंसारी के समर्थन में मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र के पत्रकार सड़कों पर उतर गए।सब से पहले पूरी ख़बर पढ़ें
मुईन मियां के खिलाफ़ झूटी रिपोर्ट पब्लिश करने वाले रिपोर्टर पर एफआईआर दर्ज
मुंबई 2 सितंबर: (स्टाफ रिपोर्टर) गुज़िश्ता दिनों पीर तरीकत नाजिश सुन्न्यत साहबज़ादा शहीद राहे मदीना हज़रत अल्लामा मौलाना मुईन उद्दीन अशरफ़ी अलजीलानी अलमारूफ मुईन मियां के बारे मे अंजुमन इस्लाम ट्रस्ट की प्रॉप्रटी क़बज़ा करने की ग़लत और बेबुनियाद रिपोर्ट पब्लिश करने के इलज़ाम में रिपोर्टर शाहिद अंसारी के खिलाफ़ आज हज़रत मुईन के एक मुतकिद फहद नियाजी ने नागपाड़ा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई नागपाड़ा पुलिस स्टेशन मे दर्ज एफआईआर सीआर नंबर 269/16 आईपीसी 295 a,500,501,504,153a.120b और दफ़ा 34 तहेत मामला दर्ज किया गया है।इस सिलसिले मे शिकायत कनंदह फहद नियाज़ी ने बताया कि शाहिद अंसारी ने अपनी रिपोर्ट में जिस ग्राउंड की बात कह कर हज़रत के ख़िलाफ़ माहौल बनाया वह बेबुनियाद है और इस रिपोर्ट से हमारे जज़बात मजरूह हुए हैं।उन्होंने कहा कि इस मैदान पर हमेशा ईद की नमाज़ होती रही है जिस मैदान पर शाहिद अंसारी ने क़बज़े का इल्ज़ाम लगाया है।ईदगाह मैदान के इमाम सूफी मुहम्मद उमर के मुताबिक यह मैदान वक्फ़ में ईदगाह मैदान के नाम पर रजिस्टर्ड है-फहद नियाज़ी का कहना है कि शाहिद अंसारी पर रियासत भर के मुख़तलिफ़ इलाक़ो से एफआईआऱ दर्ज कराई जा सकती है क्योंकि लोग नाराज़ हैं।उन्होंने मज़ीद बताया कि शाहिद अंसारी जैसा सहाफ़ी सहाफ़त के लिए बदनुमा दाग़ है और हम उसे कैफे किरदार तक पहुंचा कर दम लेंगे।जबकि इस ज़िम्न में हज़रत मुईन मियां ने कहा कि शाहिद अंसारी जैसा झूटा रिपोर्टर सहाफ़त के लिए क्लंक है इस जैसे झूटे सहाफ़ी से अवाम को होशियार रहना चाहिए।
इस ख़बर के प्रकाशित किए जाने के बाद इस अखबार ने दूसरी ख़बर प्रकाशित करते हुए शाहिद अंसारी के विरुद्ध ली गई सुपारी को सच साबित किया यह ख़बर जिस प्रकार से प्रकाशित की गई अख़बार ने यह 3 सितंबर को छापी है लेकिन शाहिद अंसारी की सुपारी जिस प्रकार से ली गई उसे एक तथाकथित उर्दू पत्रकार ने एक दिन पहले ही सोशल साइट पर वायरल कर चाटुकारिता की फहरिस्त में अपना नाम सब से ऊपर दर्ज कराया लेकिन इसकी हिम्मत नहीं हो सकी की वह ख़बर में भी अपना नाम लिखे।इस पत्रकार ने शाहिद अंसारी से कभी 20 हज़ार रूपए उधार मांगे थे न देने पर शाहिद अंसारी के विरूद्ध ली गई सुपारी में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।इस ख़बर को भी जरूर पढ़ें ताकि यह पता चल सके की जब एक पत्रकार भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करता है तो उसके विरुद्ध उर्दू मीडिया के अख़बार की क्या भूमिका होती है।ऐसे अखबार जिसको शुरू हुए ही चंद दिन हुए हों उसका आगाज़ अगर यह है तो अंजाम क्या होगा ज़ाहिर सी बात है अगर चाटुकारिता नहीं करेगा तो विज्ञापन कहां से मिलेगा।ख़बर का टाइटल जिसमें अखबार खुद अपने विचार प्रकट करता है।
मुईन मियां के खिलाफ़ झूटी रिपोर्ट पब्लिश करने वाले रिपोर्टर पर एफआईआर दर्ज
मीडिया ने तो देश के प्रधान मंत्री को भी मोदी कह कर ही संबोधित किया है क्योंकि प्रोफेश्नल और कार्पोरेट मीडिया माडिया के उन सारे उसूल और नियमों का पालन कर समाज को आएना दिखाने का काम करती है नाकि उर्दू मीडिया के तथाकथित मीडिया संस्थाओं के जैसे जो कौम की बेबसी और कमज़ोरियों की आड़ में अपना बैंक बैलेंस बढ़ाए चाल जाते हैं और उस समाज को जिसके नाम पर यह उर्दू अख़बार की दुकानदारी चलाते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि यह मुसलमानों के विरोध में बोलने वालों को अपने इस अखबार के माध्यम से मुंह तोड़ जवाब देंगे।अंसारी के मामले में जिस तरह से सुपारी ली गई और अंसारी को एक विलन के रूप में समाज के सामने पेश करने की कोशिश की गई जिसमें मुईन मियां की शान में लंबे चौड़े नामों के साथ कसीदे पढ़े हैं उसे पढ़ कर कोई भी यह अंदाज़ा लगा सकता है कि विलन कौन है और सच्चा पत्रकार कौन है और उर्दू मीडिया ने किसकी सुपारी ली है । पीर तरीकत नाजिश सुन्न्यत साहबज़ादा शहीद राहे मदीना हज़रत अल्लामा मौलाना मुईन उद्दीन अशरफ़ी अलजीलानी अलमारूफ मुईन मियां
लेकिन जब शाहिद अंसारी के समर्थन में मुंबई प्रेस क्लब,टीवी जर्नलिस्ट एसोसिएशन,मराठी पत्रकार संघ,मराठी पत्रकार परिषद,मंत्रालय वार्ताहार संघ जैसी बड़ी और धुरंधर युनियन मैदान मे उतर आई तो इस तथाकथित उर्दू अखबार जिसने शाहिद अंसारी की सुपारी ली थी उनके मुँह में कालिख पोती हुई दिखाई दी।आलम यह रहा कि इनके खुद के पत्रकार अपने मालिकों को गालिंया बक रहे थे।क्योंकि अंसारी की भले ही सुपारी उर्दू अखबार ने ली हो लेकिन अंसारी ने जिस मामले में मुईन मियां को बेनकाब किया और उसके बाद पत्रकारों ने इस मामले को गंभीरता से लेकर राज्य भर में सड़कों पर उतरे।अंजुमन इस्लाम ने मुईन मियां के खिलाफ़ शाहिद अंसारी की खबर के बाद कई पेटीशन फाइल किए।इस बात से यह साबित होता है कि शाहिद अंसारी ने इस खबर के बाद न सिर्फ किसी धार्मिक माफिया के चेहरे से मजहब का मुखौटा उतारा बल्कि उसकी असलियत जनता के सामने दिखा दी।जिसके बाद जनता को इस बात का अंदाज़ा हो गया कि शाहिद अंसारी की खबर झूटी नहीं बल्कि दर्ज की गई एफआईआर झूटी है और यह उन सुपारीबाजों के मुंह पर एक ज़ोर दार तमाचा है जिसकी गूंच समाज में मौजूद उन मज़हबी माफिया,भूमाफिया के कानों तक सुनाई दी है।
सब से पहले उर्दू अख्बार के उन बुद्धिजीवों को यह जान लेना चाहिए कि कौम का दर्द बांटने के नाम पर उन्हें मोहरा बना कर अपनी दुकानदारी करना यह पत्रकारिता नहीं है और रही बात किसी पत्रकार के मजहब की तो पत्रकार का कोई मजहब नहीं होता और अगर मजहब होता है तो वह पत्रकार नहीं बल्कि उस समाज के लिए वह नासूर है जिसके दुख और दर्द को बांटने के नाम पर वह अपनी दुकानदारी चलाता है।सब से खास बात तो यह है कि छोटे से उर्दू अखबार जो कौम को असमाजिक तत्वों से बचाने की डेंगें मारते फिरते हैं लेकिन अपने घर में रचे अभिमन्यु के चक्र को तोड़ने में नाकाम साबित हुए और अपने ही घर में मलयुद्ध करने लगे।समाज का ठेका लेने वाले यह बुद्धजीवी उर्दू अखबारात के मालिकों ने अपने घर को संभालने में असमर्थ रहे लेकिन शाहिद अंसारी द्वारा लिखी गई ख़बर का खंडन करने और चाटुकारिता करने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ी।
इन उर्दू अखबार वालों ने कौम की तर्जुमानी का ठेका ले रखा था लेकिन खुद के घर की तर्जुमानी करने में फिर असमर्थ रहे और मामला यह रहा कि अखबार के नाम पर ऊपरी कमाई खाने के चक्कर में चाचा भतीजे आपस में ही मरने कटने लगे जिसकी वजह से चाचा भतीजे में ज़बरदस्त पंगा हो गया जिसके बाद भतीजे ने दूसरा अख़बार शुरू किया।लेकिन जनता को यह ध्यान रखना चाहिए कि भले ही दोनों के गोरख धंधे अलग हो गए हैं लेकिन लक्ष्य दोनों का चाटुकारिता ही है।जल्द ही इनके पारिवारिक युद्ध और उसके पीछे का कारण क्या है वह भी प्रकाशित किया जाएगा।ताकि समाज में मौजूद हर व्यक्ति को इस बात का अंदाज़ा हो जाए कि उर्दू अखबार की आंड़ लेकर असल में चल क्या रहा है।
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