बॉम्बे लीक्स ,नई दिल्ली
दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच सियासी संग्राम तेज़ होता जा रहा है।अब दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी पलट दिया है। ऐसे में एक बार फिर दिल्ली और केंद्र सरकार की जंग अदालत की चौखट पर पहुंचने के आसार दिखने लगे है।जानकारों के मुताबिक अगर दिल्ली सरकार केंद्र के अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है ,तो केंद्र को यह साबित करना होगा कि इस मामले में ‘तत्काल कार्रवाई’ की आवश्यकता थी और अध्यादेश सिर्फ विधायिका में बहस और चर्चा को दरकिनार करने के लिए जारी नहीं किया गया था।
गौरतलब है कि दिल्ली में अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का मामला दिल्ली सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने दिया हुआ है।लेकिन इस फैसले को केंद्र सरकार ने पलट दिया है।केंद्र सरकार की तरफ से नौकरशाहों की पोस्टिंग और तबादलों को लेकर फैसला लेने के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने और ऐसे मामलों पर उपराज्यपाल को अंतिम मध्यस्थ बनाने के लिए केंद्र की ओर से गुरुवार को एक अध्यादेश लाया गया।इसको लेकर दुनिया के कई मामलों का अध्ययन किया गया। पाया गया कि देश की सुरक्षा और घरेलू निवेश को चलाने के लिए दिल्ली की प्रमुख स्थिति महत्वपूर्ण है।रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में काम करने वाले नौकरशाहों की शिकायतें हैं, जो अक्सर दिल्ली के सीएम और एलजी के झगड़े में फंस जाते थे।ऐसे में केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलट दिया। दरअसल, केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया है उसके मुताबिक दिल्ली सरकार अधिकारियों की पोस्टिंग पर फैसला जरूर ले सकती है लेकिन अंतिम मुहर उपराज्यपाल ही लगाएंगे। मुख्यमंत्री तबादले का फैसला अकेले नहीं कर सकेंगे।साथ ही केंद्र सरकार ने दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अफसरों की ट्रांसफर- पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को देने के 11 मई के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। बता दें कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकीन दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिन बाद 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया। अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी LG का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा।वही केंद्र सरकार ने अब 20 मई को सुप्रीम कोर्ट पहुंच का रुख करते हुए मामले पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल की है।सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की याचिका पर अब पांच जजों की बेंच अपने फैसले पर फिर से विचार कर सकती है।
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