तलब और लत बहुत ही बुरी चीज होती है यह जरूरी नहीं की यह तलब और लत केवल नशे की ही हो बल्कि यह किसी भी चीज की हो सकती है फोटो खिचवान और उसे वायरल करना , जरूरतमंदों,मिस्किनों, गरीबों , भुकों को खाना खिलाना यह मात्र इस्लाम ही नहीं हर धर्म में इसको बहुत महत्व दिया गया है लेकिन यह सब कर के उसकी फोटो बाज़ी कर के वाहवाही लूटना इसे किसी भी मज़हब में जायेज़ नहीं कहा गया बल्कि ऐसा करने से मना किया गया है।
यह किसी लत और तलब से कम नहीं ऐसी मानसिकता वाले लोगों के बारे में मनोचिक्तिसक का कहना है की यह भी एक मानसिक बीमारी है जिसका शिकार वाहवाही बटोरने और चमकिशगिरी करने वाला कोई भी हो सकता है जिसकी ताज़ा मिसाल आजाद मैदान दंगे और हत्या के मुख्य आरोपी दो टांकी के बाहुबली तोड़ूए नागपाड़ा श्री श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली हैं।
बाबा बंगाली इन दिनों तुर्की में भुकंप से पीड़ितों की मदद की दावेदारी करते हुए तुर्की पहुंचे हुए हैं हालांकि बंगाली बाबा के पंटर जिस मदद की बात से वाहवाही बटोरने की फिराक में जम कर वीडियो और फोटो बाज़ी कर के वायरल कर रहे हैं वह वहां के पीड़ितों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा है बावजूद बंगाली बाबा का पंटर अकरम खान तड़ीपार कई मीडिया हाउसेस को काल कर के इसे अख़बार में छापने के लिए कह रहा है ताकि मीडिया मीडिया पब्लिसिटी पब्लिसिटी का भूत जो सर पर सवार है उसे उतारा जा सके।हालांकि तुर्की में पीड़ितों की सहायता के लिए भारत समेत कई देशों से रसद भेजी जा रही है खुद तुर्की सरकार भी पीड़ितों के लिए कदम कदम पर सहायता केंद्र बना कर रखे हैं।लेकिन किसी को वीडियो या फोटो बाज़ी की नहीं पड़ी सिवा बंगाली बाबा बंगाली के।
बंगाली बाबा अपने गुर्गों के साथ तुर्की में इस सहायता की आड़ में जमकर मौज उड़ा रहे हैं और मौका मिलते ही ऊंट के मुंह में जीरा वाली रसद सहायता के नाम पर कुछ लोगों को दे कर अपने पंटरों से फोटो और वीडियो बनवाते हैं ताकि उन पीड़ितों की वीडियो और फोटो भारत में वायरल कर के अपनी कॉलर टाइट को जा सके और जम कर वाहवाही बटोरी जा सके।
मनोचिक्त्सक मानते हैं की यह एक तरह को मानसिक बीमारी होती है ऐसा आदमी इस तरह की फोटो और वीडियो जब तक बनवा नहीं लेता और उसे वायरल नहीं कर लेता और उस वायरल पर कुछ लोग जब तक उसकी प्रशंसा और वाहवाही से न नवाजें तो उसे नींद नहीं आती उसे बेचैनी होती है और इस बेचैनी को दूर करने के लिए उसे हर हाल में ऐसा करना ही होगा।
हालांकि इस्लाम में और शरीयत में साफ शब्दों में लिखा गया है की मदद ऐसी करो की एक हाथ से देने के बाद दूसरे हाथ को पता तक ना चले लेकिन कुछ लोग जो शरीयत और इस्लाम और समाज के ठेकेदार होने का दावा करते हैं वही इस तरह को जिहालत में पेश पेश रहते हैं।
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