बॉम्बे लीक्स , दिल्ली
दिल्ली : देश में अग्निपथ स्कीम मामले ने अब भर्ती प्रकिर्या को लेकर तूल पकड़ लिया है।योजना में हो रही प्रकिर्या को लेकर भाजपा नेताओं ने ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिए है।जिसके बाद सरकार और सेना को इस मुद्दे पर सफाई पेश करना पड़ रही है।मामले में भर्ती को लेकर जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने का आरोप लगने लगा है।जिसे लेकर अब भारतीय सेना की तरफ से सफाई पेश की गई है।
सैन्य अधिकारियों का कहना है कि अग्निपथ योजना के तहत सैन्य भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है।कहा गया कि प्रशिक्षण व तैनाती के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों का अंतिम संस्कार करने के लिए धर्म का पता होना आवश्यक होता है। इससे उनका अंतिम संस्कार उसी धर्म के मुताबिक किया जाता है। वही रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन सवालों को महज अफवाह बताया है।
राजनाथ सिंह ने कहा, सैन्य भर्ती की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पुरानी प्रक्रिया को ही जारी रखा गया है। उन्होंने कहा, यह प्रक्रिया आजादी के पहले से चली आ रही है।अग्निपथ योजना के लिए जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सियासत शुरू हो गई थी।जिसे लेकर भाजपा के अंदर ही नाराजगी सामने आने लगी है।
भाजपा सांसद वरुण गांधी, आप सांसद संजय सिंह और एनडीए के सहयोगी जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सैन्य भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सवाल खड़े किए हैं।इस विवाद को लेकर विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है।वही इस विवाद को लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह कर ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं।
जिसके बाद योजना पर विवाद बढ़ता देख सरकार और भाजपा ने अपने स्तर पर स्पष्टीकरण दिया। वही इसे लेकर सेना का बयान भी आ गया। इस भर्ती प्रकिर्या में सर्टिफिकेट के ऊपर। लगाया जा रहा लाल रंग का निशान का स्क्रीनशॉट तेजी से शेयर किया जा रहा है। जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर स्वयं भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।
AAP सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना में भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको ‘अग्निवीर’ बनाना है या ‘जातिवीर’।वही इस मुद्दे पर सैन्य अधिकारियों का कहना है कि अग्निपथ योजना (Agnipath Yojana) के तहत सैन्य भर्ती प्रक्रिया में किसी प्रकार का कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।उन्होंने कहा, जाति/धर्म इत्यादि जैसे सर्टिफिकेट भर्ती के दौरान सेना में हमेशा से मांगे जाते हैं।इसमें नया कुछ नहीं है।
सरकार की इस अग्निपथ स्कीम के खिलाफ दिल्ली से बिहार तक सियासत शुरू हो गई। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने तंज कसा, ‘जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की’। आरजेडी नेता ने कहा, ‘आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर अग्निपथ व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी।
सेना में जब आरक्षण है ही नहीं, तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?’ उन्होंने आगे कहा कि संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा।
अब सेना ने सफाई पेश की है कि हमारे जवान सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऐसे में शहीदों के अंतिम संस्कार के लिए धर्म जानना जरूरी होता है इसलिए जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ती है। जाति और धर्म प्रमाण पत्र पहले भी मांगा जाता रहा है। यह परंपरा दशकों से चली आई है। जैसे ही सेना में भर्ती होती है धर्म और जाति पूछी जाती है। सेना के पास सैनिक की पूरी जानकारी होनी चाहिए। सेना हर तरह से सैनिक की परंपरा का ख्याल रखती है।
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