बॉम्बे लीक्स
मुंबई : ट्रैफिक पुलिस ने मुंबई में हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर काबू पाने के लिए सख्ती बरतनी शुरू कर दी है।ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक अब शहर में आज 11 नवंबर से कार में सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य कर दिया है। नियम के मुताबिक सीट बेल्ट न लगाने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी। वही वाहन पर पिछली सीट पर बैठे यात्रियों के लिए भी सीट बेल्ट अनिवार्य कर दी गई है।
टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मौत के बाद अब मुंबई पुलिस ने कार की पिछली सीट पर बैठने वालों को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य कर दिया है।1 नवंबर यानी आज से सीट बेल्ट नहीं लगाने पर कार्रवाई की बात थी लेकिन अब आज से जनजागृति करने का फैसला लिया गया है।यही नही अब 1 नवंबर से नियम उलंघन पर ई चालान भी काटा जाएगा।मुंबई ट्रैफिक पुलिस के अनुसार 11 नवंबर से अगर कोई बिना सीट बेल्ट लगाये पकड़ा गया तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।
मुंबई में 10 दिनों तक सीट बेल्ट जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।ऐसे में अब आगे की तरह पिछली सीट के नियम को भी अब फॉलो करना होगा।क्योंकि अगर आपने सीट नहीं लगाई बेल्ट तो भारी पेनाल्टी के लिए भी तैयार रहिएगा। पुलिस ने सख्त चेतावनी दी है कि सीट बेल्ट के उलंघन पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। न्यूज एजेंसी ANI की खबर के मुताबिक, मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने अब सोमवार से सीट बेल्ट जागरूकता अभियान शुरू किया जो 10 दिनों तक चलेगा।
इसके बाद आगामी 11 नवंबर से बिना सीट बेल्ट के कारों में बैठे पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।यहां तक कि पिछली सीटों पर भी सीट बेल्ट जरूरी होगा।ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ मोटर वाहन (संशोधन), अधिनियम, 2019 में धारा 149 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि मुंबई से करीब 120 किलोमीटर दूर 4 सितंबर को अपराह्न करीब तीन बजे हुए सड़क हादसे में स्त्रीरोग विशेषज्ञ अनाहिता पंडोले (55) और उनके पति डेरियस पंडोले (60) बच गए। वहीं, साइरस मिस्त्री (54) और डेरियस के भाई जहांगीर पंडोले की मौत हो गई थी। अनाहिता ने पुलिस को बताया था कि मिस्त्री और जहांगीर पिछली सीटों पर बैठे थे, वहीं डेरियस अगली सीट पर थे और गाड़ी अनाहिता चला रही थीं।
75 साल की उम्र में जब रतन टाटा ने टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष पद को छोड़ा था तो 2012 में साइरस मिस्त्री कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। मिस्त्री 2006 में एक निदेशक के रूप में टाटा समूह के साथ जुड़े थे।इससे पहले टाटा कंपनियों के कई अन्य बोर्ड में गैर-कार्यकारी पदों पर उन्होंने सेवा दी थी। मिस्त्री 142 वर्षों के इतिहास में टाटा परिवार के बाहर के दूसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने समूह का नेतृत्व किया था। हालांकि, मात्र चार साल बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।
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