डेस्क
मुंबई : 2611 आतंकी हमलों में मुंबई पुलिस के कई जाबांज़ अफसर शहीद हुई और कई ऐसे अफसर जो अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकियों से लड़ाई लड़ी और उन्हें मौत के घाट उतार दिया लेकिन कुछ ऐसे भी निकम्मे लोग इस विभाग में मौजूद हैं जो इस हमले के दौरान आतंकियों की गोली से बचने के लिए घर में छुपे बैठे थे और जब हमलों को कई महीने बीत गए तो उन्होंने उस पर मन गढ़त कहानी बना कर खुद को हीरो बना लिया।
जादू के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने वाले चापलूस पुलिस अफसर सुभाष दगड़खेर जो कि कामा हॉस्पिटल की गली में मौजूद सरकारी आवास में रहते हैं। 2611 की रात जब आतंकी सीएसटी पर गोली बारी कर रहे थे तब यह महाशय घर की कुंडी लगाकर डर के मारे घर से बाहर ही नहीं निकले।
लेकिन जब बहादुर पुलिस वालों के नाम का जिक्र शुरु हुआ तो यह महाशय भी न केवल उस फहरिस्त में रहे बल्कि अखबारों से लेकर सोशल साइट पर खुद को आतंकियों से मुकाबला करने वाला बताया और कहा कि नरीमन हाउस में वह एनएसजी कमांडों के साथ जमकर लड़ाई लड़ी और आतंकियों को मार गिराया।
जबकि हमलों के दौरान एनएसजी की कार्रावाई की गवाह ने केवल मीडिया बनी बल्कि मुंबई की जनता ने भी देखा कि तरह उन्होंने अपनी जान पर खेल कर लोगों की हिफाज़त की। अब इनकी कार्रवाई का व्याख्यान ऐसे ही है कि जंगल में मोर नाचा किस ने देखा।
जबकि सच्चाई यह है कि इनका आतंकी हमलों से कोई लेना देना ही नहीं लेकिन महाशय की मनगढ़त कहानी से वह अफसर पर झूटे साबित होने लगे जिन्होंने 10 साल पहले इस हमले में अहम भूमिका निभाई थी जिन म अरुन जाधव, हेमंत बौधनकर जैसे लोग काबिल-ए-जिक्र हैं जबकि वह 17 लोग जो शहीद हुई उनकी शहादत को भुलाया नहीं जा सकता।
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