मनपा आयुक्त शिक्षा विभाग समेत संबंधित अधिकारियों की जांच करने के बजाय स्थायी समिति सदस्यों को ही जारी किया नोटिस
भिवंडी मनपा द्वारा संचालित उर्दू प्राथमिक विद्यालयों के 105 शिक्षकों के तबादले उस प्रस्ताव को स्थायी समिति ने 27 अगस्त को सिरे से खारिज करते हुए लगभग तीन दर्जन तबादला पाने वाले उर्दू शिक्षकों को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू करने और उच्च स्तरीय जांच कराए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिया था. इस प्रस्ताव के पारित होते ही बौखलाए मनपा आयुक्त ने उच्च स्तरीय जांच कराने की बजाय इस मामले पर आवाज उठाने वाले और मनपा प्रशासन पर जिला बदली में कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले स्थायी समिति के तीन सदस्यों को तीन दिन में आरोप के साक्ष्यों के साथ जवाब देने का नोटिस जारी किया है, आयुक्त के इस कदम से जनप्रतिनिधयों और शहर के नागरिकों में रोष व्याप्त है.
मालूम हो कि अगस्त के पहले सप्ताह में 9 उर्दू शिक्षकों का तबादला करते हुए 28 और की फाइल तैयार करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर सेवको व स्थायी समिति के सदस्य हलीम अंसारी, प्रशांत लाड और अरुण रावत ने हो रहे तबादले को फौरन रोकने और उच्च स्तरीय जांच कराने पत्रक मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख को सौंपते हुए 27 अगस्त को स्थायी समिति की हुई बैठक में इस मुद्दे को एजेंडे में शामिल करके105 उर्दू शिक्षकों के तबादले पर रोक लगाते हुए स्थान्तरित हो चुके शिक्षकों को वापस लाने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दिया था. इस प्रस्ताव के बाद भी मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख ने इस मामले की जांच करने के बजाय एक सितंबर को तीनों स्थायी सदस्यों को समाचार पत्रों में छपी ख़बरों से मनपा की बदनामी का हवाला देते हुए नोटिस जारी किया है. भिवंडी मनपा के इतिहास में पहली बार किसी मनपा आयुक्त ने स्थायी समिति सदस्य और चुने हुए जनप्रतिनिधि को जनहित के मुद्दों को लेकर आवाज उठाने पर इस प्रकार का नोटिस कभी नहीं दिया था.
ब्लकि होना तो ये चाहिए था कि मनपा आयुक्त उर्दू शिक्षकों के तबादले में शामिल शिक्षा विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों और संबंधित विभाग की एक निष्पक्ष जांच का आदेश देते जिससे चुने हुए जनप्रतिनिधियों और नागरिकों में प्रशासन के प्रति विश्वास बहाल होता, आयुक्त द्वारा दी गई नोटिस के बाद तीनों सदस्यों ने स्पष्ट किया कि वे पूरे दस्तावेजी साक्ष्य के साथ उक्त नोटिस का जवाब देंगे.
सनद रहे कि मनपा संचलित उर्दू प्राथमिक विद्यालयों के 105 शिक्षकों के तबादले का प्रस्ताव सन 2018 में तत्कालीन प्रशासनाधिकारी ( A.O) बीएम मोहते ने मनपा मुख्यालय भेजा था, लेकिन उन्होंने इस रिपोर्ट के साथ ही 100 उर्दू शिक्षकों की कमी की रिपोर्ट भी भेजा था मगर इस कमी को नज़रअंदाज करते हुए अचानक स्थानांतरण का खेल शुरू हो दिया गया था. जिसको लेकर स्थानीय नागरिकों ने काफी हंगामा किया जिसके कारण यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था और रह रह कर इक्का दुक्का तबादले भी हो रहे थे मगर अचानक अगस्त 2021 के पहले सप्ताह में वर्तमान मनपा प्रशासन ने 9 उर्दू शिक्षकों का स्थानांतरण कर 28 की फाइल तैयार करने में लग था जिसकी सुन गुन लगते ही स्थानीय नगरसेवकों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया था प्रशासन की हटधर्मी को देखते ही जिला बदली के यह पूरा मामला अरुण राउत, प्रशांत लाड, हलीम अंसारी स्थायी समिति लेकर गए और प्रशासन के इस मुद्दे पर जमकर चर्चा किया मगर मनपा प्रशासन इस मामले पर स्थायी समिति को संतुष्ट कराने में विफल रहा जिसको देखते हुए सर्व सम्मति से 105 उर्दू शिक्षकों की ज़िला बदली को रद्द करते हुए जांच कराए जाने के प्रस्ताव को पारित किया अब मनपा प्रशासन अपने अधिकारियों की गलती छिपाने और शिक्षकों के स्थानांतरण को सही साबित करने में जी जामे से लगा हुआ है जबकि तीनों सदस्य मनपा प्रशासन से जनहित के मुद्दे पर दो दो हाथ करने की तैयारी में लगे हुए हैं.
Post View : 63623