बॉम्बे लीक्स, महारास्ट्र
मुंबई : महारास्ट्र सरकार पर मौजूदा संकट के बीच कयासों का बाज़ार गर्म है।शिवसेना से बागी हुए ठाकरे परिवार के करीबी कहे जाने वाले एकनाथ शिंदे के हाथ में महारास्ट्र सरकार की कमान आ चुकी है।वहीं महारास्ट्र पुलिस के नाक के नीचे से सत्ताधारी पार्टी के 22 विधायको के राज्य से बाहर निकल जाने को लेकर इंटलीजेंस की कार्यशीलता पर सवाल खड़े होने लगे है।
यह सवाल किसी बाहरी दल या नेता ने नही बल्कि स्वयं उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने खड़े किए।एनसीपी प्रमुख शरद पवार एमवीए सरकार में बड़े भाई की भूमिका अदा करते आ रहे है।ऐसे में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपनी ही पार्टी के नेता जोकि गृह मंत्रालय संभाल रहे है उनसे ही फेलियर हुई इंटलीजेंस पर सवाल कर दिए।
सीएम ठाकरे और शरद पवार स्टेट इंटलीजेंस और ग्रह मंत्रालय से खासा नाराज़ है।शरद पवार ने इसके लिए स्वयं एनसीपी नेता और सरकार ने गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल से सवाल कर डाला था।वही ग्रह मंत्रालय सूत्रों से खबर आ रही है कि इस बात से एसआईडी यानि महारास्ट्र स्टेट इंटलीजेंस विभाग सरकार सीएम और गृह मंत्रालय को 2 माह पहले ही अवगत करा चुका था।बताया जा रहा है कि एसआईडी ने पहले से इस बात की सूचना सरकार और ग्रह विभाग को पहुचा दी थी।बताया गया था कि शिवसेना के 10 से 15 विधायक लगातार भाजपा के संपर्क में है।SID ने इस बात से भी अवगत करा दिया था कि वे न सिर्फ भाजपा के संपर्क में है बल्कि पार्टी से बगावत भी कर सकते है।SID की सूचना के मुताबिक मुंबई के पश्चिमी उपनगर , थाने, रायगढ़ सहित राज्य के अन्य जिलों के शिवसेना विधायक लगातार बीजेपी नेताओं के संपर्क में रहकर बगावत कर सकते है।लेकिन SID की सूचना में दूर दूर तक भी एकनाथ शिंदे का कही कोई जिक्र नही किया गया था।
बताया जा रहा है कि खुफिया सूचना को स्वयं सीएम ठाकरे द्वारा हल्के में लिया गया।क्योंकि सरकार और होम मिनिस्ट्री राज्य की अन्य गतिविधियों में व्यस्त रही।सरकार लाउडस्पीकर ,राणा दंपती और राज्य में प्रदर्शन जैसे मुद्दों पर नजर बनाए हुए थी।वही दूसरी तरफ कहा यह भी जा रहा है कि सरकार को इस बात का गुमान था कि अगर शिवसेना के 10-15 विधायक विपक्ष से मिल भी गए तो सरकार पर टूट का इसका कोई असर नही पड़ेगा।कहा जा रहा है कि भाजपा को इसका पूरा फायदा मिलता रहा।क्योंकि भाजपा ने ही महारास्ट्र सरकार को इन मुद्दों में उलझाये रखने की सियासत खेल डाली।और उधर 10 से 12 के विधायकों का गुट बढ़ता हुआ सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया।हालांकि खबर यह भी है कि 20 जून के बाद से शिवसेना के विधायकों का फोन नोट रिचेबल होने पर खुफिया विभाग पर सरकार ने बिल फाड़ दिया था।जिसके बाद सरकारी वर्षा बंगले पर कमिश्नर तक को तलब कर लिया गया था।इस मसले पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी ग्रह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल से कई सवाल कर डाले थे।
राज्य की SID राजनीतिक गतिविधियों ,आंदोलनों, अपराधों के साथ-साथ असामाजिक, आतंकवादी और माओवादी गतिविधियों पर सरकार को अग्रिम सूचना प्रदान करती है।कहा जाता है कि एसआईडी ऐसी गोपनीय सूचनाएं सरकार को मौखिक रूप से देती है।जिसके बाद सरकार सूचना के मुताबिक ऐसे हालातों पर एलर्ट हो जाती है।वही कहा यह भी जा रहा है कि जब SID ने 2 माह पूर्व ही इसकी सूचना से अवगत करा दिया था तो सरकार की तरफ एक्शन क्यों नही लिया गया। सवाल यह भी उठ रहे है कि क्या सरकार को पहले से ही ऐसे ही बगावत की जानकारी थी?
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