• यूपी विधान सभा चुनाव में खेल गई ब्राह्मण शस्त्र का कार्ड-बिकरू कांड पर घेरा बीजेपी को कहा बसपा लड़ेगी खुशी दुबे का केस।
लखनऊ ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए बीएसपी ने ब्राह्मण शस्त्र फेंककर सत्ताधारी बीजेपी समेत संपूर्ण विपक्ष के लिए परेशानियां खड़ी कर दी है। बीएसपी सुप्रीमो द्वारा बनाये गए इस प्लान के बीच विपक्षीय दलों के लिए चारों खाने लगभग चित हो चले है।मायावती के प्लान के मुताबिक इस बार उनका वोट बैंक ब्राह्मण होगा। उत्तर प्रदेश का 16 फीसदी ब्राह्मण राज्य की सत्ता में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता रहा है।हालांकि होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शिखर से धरातल पर सिमटी बहुजन समाज पार्टी को सबसे कमजोर दल के रूप में आंका जा रहा था। लेकिन यूपी की राजनीति की मंझी खिलाड़ी मायावती ने अचानक बिकरु कांड का समर्थन कर ब्राह्मणों को साधने का तीर छोड़ यूपी के सियासती पटल पर अपनी मौजूदगी का अहसास करा दिया।
यूपी की सियासत में अपनी धमक बरकरार रखते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अयोध्या में प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठ कर चुनावी शंखनाद के साथ विधानसभा चुनाव में जोरदार वापसी की है। मायावती के इस दावँ के बाद खामोश बैठे बीएसपी कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार देखने को मिलने लगा है। जिसके बाद बीएसपी सुप्रीमो के आदेश पर बूथ स्तर से बहुजन – ब्राह्मण भाईचारा अभियान की शुरूआत होने जा रही है।
राजनीति की मंझी माहिर खिलाड़ी बीएसपी सुप्रीमो मायावती स्वयं अपनी पार्टी का एक चेहरा है। पार्टी में मायावती के अलावा कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं है। माया के बारे में कहावत है उनका स्वभाव काफी अड़ियल रवैये के है।जिसके चलते बीएसपी सुप्रीमो के सभी बड़े सहयोगी उनका साथ छोड़कर चुके है।पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर और लालजी वर्मा सरीखे नेता बसपा को बोझ लगने लगे थे। बहुजन समाज पार्टी में विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के निष्कासन का असर प्रदेश के समस्त जिलों में देखने को मिलने लगा था। जिसके बाद पार्टी को जमीनी स्तर पर गहरा धक्का लगकर शून्य पर पहुचने की सुगबुगाहट थी।जिसके बाद यूपी चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती अपने राजनीतिक दांव के साथ न सिर्फ सामने आई।बल्कि विरोधियों को चारो खाने चित्त करते हुए फिर पार्टी में नया जोश भर दिया है।
बीएसपी सूत्रों के मुताबिक माया के प्लान की शुरुआत कानपुर मंडल की 27 विधानसभा सीटों से हो रही है।जिसके बाद बीएसपी कार्यकर्ता सक्रियता के साथ सभी बूथ में जाकर ब्राह्मण-भाईचारा अभियान का सन्देश देंगे। जहां पर ब्राह्मणों को उनके मान सम्मान का रास्ता बहुजन समाज पार्टी की तरफ का दिखाया जाएगा।विपक्षी दलों द्वारा ब्राह्मणों को इस्तेमाल किये जाने के बारे में बताया जाएगा।
मायावती के दावँ में बिकरु कांड का मुद्दा ब्राह्मणों को बसपा की छतरी के नीचे लाने में अहम रोल अदा कर सकता है।बसपा के मुताबिक बिकरू कांड में बेकसूर खुशी दुबे को जेल में डालकर गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज किया गया है। कहा कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे यदि अपराधी था तो उसे अदालत के सामने पेश क्यों नही किया गया। विकास दुबे समेत उसके 6 साथियों को सत्ता धारी सरकार ने एनकांउटर में मार दिया।जोकि ब्राह्मणों के साथ हुआ अत्याचार है।वही खुशी दुबे के मामले में कहा कि खुशी का केस अब बीएसपी लड़ेगी।
केंद्र और प्रदेश में बीजेपी की सरकार तो है लेकिन इस कार्यकाल में ब्राह्मणों को नजरंदाज किया गया।
देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में 16 फीसदी ब्राह्मण वोटर ही किसी भी दल को सत्ता के शिखर तक पहुचाने का दम रखते है।जैसा कि साल 2007 में ब्राह्मण वोट बैंक के बल पर ही मायावती सूबे की सत्ता पर काबिज हो सकी थी।हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव के लिए समय कम बचा है। ऐसे में एसपी, बीएसपी और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां इस बात को समझते है कि ब्राह्मण वोट बैंक एक बड़ा हिस्सा प्रदेश सरकार से नाराज बैठा है। बस इसी फायदे का मुनाफा उठाने के लिए सभी राजनीतिक दलों की नज़र ब्राह्मण समाज के वोटरों को साधने में जुटे हैं।
फिलहाल का यह दावँ ब्राह्मणों को साधने में कितना अहम साबित होता है।इस बात की कल्पना कर पाना फिलहाल अभी मुश्किल है।लेकिल सूबे में बीजेपी से सख्त नाराज़ चल रहा ब्राह्मण समाज माया शासन के दौरान मान सम्मान और सुरक्षा प्राप्त कर चुका है।ऐसे में इस बात को सिरे से खारिज नही किया जा सकता कि ऊँट माया के पाले में करवट न ले।
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