शाहिद अंसारी
मुंबई: महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन ने महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्युरो के वसूलीबाज़ तत्कालीन डीवाईएसपी सुनील कलगुटकर को एक लाख का जुर्माना ठोंका है।यह रकम बतौर मुआवज़ा राज्य सरकार को पीड़ित को देनी होगी साथ मे ंसरकार को इस मामले को लेकर कलगुटकर के खिलाफ़ हुई शिकायत मे ंजांच कर मामले में कलगुटकर के खिलाफ़ कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।एसीबी अधिकारी सुनील कलगुटकर के खिलाफ़ रायगढ़ के पटबंधारे विभाग के इंजीनियर सुभाष झगड़े ने फ़र्ज़ी कार्रवाई के नाम पर अपहरण और वसूली का मामला दर्ज कराया था। शिकायत में झगड़े ने बताया कि कलगुटकर ने सचिन सालुंखे नाम के ठेकेदार के लिए सरकारी पैसे की वसूली की थी।
इस बारे में ऐंटी करप्शन ब्युरो की भी जांच में कलगुटकर दोषी पाया गया लेकिन उसके खिलाफ़ एसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों ने किसी तरह की विभागी कार्रवाई नहीं की।जिसके बाद झगड़े ने ह्युमन राइट्स कमीशन की दहलीज़ पर दस्तक दी।झगड़े ने Bombay leaks से बात करते हुए बताया कि कलगुटकर की वजह से वह बहुत परेशान थे और उन्होंने हर दहलीज़ पर दस्तक दी लेकिन कहीं भी किसी तरह की कार्रवाई कलगुटकर के खिलाफ़ नही हुई।
Bombay Leaks ने इस बारे में 28 अप्रैल 2016 को ख़बर प्रकाशित की थी और उसके बाद कलगुटर के खिलाफ़ जांच शूरु हो गई और उसका तबादला रायगढ़ से एसीबी मुख्यालय वरली में कर दिया गया और जनरल ट्रंस्फर के दौरान उसे रत्नागिरी भेज दिया गया।कलगुटकर ने अपने तबादले को लेकर मैट में दस्तक दी थी लेकिन इसी साल जनवरी में मैट ने कलगुटकर की अर्ज़ी खारिज करते हुए तबादले को सही करार दिया।कलगुटकर को फिलहाल पूने तबादला किया गया है।
कलगुटकर के खिलाफ़ जो आरोप थे वह पूरी तरह से सिद्ध हो चुके थे और ह्युमन राइट्स कमीशन ने पिछले साल दिसंबर में ही अपना फैसला सुनाने वाला था लेकिन 5 महीने बाद फैसला सुनाया गया हालांकि यह फैसला जिसमें कलगुटकर को एक लाख का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है यह भी किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं बल्कि इस से यह साबित होता है कि करोड़ों के घपले और वसूली की वारदातों मे शामिल होने के बाद खुद को भ्रष्ट अधिकारी मात्र एक लाख रूपए दे कर बचा सकता है।कलगुटकर ने सिंचाई घोटाले की जांच के साथ साथ कई मामलों की जांच की है और हर मामलों में जमकर मलाई खाई है इस तरह से इस आदेश के बाद कलगुटकर के दूसरे मामले ज्यों का त्यों बरकरार रहेंगे जिसमें उसने जमकर मलाई खाई है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी और वरिष्ठ वकील वाई.पी सिंह का कहना है कि सब से पहली बात कि अपने पद का गलत इस्तेमाल कर किसी का अपहरण करना और वसूली करना इसको लेकर उसके खिलाफ़ FIR दर्ज होनी चाहिए इस तरह से अगर एक लाख का जुर्माना से ही बात खतम हो जाती है तो यह किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं है।
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MHRC का आदेश
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