भिवंडी : पटेल कंपाउंड इमारत हादसा में फंसे खालिद खान नामक एक युवक को एनडीआरएफ की टीम ने दुर्घटना के 10 घंटे बाद सही सलामत निकाल लिया| इमारत के दूसरे हिस्से में चले जाने के कारण उनकी भाभी भी दुर्घटना से बच गई| लेकिन उनके बड़े भाई शाहिद खान एवं भतीजे असद खान को नहीं बचाया जा सका| जिसकी एनडीआरएफ की टीम ने दूसरे दिन मलवे से लाश निकाली| जिनको विट्ठलनगर स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया गया| जहां इस इमारत हादसा के शिकार हुए सभी लोगों को दफनाया गया है| बताया जाता है कि विट्ठलनगर कब्रिस्तान में दो दिन के अंदर इतनी अधिक लाश कभी दफनाई नहीं गई थी|
के.के.मोबाइल नामक दूकान चलाने वाले खालिद खान ने जिलानी बिल्डिंग के पहले महले पर अपने परिवार के साथ रहते थे और उनके भाई शाहिद खान अपने परिवार के साथ दूसरे महले पर रहते थे| उन्होंने अपनी पत्नी एवं बच्चों को उत्तर प्रदेश के उतरौला स्थित ननिहाल में भेज दिया था| जिसके कारण वह घर में अकेले थे| उन्होंने बताया कि अमूमन वह रात में दो बजे तक सो जाते थे| लेकिन घटना वाली रात में तीन बजे तक जग रहे थे| तीन बजकर पांच मिनट पर वह बेड के पास बोतल में रखा पानी उठाकर जैसे ही एक घूंट पिया| उसी समय इमारत के गिरने की आवाज आई| बेड पर लेटे खालिद खान जब तक कुछ समझ पाते तब तक छत की बीम भरभराकर उनके ऊपर गिर गई| मौत उनके दो फिट ऊपर आकर रुक गई| उन्होंने बताया कि बीम का एक हिस्सा बेड पर आने के कारण बीम दो फिट ऊपर ही रह गई| लेकिन उसी समय इमारत का मलवा गिरने के कारण उनका पैर मलवे में फंस गया था| लेकिन उन्हें किसी प्रकार की चोट नहीं लगी| वह मलवे में बुरी तरह से फंस गए थे| दोनों पैर मलवे में फंसने के कारण वह अपनी जगह से इधर-उधर भी नहीं हो पा रहे थे| उसी दौरान भूमितल का उनके पैर के नीचे का एक हिस्सा टूटकर गिर गया| जिसके कारण उनका पैर मलवे से निकल गया| लेकिन चारो तरफ इमारत का मलवा होने के कारण वहां से निकल नहीं सकते थे| अंधेरे में हाथ बढ़ाकर उन्हें किसी तरह से पानी का बोतल और बेड पर रखा मोबाइल मिल गया|
खालिद खान ने बताया कि बोतल का पानी मिलने के बाद उन्हें यह आशा हो गई थी कि अब एक-एक घूंट पानी पीकर कम से कम 48 घंटे का समय निकाल सकते हैं| मोबाइल से घटना का एक वीडियो भी बनाया| मौत को सामने आते देख उन्होंने अल्लाह को भी याद किया| सुबह लगभग छह बजे उन्हें कुछ लोगों की आवाज सुनायी पड़ी| लोगों की आवाज सुनाई देने पर उनके बगल के फ़्लैट में रहने वाले आलम ने जोर से बचाने की आवाज लगाया| एनडीआरएफ की टीम आलम की आवाज सुनकर उन्हें निकालने का प्रयास करने लगी| उसी समय इन्होने ने आलम को जोर से आवाज देकर कहा कि केके मोबाइल वाला भी अंदर फंसा है| उसे भी निकालिए| मलवे में फंसे खालिद खान सबकी आवाज सुनते थे| लेकिन उनकी आवाज कोई नहीं सुन पाता था| इसी तरह मलवे में लगभग 10 घंटे का समय बीत गया| बोतल में बचा पानी धीरे-धीरे एक-एक घूंट पीकर वह अपने आपको तसल्ली देते रहे कि उन्हें मलवे से निकाल लिया जाएगा|
एनडीआरएफ द्वारा बगल के फ़्लैट का मलवा हटाने के बाद उन्हें बाहर का प्रकाश दिखाई पड़ा और उन्होंने जब तेज से आवाज़ लगाई तो एनडीआरएफ के जवान ने उनकी आवाज सुन लिया| जिसके बाद एनडीआरएफ की टीम ने धीरे-धीरे मलवा हटाकर बीम के नीचे फंसे खालिद खान को सही सलामत बाहर निकाला|
खालिद खान ने बताया कि दुर्घटना के समय उनकी भाभी मोनी खान इमारत के दूसरे हिस्से में चली गई थी| जिसके कारण वह बाल-बाल बच गई| लेकिन उनके भाई शाहिद खान एवं भतीजा असद खान मलवे में दब गए| उनकी भाभी ने बताया कि शाहिद खान ने सोते समय कोई कपड़ा नहीं पहना था| इमारत गिरने की आवाज आने के बाद सब लोग नीचे भाग रहे थे| उस समय वह कपड़ा पहनने के लिए घर के अंदर चले गए| उनके घर के अंदर जाते ही इमारत भरभराकर गिर गई| जिसके मलवे में पिता-पुत्र दोनों दब गए| एनडीआरएफ की टीम ने जिनकी दूसरे दिन मलवे से लाश निकाली|
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