बॉम्बे लीक्स , मुंबई
मुंबई : आज देश भर में किसानों का भारत बंद का आह्वान था। आर्थिक राजधानी मुंबई में भारत बंद का कोई खास असर देखने को नही मिला।मुंबई में सामान्य दिन चर्या देखने को मिली ,बाज़ार खुले रहे।हालांकि कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लेकर मुंबई के अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ इलाकों में जमा होकर कृषि कानून के खिलाफ नारेबाजी करते पाए गए।
भारत बंद को लेकर दिल्ली से सटी सीमाओं, पंजाब, बिहार समेत देश के कई राज्यों में किसान प्रदर्शन करते देखे गए।किसानों के भारत बंद का किसानों के अलावा कई राजनीति दलों और सामाजिक संगठनों का भी समर्थन प्राप्त था। जिसके बाद देश भर में भारत बंद का असर भी देखा गया।किसानों के भारत बंद में अनेक सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दल भारत बंद का समर्थन करते देखे गए।
गौरतलब है मोदी सरकार के तीनो कृषि बिल के खिलाफ दिल्ली से सटी सीमाओं जैसे-गाजीपुर, सिंघु, शंभू बार्डर पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आज 27 सितंबर को तीन कृषि कानूनों के विरोध में भारत बंद का असर देखने को मिला।कृषि बिल के विरोध में किसानों के प्रदर्शन देशभर में जारी रहे जिसका जुला असर रहा।वही इस बंद के बीच उत्तर भारत में कई ट्रेनों के प्रभावित होने की भी ख़बर है। महाराष्ट्र के नागपुर में जबरन दुकानें बंद करवाने की भी बात सामने आई है।
हालांकि आज भारत बंद के बीच मुंबई में भी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था देखी गई।सड़को पर प्रशासन किसी भी अनहोनी के लिए मुस्तैद नजर आया।वही मुंबई में बंद का कोई खासा असर देखने को नही मिला।साथ ही मुंबई शहर में अब तक कोई बड़ा प्रदर्शन या कोई अप्रिय घटना होने की भी अधिकारिक पुष्टि नही की गई है।शहर में दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान हमेशा की तरह सामान्य तौर पर खुले रहे तो यातायात भी अपनी रफ्तार में सामान्य रहा।
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले 40 से अधिक किसान संगठनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने आज 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया था।
भारत बंद के बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों।का भारत बंद सफल रहा।टिकैत ने भारत बंद को सफल बनाने के लिए किसानों और मजदूरों को धन्यवाद दिया।कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारत बंद पूरी तरह से सफल रहा। देशभर में किसानों ने सड़कों पर आकर कृषि बिल के खिलाफ सरकार पर नाराजगी को।जाहिर किया है।कहा कि भारत बंद को किसानों के साथ-साथ मजदूर व्यापारियों, कर्मचारियों, ट्रेड यूनियन के साथ साथ देश की राजनीतिक पार्टियों का भी समर्थन मिला है।
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