बॉम्बे लीक्स ,नई दिल्ली
नई दिल्ली : नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला के बयान के खिलाफ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को हजारों चिट्ठियां भेजे जाने के मामले के बीच अब नया मोड़ आ गया है।क्योंकि अब बार एसोसिएशन ने भी इसके जवाब में सीजेआई को एक पत्र लिखकर उक्त समूह मांग को ठुकरा देने का आग्रह किया।
बार एसोसिएशन का कहना है कि नुपुर के मामले में की गई जजों की उक्त टिप्पणियों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए। क्योंकि ये टिप्पणियां केवल अवलोकन हैं।नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से पूर्व जज और ब्यूरोक्रेट्स नाराज हैं।तो दूसरी तरफ बार एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के सपोर्ट में खड़ा हो गया है।
पूर्व जजों और ब्यूरोक्रेट्स के मुताबिक नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से यह छवि बन रही है कि देश में जो भी हिंसक वारदातें हो रही है उसकी ज़िम्मेदार नूपुर शर्मा है।ऐसे में पूर्व जजों ब्यूरोक्रेट्स ने CJI को चिट्ठी लिखकर नूपुर के खिलाफ की गई टिप्पणी को वापस लिए जाने की मांग की है।तो वही अब दूसरी तरफ बार एसोसिएशन टिप्पणी को वापस लिए जाने की मांग के खिलाफ है।
ऐसे में अब पूर्व भाजपा नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई टिप्पणी का विवाद सीजेआई तक पहुँच चुका है।इस मामले में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने नुपुर शर्मा की अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को एकसाथ जोड़ने की याचिका खारिज करते हुए सख्त टिप्पणियां की थीं।
इन्हीं टिप्पणियों को वापस लेने के लिए मांग करते हुए मंगलवार की सुबह जहां पूर्व जजों और पूर्व नौकरशाहों के समूह ने सीजेआई एनवी रमण को पत्र लिखा था।वहीं अब बार एसोसिएशन का कहना है कि नुपुर के मामले में की गई जजों की उक्त टिप्पणियों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए।
क्योंकि ये टिप्पणियां केवल अवलोकन हैं।ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) ने अपने अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी अग्रवाल के माध्यम से सीजेआई को लिखे पत्र में कहा है कि उन प्रतिकूल टिप्पणियों को वापस लेने के लिए दायर किसी भी पत्र या याचिका का संज्ञान नहीं लिया जाना चाहिए।
इसके साथ ही बार एसोसिएशन ने यह भी लिखा है कि किसी भी मामले की सुनवाई के दौरान जज वकीलों के साथ जुड़ते हैं।वकीलों के साथ बातचीत करते समय न्यायाधीशों के लिए खुला होना, अवलोकन करना और सुझाव देना स्वाभाविक है।बार निकाय ने सीजेआई रमण को लिखे पत्र में कहा कि टिप्पणियों को हटाने का सवाल भले ही अप्रासंगिक हो, अपितु यह पैदा ही नहीं होना चाहिए।
कहा गया है कि ये टिप्पणियां केवल अवलोकन हैं। पत्र में कहा गया है कि एआईबीए माननीय न्यायाधीशों द्वारा व्यक्त विचारों की सराहना करता है, क्योंकि वह एक अनुभवी नेता और एक वकील (नुपुर शर्मा) द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले के संबंध में सुनवाई के दौरान की गई थीं।
एआईबीए का यह पत्र सीजेआई को ऐसे दिन मिला है जब उच्च न्यायालय के 15 पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक समूह ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट नुपुर शर्मा के खिलाफ अपनी उन टिप्पणियों को वापस ले, जिनसे उसने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है।
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बार एसोसिएशन ने लिखा सीजेआई को पत्र, नूपुर शर्मा पर की गई टिप्पणियों को वापिस न लिए जाने की मांग
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नई दिल्ली : नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला के बयान के खिलाफ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को हजारों चिट्ठियां भेजे जाने के मामले के बीच अब नया मोड़ आ गया है।क्योंकि अब बार एसोसिएशन ने भी इसके जवाब में सीजेआई को एक पत्र लिखकर उक्त समूह मांग को ठुकरा देने का आग्रह किया।
बार एसोसिएशन का कहना है कि नुपुर के मामले में की गई जजों की उक्त टिप्पणियों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए। क्योंकि ये टिप्पणियां केवल अवलोकन हैं।नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से पूर्व जज और ब्यूरोक्रेट्स नाराज हैं।तो दूसरी तरफ बार एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के सपोर्ट में खड़ा हो गया है।
पूर्व जजों और ब्यूरोक्रेट्स के मुताबिक नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से यह छवि बन रही है कि देश में जो भी हिंसक वारदातें हो रही है उसकी ज़िम्मेदार नूपुर शर्मा है।ऐसे में पूर्व जजों ब्यूरोक्रेट्स ने CJI को चिट्ठी लिखकर नूपुर के खिलाफ की गई टिप्पणी को वापस लिए जाने की मांग की है।तो वही अब दूसरी तरफ बार एसोसिएशन टिप्पणी को वापस लिए जाने की मांग के खिलाफ है।
ऐसे में अब पूर्व भाजपा नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई टिप्पणी का विवाद सीजेआई तक पहुँच चुका है।इस मामले में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने नुपुर शर्मा की अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को एकसाथ जोड़ने की याचिका खारिज करते हुए सख्त टिप्पणियां की थीं।
इन्हीं टिप्पणियों को वापस लेने के लिए मांग करते हुए मंगलवार की सुबह जहां पूर्व जजों और पूर्व नौकरशाहों के समूह ने सीजेआई एनवी रमण को पत्र लिखा था।वहीं अब बार एसोसिएशन का कहना है कि नुपुर के मामले में की गई जजों की उक्त टिप्पणियों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए।
क्योंकि ये टिप्पणियां केवल अवलोकन हैं।ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) ने अपने अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी अग्रवाल के माध्यम से सीजेआई को लिखे पत्र में कहा है कि उन प्रतिकूल टिप्पणियों को वापस लेने के लिए दायर किसी भी पत्र या याचिका का संज्ञान नहीं लिया जाना चाहिए।
इसके साथ ही बार एसोसिएशन ने यह भी लिखा है कि किसी भी मामले की सुनवाई के दौरान जज वकीलों के साथ जुड़ते हैं।वकीलों के साथ बातचीत करते समय न्यायाधीशों के लिए खुला होना, अवलोकन करना और सुझाव देना स्वाभाविक है।बार निकाय ने सीजेआई रमण को लिखे पत्र में कहा कि टिप्पणियों को हटाने का सवाल भले ही अप्रासंगिक हो, अपितु यह पैदा ही नहीं होना चाहिए।
कहा गया है कि ये टिप्पणियां केवल अवलोकन हैं। पत्र में कहा गया है कि एआईबीए माननीय न्यायाधीशों द्वारा व्यक्त विचारों की सराहना करता है, क्योंकि वह एक अनुभवी नेता और एक वकील (नुपुर शर्मा) द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले के संबंध में सुनवाई के दौरान की गई थीं।
एआईबीए का यह पत्र सीजेआई को ऐसे दिन मिला है जब उच्च न्यायालय के 15 पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक समूह ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट नुपुर शर्मा के खिलाफ अपनी उन टिप्पणियों को वापस ले, जिनसे उसने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है।
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