बॉम्बे लीक्स, उत्तर प्रदेश
लखनऊ : सूबे के लखीमपुर खीरी के आक्रोशित किसानों ने सीएम योगी को घुटने पर मजबूर कर दिया।राकेश टिकैत सरकार और हिंसक हो चुके किसानों के बीच बातचीत में अहम किरदार बने।चारो तरफ से हो रही योगी सरकार की किरकिरी के बाद महज 20 घन्टे के भीतर योगी ने लखीमपुर खीरी की घटना पर किसानों की सभी मांगे स्वीकार कर ली।जिसकी दो वजह बताई जा रही है कि किसानों के खिलाफ रौद्र रूप धारण कर प्रदर्शनकारियों पर गाड़ी चढ़ाने वाले भाजपाई थे।दूसरा प्रदेश के चुनावी समर में भाजपा ने नुकसान का आकलन कर लिया था।ऐसे में सीएम योगी ने एक तीर से दो निशाना साधने के काम किया।पहला यह कि किसानो के हत्यारे भाजपाइयों को न सिर्फ सेफ कर लिया बल्कि समूचे विपक्ष को खामोश कर दिया।
ऐसे मे माना जा रहा है कि सीएम योगी के पास सत्ता में वापसी की उम्मीद और विपक्ष को खामोश करने के लिए सीएम योगी के पास किसानों के आगे झुकने के सिवा और कोई विकल्प नही बचा था।देखा जाए तो यूपी के लखीमपुर खीरी में 4 किसानों समेत 9 लोगों की मौत एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। जिसकी ज़िम्मेदारी भाजपा सरकार की थी।अहम बात तो यह थी कि जिस गाड़ी को किसानों के ऊपर चढ़ाया गया था वो भाजपा काफिले कि थी और उसपर सवार थे केंद्रीय मंत्री के पुत्र।
किसानों से साफ आरोप लगाया है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे ने प्रदर्शनकारियों पर कार चढ़ाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया।जिसके सूबे में सभी सियासती दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ और पंजाब बिहार से नेताओं का जत्था लखीमपुर दौरे पर निकल पड़ा।माना जा रहा था कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के विरोध में बने माहौल को लपकने के लिए कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। वही मीडिया और विपक्ष को घटना स्थल पर पहुँचने से रोकने के लिए सीएम योगी के आदेश पर नेताओं को रोकते हुए नोकझोंक के वीडियो भी वायरल होते देखे गए।
ऐसे में तय हो चुका था कि लखीमपुर खीरी का मुद्दा भाजपा के लिए आगामी चुनाव में ताबूत में कील काम करेगा।
हालांकि तमाम गर्म सियासती बाज़ार के बीच किसान नेता राकेश टिकैत और प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार के साथ में प्रेस वार्ता में नजर आए।किसान नेता राकेश टिकैत के अनुसार योगी ने किसानों की सभी मांगे स्वीकार कर ली है।प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि सरकार ने किसानों की मांगें मान ली हैं। कल लखीमपुर खीरी में मारे गए चारों किसानों के परिवारों को 45 लाख रुपये और एक सरकारी नौकरी दिए जाने की बात कही।वही घटना में घायलों को 10 लाख रुपये बतौर मुवाज़ा पर सहमति यही नही सरकार इस बात पर भी सहमति हुई कि किसानों की शिकायत पर एफआईआर भी दर्ज की जाएगी।हालांकि एफआईआर में केंद्रीय मंत्री के बेटे को आरोपी बनाया जाएगा या नही इस बात की तस्वीर साफ नही की गई।वही किसानों की माँग के अनुसार हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज इस पूरे मामले की जांच करेंगे।
जबरन पास कराए गए तीनों कृषि बिल के विरोध में देश के किसान सरकार से खासे नाराज है।किसान अपनी मांग पर अड़े है कि तीनों कृषि बिल का कानून रद्द किया जाए।जबकिं मोदी सरकार यह बताने का प्रयास करती है कि तीनों नए कानूनों से किसानों को लाभ होगा और मंडिया खत्म नहीं होंगी, MSP घटाई नहीं बल्कि और बढ़ाई जा रही है। जबकिं किसानों को सरकार पर कोई भरोसा नही है।
ऐसे में जगह जगह देश भर में किसानों का प्रदर्शन जारी है।लखीमपुर खीरी का प्रदर्शन भी बिल के खिलाफ था।जहाँ हिंसक घटनाओं का दौर शुरू हुआ था। ऐसे में राकेश टिकैत से संपर्क कर किसानों को मनाने के लिए विनती की गई।जिसके बाद कई घंटे की बातचीत और मृतक किसानों के परिवारों को विश्वास में लेने के बाद सरकार समझौते पर पहुंच सकी।किसानो और सरकार के बीच बातचीत की अहम कड़ी बने राकेश टिकैत।जहां घटना वाली रात को प्रशासन के लिए उस इलाके में घुसना बेहद मश्किल था।जहाँ किसी भी राजनीतिक दल या मीडिया को वहां नहीं जाने दिया गया। ऐसे दौर में आफत में पड़ी सरकार ने अपने विरोधी राकेश टिकैत के आगे इज्जत बचाने की विनती की तो सरकार के संकटमोचक बन राकेश टिकैत ने किसानों के मध्य बातचीत कर मसले का।हल निकाला।
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