मुंबई : इस्लाम में मस्जिद की अहमियत क्या है इस बारे में केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि दूसरी धर्म के लोंगों को भी पता है और केवल मुसलमानों में ही नहीं हर धर्म के इबादतगाहों में मात्र इबादत होती है उसे सियासत से दूर रखा जाता है मौजूदा वक्त में कोरोना के चलते इबादत भी मना है लेकिन बाबा बंगाली मस्जिद में अपनी सियासत से बाज़ नहीं आता जिसको लेकर मुसलमानों में जबरदस्त नाराजगी पाई जा रही है इस फोटो से बंगाली की इस्लाम और मुसलमान दुशमनी खुल कर साफ दिखाई दे रही है।
बकरईद को लेकर मुंबई में दाखिल होने वाले हर टोल नाके पर बकरों को लेकर आने वाले व्यापारियों और आनलाइन खीरदारों को पुलिस की ओर से टोलनाके पर ही 20 -20 घंटे से रोका जा रहा है तेज़ बारिश और लंबे समय से टोल नाकों पर रोकने के बाद सब की हालत खराब है।
ऐसे में न तो मुस्लिम लीडर मदद के लिए अब तक सामने आए और न ही मुसलमानों का वह तथाकथित ठेकेदार जो खुद को मुसलमानों का ठेकेदार और मुसलमानों की ओर से तथाकथित स्वयं घोषित नेता बना फिरता है। हालांकि कल ही शरद पवार के साथ ही मुस्लिम लीडरों की मीटिंग के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि अब हालात बेहतर हो सकते हैं लेकिन सब बेसूद रहा आज पूरे दिन लोग दिक्कतों का सामना कर रहे है और दहिसर , वाशी , मुलुंड टोल नाके पर परेशानी की आलम में खड़े हैं।
अब ऐसे में आजाद मैदान दंगे और हत्या के आरोपी तोड़ु-ए-नागपाड़ा दो टांकी का बाहुबली नथानी बिल्डर का पंटर तथाकथित स्वयंघोषित धर्मधुरंधर श्री श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली कहां छुपा है लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जो बाबा बंगाली खुद को महाराष्ट्र का मुसलमानों का बाल ठाकरे समझता है आखिर वह कहां चला गया ऐसे समय में वह मुसलमानों की मदद के लिए क्यों नहीं बाहर निकला या मात्र फोटोबाजी कर के अपनी ख्वाहिश पूरी कर ली। सवर्गीय बाल ठाकरे ने हमेशा दबे कुचलों और हिंदुओ मराठियों के हित के लिए आवाज़ उठाई तो भला बाबा बंगाली क्यों नहीं उठा रहा है।
मुंबई की जनता का कहना है कि बाबा बंगाली और खास कर मुसलमानो के लिए बहुत अहम समय है कि बाबा बंगाली यह साबित करे कि वह असल बाहूबली है जो मुसलमानों के हित के लिए चमचागिरी नहीं बल्कि उनके हित के लिए लड़े।
लेकिन ऐसा नहीं है बंगाली फोटोबाजी के बाद से ऐसे गायब है जैसे गदहे के सर से सींग वहीं बंगाली का पंटर मस्जिद चोर आसिफ़ अत्याचार इन दिनों बकरईद की आड़ से लोगों को बली का बकरा बना रहा है चूंकि कोरोना के डर से बंगाली का हाथ चूमने चाटने का नाटक बंद है और यहीं हाथ चटाने और चूमने के लिए बंगाली गैंग का सक्रीय गुर्गा आसिफ़ अत्याचार 2 हजार से 5 हजार तक लेता था चूंकि यह गोरख धंधा बंद होने की वजह से अत्याचार इन दिनों बकरईद के बकरों की आड़ में लोगों को टोपी पहना रहा है।
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