शाहिद अंसारी
मुंबई: 37 लोगों की मौत के जिम्मेदार SBUT के मैनेजर शुएब हाशिम वजीहुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद डोंगरी डिवीज़न के एसीपी मंगेश पोटे को गहरा सदमा पहुंचा है और वह बीमार हो कर छुट्टी पर जा चुके हैं जबकि कोर्ट ने आरोपी को 9 मार्च तक की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इस मामले मे बहती गंगा में हाथ धोने के लिए एनसीपी के छुटपुटिया नेता एडोकेट जलाल उंगली कटा कर शहीदों में नाम लिखाने की कोशिश कर रहे हैं हालांकि उन्होंने इस मामले में पीआईएल फाइल की थी जो खारिज भी हो गई थी।
दरअसल शुएब हाशिम की गिरफ्तारी के बाद पोटे को बहुत बड़ा धक्का पहुंचा है। हालांकि जेज मार्ग पुलिस इस गिरफ्तारी को लेकर काफी पहले से आरोपियों को बचाने की पूरी कोशिश कर रही थी यही वजह है कि 22 दिसंबर 2017 को जब इस मामले के जांच अधिकारी ने इसी आरोपी को गिरफ्तार करना चाहा तो न केवल वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तारी से रोका बल्कि इस मामले के जांच अधिकारी को ही बदल दिया। ताकि किसी दूसरे जांच अधिकारी को अगर केस दिया गया तो पोटे ऐंड कंपनी SBUT की वफादारी का डंका बजा सके। लेकिन साबिर सय्यद की याचिका पर जब मुंबई हाईकोर्ट में मामले को लेकर कोर्ट ने जेजे मार्ग पुलिस थाने को आड़े हाथों लिया तो मजबूरन उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा। अब ऐसे मेँ सोचने वाली बात यह है कि आखिर उस वक्त जब गिरफ्तारी हो रही थी तो जांच अधिकारी को किस आधार पर बदल कर जेजे मार्ग के ही दूसरे अधिकारी की नियुक्ति क्यों की गई। हालांकि SBUT के मात्र इस अकेले शख्स को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस थानापुरी का काम करने की कोशिश कर रही है क्योंकि SBUT की यह एक छोटी मछली है अभी ऐसी कई मछलियां हैं जो इस गिरफ्तारी के बाद छटपटा रही हैं और वह गिरफ्तारी पुर्व ज़मानात की अर्ज़ी देने की फिराक में लग हुई हैं जिसके लिए पुलिस ने उन्हें अबतक मौका दे रखा है ठीक उसी तरह से जैसे शुएब को दिया गया था।
30 अक्तूबर 2017 के हुसैनी मंजिल हादसा पेश आया उसके बाद से ही पीड़ित और मृत्तक परिवार यह मांग कर रहा था कि SBUT के खिलाफ़ कार्रावाई की मांग कर रहे थे लेकिन जेजे मार्ग पुलिस थाने और मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उन पर कार्रवाई करने के बजाए उन्हें बचाने की कोशिश में लगे हुए थे क्योंकि SBUT दूध देती गाय है और कोई भी यह नहीं चाहता कि यह दूध देती गाय लात मारे।
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