• कोविड में मिली थी पीएफ राशि निकालने में ढील-क्लर्क द्वारा कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर दिया जाता रहा वारदात को अंजाम।
मुंबई ब्यूरो | बॉम्बे लीक्स
मुंबई : (P. F घोटाला)आर्थिक राजधानी मुंबई में प्रॉविडेंट फंड में हुए 21 करोड़ के एक बड़े घोटाले का सच सामने आया है।मामला सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया। घोटाले की वारदात मुंबई के कांदिवली स्थित पीएफ कार्यालय से जुड़ी है। जहां के कुछ कर्मचारियों ने पीएफ पूल से 21 करोड़ रुपये से अधिक की रकम पर हाथ साफ कर दिया।जिसके बाद इस मामले की जांच के बाद चौंकाने वाले खुलासे हुई जोकि कार्यालय की आंतरिक जांच में बाते सामने आई। जांच में सामने आया कि इसी दफ्तर में काम करने वाले एक क्लर्क को मामले का मुख्य संदिग्ध आरोपी बताया जा रहा है।
कोविड कॉल में आपदा में भी अवसर की तलाश कम दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। मुंबई के कांदिवली स्थित ईपीएफओ के यूनिट-2 कार्यालय से जुड़ा हुआ है।जहां दफ्तर में कार्यरत एक क्लर्क ने कुछ अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया। जांच के बाद सामने आई जानकारी के अनुसार इसी कार्यालय की चारकोप ब्रांच यूनिट दो में क्लर्क चंदन कुमार को इस घोटाले का मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है। खुलासे में इस बात का पता चला है कि इस पूरे घोटाले में चंदन के साथ एक उसका साथी कर्मचारी अभिजीत ओनेकर और कुछ अन्य सहकर्मी भी शामिल हैं।
इस घटना के उजागर होने के बाद विभागीय जांच में पाया गया कि दफ्तर के ही एक क्लर्क ने अपने कुछ सहकर्मियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया है। ये लोग गरीबों, मजदूरों के बैंक खाते और उनके आधार की सभी जानकारी हासिल कर लेते थे। इसके बाद इनके पीएफ खाते खोलकर इन खातों में पीएफ पूल से पांच लाख रुपये तक की राशि डाल दिया करते थे।जांच में पता चला है कि चंदन और अभिजीत ने ऐसे 817 खातों और आधार कार्डों की मदद से करोड़ों रुपये का हेरफेर किया। इस तरह से मामले से बचने के लिये ये सभी इन खाताधारकों को भी कुछ रुपये देकर स्वयं को काफी होशियार समझ रहे थे।
इस पूरे मामले में आरोपी बने लोगो के बारे में कहा जा रहा है कि उन सभी को विभागीय ऑडिट की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी थी। ऐसे में सभी आरोपियों ने कभी ऐसी गलतियां की ही नहीं जो उन्हें संदेह के दायरे में लेकर आतीं।दरअसल कोरोना काल में सरकार ने पीएफ से राशि निकालने के नियमों में ढील दी गई थी। ताकि लोगो की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा किया जा सके।ऐसे में ये सभी आरोपी पांच लाख रुपये से कम की राशि की भेजते थे। क्योंकि उन्हें मालूम था कि वरिष्ठ अधिकारी पांच लाख रुपये से अधिक के लेनदेन पर ही जांच करते थे।
सरकार की तरफ से कोविड काल के दौरान लोगो को जरूरत के मुताबिक अपने अपने पीएफ फंड खाते से पैसा निकालने की छूट दी गई थी।लेकिन सरकारी कर्मचारियों द्वारा ही कोविड काल के बीच किये गए मुंबई में ऐसे घोटाले को लेकर अब आपराधिक मामला दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। यही नही कहा जा रहा है कि इस घोटाले की जांच सीबीआई को देने की मांग किए जाने के भी संकेत मिले हैं। जिसके बाद अब कांदिवली पीएफ कार्यालय में पिछले दो साल में जिन खातों से पैसे निकाले गए हैं उन सभी खातों के अब ऑडिट किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ऐसे कुल खातों की संख्या 12 लाख के आस-पास है। मामले में चंदन और अभिजीत समेत पांच लोग निलंबित किए गए हैं।फिलहाल इस घोटाले को लेकर अभी किसी तरह का शोर शराबा प्रकाश में आया नही है।हालांकि विभाग में हुए इस पीएफ घोटाले को लेकर न सिर्फ आपराधिक मामला दर्ज करने का समीकरण बन चुका है बल्कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी भी चल रही है।ताकि सभी तथ्य निकालकर बाहर आ सके।
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