शाहिद अंसारी
मुंबई:मुंबई पुलिस के सबसे संवेदनशील विभाग मुंबई ऐंटी नारकोटिक सेल में महिला पुलिस कर्मी नहीं हैं केवल यही नहीं इस विभाग में डॉग स्काड भी नहीं है।हालांकि राज्य भर में मौजूद दूसरे ऐंटी नारकोटिक सेल के पास डाग स्काड हैं लेकिन स्कॉटलैंड यार्ड की बराबरी करने वाले मुंबई पुलिस के इस विभाग में ना तो महिला पुलिस कर्मी हैं और ना ही मादक पदार्थ की खोज करने वाले कुत्ते।मुंबई ऐंटी नारकोटिक्स सेल के डीसीपी नाइक नौरे ने बताया कि डॉग स्काड के लिए उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर आगाह करते हुए विभाग की जरूरत को मद्देनजर रखते हुए मांग की है।हालांकि पिछले कई सालों से इस विभाग में तैनात वरिष्ठ अधिकारी राज्य सरकार को इस विभाग की जरूरत को देख पत्र लिखते हैं लेकिन वह पत्र राज्य सरकार रद्दी की टोकरी में फेक देती है और विभाग की जरूरत ज्यों का त्यों बनी रहती है।
मुंबई पुलिस के जरिए मुंबई की मशहूर तस्कर बेबी पाटेनकर की गिरफ्तारी के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि मादक पदार्थ की तस्करी मे मुंबई में महिलाओं की भूमिका काफी ज्यदा है।अक्सर दूसरे राज्य से मुंबई के लिए चरस,गांजा,अफीम,कोकीन इन सब की तस्करी के लिए बडे पैमाने पर महिलाओं को इस गोरख धंधे मे उतारा गया है। महालिओं को दूसरे राज्य से मुंबई में मादक पदार्थ की तस्करी में शामिल करने के पीछे की एक बडी वजह यह मानी जाती है कि रेलवे स्टेशन या ट्रेन में परिवार वालों पर या महिलाओं पर तालशी के दौरान पुलिस की नजर ज्यादा नहीं पडती जिसकी वजह से तस्कर महिलाओं का इस्तेमाल करते हैं और एक खेप को पहुंचाने के लिए महिलाओं को दो से पांच हजार तक देते हैं और पकडे जाने पर महिलाओं को छोडकर फरार होजाते हैं।
साल 2008 में मुंबई ऐंटी नारकोटिक सेल ने मुंबई के पोश इलाके मरिनड्राइव से एक महिला को पांच किलो चरस के साथ गिरफ्तार किया था।जबकि महिला के साथ एक शख्स को भी पुलिस नें गिरफ्तार किया पूछताछ मे इस बात का खुलासा हुआ कि इस महिला के जरिए यूपी से चरस मुबंई मंगाई गई है महिला का काम सिर्फ पहुंचाना और बदले में तीन हजार रूपए उसे देना।साल 2007 में मुंबई ऐंटी नारकोटिक सेल नें पूजा यादव नाम की महिला को मादक पदार्थ की तस्करी मे गिरफ्तार किया था जिसके बाद जिसके बाद यह सलाखों के पीछे पहुंच गई।साल 2007 में ही राखी ठाकुर नाम की महिला को ऐंटी नारकोटिक सेल ने गिरफ्तार किया जिसे कोर्ट ने 6 महीने की सजा सुनाई।40 साल की टेमीटाप नाम की इस महिला को भी मादक पदार्थ की तस्करी में साल 2009 मे गिरफ्तार किया गया जिसे कोर्ट नें 7 साल की सजा सुनाई।सलमा खान नाम की महिला तस्कर को साल 2008 में हिरोइन की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया और उसे कोर्ट नें 6 महीन की सजा सुनाई।
लेकिन साल 2015 में मशहूर तस्कर बेबी पाटेनकर की गिरफ्तारी के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि महिलाओं की भूमिका पुरषों से कम जरूर है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज ड्रग्स की तस्करी में उनका भी एक अहम किरदार है जिसपर लगाम लगाना जरूरी है।
ताज्जुब इस बात का कि इन सब की जानकारी होते हुए भी मुंबई पुलिस के सबसे संवेदनशील विभाग मुंबई ऐंटी नारकोटिक सेल मे महिला पुलिस कर्मी ही नहीं है।पूरी मुंबई में तैनात ऐंटी नारकोटिक सेल की कुल पांच शाखाऐं हैं इनमें पुलिस वालों की तादाद 120 है।जबकि महिलाओं की तादाद सिर्फ पांच है जो कि कार्यलय के काम काज के लिए रहती हैं।अब ऐसे में कहीं महिला तस्करों पर अगर कार्रवाई करनी हो तो पुलिस कर्मियों के लिए यह एक मुश्किल काम होता है।नतीजा यह होता है कि महिला आरोपी इस बात का फाएदा उठाकर अपने आपक बचा लेती है ऐंटी नारकोटिक सेल की इस कमजोरी का फाएदा बेबी पाटेनकर ने बहुत उठाया उसके खिलाफ जब भी पुलिस कार्रवाई करने जाती तो उसकी तलाशी लेने में असमर्थ रहती और इस दौरान वह फरार होजाती थी।
ऐंटी नारकोटिक सेल के डीसीपी नाइक नौरे ने बताया कि जरूरत पडने पर स्थानी पुलिस थाने से महिला पुलिस कर्मियों को तलब किया जाता है।लेकिन यह तब होता है जब किसी महिला आरोपी पर पूरी तरह से कानूनी शिकंजा कसा जाचुका हो उसके बाद ही स्थानी पुलिस थाने से बुलाने की प्रक्रिया होती है।अक्सर स्थानी पुलिस की जानकारी मे होते हुए इस तरह के गोरख धंधे चलते रहते हैं इसके बदले में पुलिस को मोटी रकम मिलती है इसलिए स्थानी पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती।ऐंटी नारकोटिक सेल के जरिए महिला आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लए महिला पुलिस को स्थानी पुलिस थाने से मुहय्या तो कराया जाता है लेकिन तबतक खेल खतम होजाता है।
हालांकि विभाग की और तस्करी की वारदातो को देख वरिष्ठ अधिकारी मुंबई पुलिस से इस विभाग के लिए महिला पुलिस कर्मियों की भी मांग करते हैं ताकि महिला तस्करों पर कानून का शिकंजा कसा जासके।लेकिन यह प्रस्ताव बिल्कुल उसी तरह से ठुकराया जाता है जैसे राज्य सरकार इस विभाग के लिए डॉग स्काड के लिए विभाग के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डाल देती है।यही वजह है कि इस गोरख धंधे में महिलाओं की तादाद में रोजाना इजाफा हो रहा है।इस से साफ जाहिर होता है कि महिलाओं के जरिए समाज में मादक पदार्थ के सेवन करने और तस्करी के मामलों पर रोक लगाने के लिए स्कॉटलैंड यार्ड की बराबरी करने वाली मुबंई पुलिस कितनी गंभीर है।
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