शाहिद अंसारी
मुंबई:मुंबई हाई कोर्ट के जस्टिस ए.एम बदर ने आदेश जारी करते हुए कहा कि पोस्को ऐक्ट के तहेत सुनवाई करने वाले मामलों की सुनवाई करने वाली सेशन कोर्ट की जज द्वारा एक तरफ़ा सुनवाई की जारही है जिसको लेकर मामले को दूसरे जज से सुनवाई करने का आदेश दिया।मुंबई के मुलुंड पुलिस थाने में पोस्को ऐक्ट के तहेत दर्ज हुए एक झूटे मामले में डाक्टर जैश कतीरा द्वारा मुबंई हाईकोर्ट में शिकायत की गई थी कि उनके मामले की सुनवाई करने वाली सेशन कोर्ट में पोस्को ऐक्ट तहेत मामलों की सुनवाई करने वाली जज नीलकंठ सृष्टी मामले को एकतरफा सुन रही हैं कतीरा का कहना है कि उनके मामलों में उनकी सही तरीके से सुनवाई नहीं की जारही है।सुनवाई के दौरान मामले में पूरी तरह से पार्दर्शिकता होनी चाहिए और किसी के साथ कोई भेदभाव या अन्याय नहीं होना चाहिए।इसी मांग को लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में दस्तक दी।हाईकोर्ट ने यह माना की पोस्को ऐक्ट के तहेत सुनवाई करने वाली सेशन कोर्ट की जज एकतरफ़ा सुनवाई कर रही हैं इसलिए कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दूसरे जज से करने के आदेश जारी किए।अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि इसका फैसला सेशन कोर्ट के प्रिंस्पल जज करेंगे।
हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक सेशन में पोस्को ऐक्ट के तहेत चल रही सुनवाई को लेकर 11-7-2016 लेकिर 19-12-2016 तक मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी गई थी लेकिन उसके बावजूद सेशन कोर्ट ने महीने में तकरीबन दो बार तारीख देकर मामले की सुनवाई जारी रखी तथाकथित पीड़िता दो बार सेशन कोर्ट आचुकी हैं इसलिए सेशन कोर्ट ने उसे तीन हजार का मुआवज़ा देने का आदेश दिया जिसके बाद कतीरा ने तथाकथित पीड़ित महिला को 3000 रूपए भी दिए।कतीरा का कहना है कि हमने कई बार सेशन कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेशों को बताने की कोशिश की लेकिन सेशन कोर्ट ने हमारी एक न सुनी बल्कि वह हाईकोर्ट के आदेशों को नज़र अंदाज़ कर मामले की सुनवाई करती रहीं जिसकी वजह से हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ा।जस्टिस बदर ने अपने आदेश में कहा कि कानून के मुताबिक सेशन कोर्ट को एक बार यह हलफनामा पर लिखकर लेना चाहिए था कि इस मामले में हाईकोर्ट के ज़रिए सुनावई पर जबतक रोक लगाई गई है उसके बाद ही सुनवाई जारी रखें लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।कतीरा ने कहा कि हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद भी उनकी एक एक दिन में चार चार बार स्कूल के जैसे हाज़री लगाई जरही थी जिसको हाईकोर्ट ने देखते हुए हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि इसका मतलब यह है कि कोई और केस की वह सुनवाई नहीं कर रही थी क्या मात्र यही अकेला केस उनके पास था।
मामले को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने वाले एडोकेट समीर वैद्या ने कहा कि अधिकतर मामलों में यहां से कोई केस ट्रांस्फर होता ही नहीं हम मुंबई हाईकोर्ट के जस्टिश ए.एम बदर के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने यह महसूस करते हुए मामले के साथ न्याय करते हुए इस मामले को पोस्को विशेश अदालत से मामले को ट्रांस्फर कर दूसरे जज के पास मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया।समीर वैद्या ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे जो शायद हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंचने के बाद भी उन्हें ट्रास्फर नहीं किया गया।उन्होंने कहा कि कोई भी जज इस तरह के संवेदनशील मामलों में भावना को ताक पर रखकर मामले की सच्चाई को मद्देनजर रखते हुए न्याय करना चाहिए जबकि इस तरह के मामलों आम तौर पर देखा गया कि कोर्ट सजा सुनाने के साथ साथ जमानत पर भी रेहा करने के लिए मना कर देती है।पुलिस ने इस मामले में 66A के तहेत भी चार्जज़ फ्रेम किए हालांकि इस कानून को खतम कर दिया गया है।जिसको लेकर जयेश कतीरा ने हाईकोर्ट में अपील की थी लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में इस धारा के तहेत भी उसी जज ने चार्जेज फ्रेम कर दिए गए उसे मानकर मामले को आगे बढाया गया जिसको लेकर कतीरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाएर की है वैद्या ने कहा कि इस मामले में हम कोर्ट की अवमानना करने का भी केस दर्ज कराने वाले हैं।
2 साल पहले मुलुंड के रहने वाले डॉक्टर जैश कतीरा द्वारा उनका नौकरानी द्वारा रेप का झूटा मामला दर्ज करवाया गया था मामले में कतीरा ने हवालात काटी और फिर कानूनी लड़ाई जारी रखी इस पूरे मामले में मुलुंड पुलिस थाने में मौजूद पुलिस वालों ने भी झूटा मामला दर्ज करन मे किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी और हवालात में रहते हुए डॉक्टर को जांच के नाम पर वायाग्रा की गोली खिला कर वीर्य का जबरन सैंपल लिया था।
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