शाहिद अंसारी
मुंबई: सेक्स वर्कर्स के लिए मुंबई का बदनाम इलाका कमाटीपुरा को अब कमाटीपुरा नहीं बल्कि फ्रीडम फाइटर मुहम्मद असगर अंसारी के नाम से याद किया जाएगा।पिछले ढाई सालों से स्थानी लोगों की कोशिशों को बाद तत्कालीन बीएमसी कार्पोरेटर शाहिना रिज़वान खान के सहयोग से आखिरकार मुंबई महानगर पालिका ने कमाटी पूरा के एक हिस्से को को फ्रीडम फाइटर मुहम्मद असगर अंसारी के नाम से नामाकन करते हुए उनके नाम की तख्ती लगा ही दी जिसके बाद स्थानी लोगों में खुशी का माहौल बन गया है लोगों का कहना है कि इसी तरह से पूरे इलाक़े का नाम बदल कर बदनामी के दलदल से इसे आजाद कराना चाहिए।मुहम्मद असगर अंसारी के बेटे मुबीन असगर अंसारी ने कहा कि बीएमसी ने अपना काम किया और अब स्थानी कार्पोरेटर और स्थानी विधायक को चाहिए कि वह इस नाम की तख्ती बना कर इसका पूरे जोश के साथ उदघान करें।
फ्रीडम फाइटर मुहम्मह असगर अंसारी के बेटे मुबीन अज़हर अंसारी ने Bombay Leaks से बात करते हुए कहा कि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मेरे पिता मुहम्मह असगर अंसारी फ्रीडम फाइटर थे और अब उनके न रहते हुए भी लोगों के दिल में वह हमेशा जिंदा रहेंगे मुबीन ने कहा कि मेरे पिता की हमेशा एक ही ख्वाहिश रही की देश आज़ाद हो जाए उनकी सादगी का यह आलम था कि आज़ादी के बाद उन्हें जो सुविधा सरकार से मुहय्या की जाती थी उसे वह न लेते हुए एक ही बात कहते थे कि मुझे देश की आज़ादी की खुशी है और मैं उसकी लिए जो लड़ाई लड़ा हूं उसकी कीमत कैसे ले सकता हूं उनके कई मित्र पाकिस्तान चले गए उसका उन्हें जब तक जीवित थे तब तक अफसोस रहा लेकिन उन्हें इस बात की हमेशा खुशी रही की वह यहीं थे और देश की सेवा कर रहे थे।
असगर अंसारी को मौलाना अबुलकलाम आज़ाद की उस तकरीर ने प्रभावित कर दिया था जो उन्होंने दिल्ली जामा मस्जिद से खड़े होकर देश के मुसलमानों से अपील की थी की यह देश तुम्हारा है और इस देश को छोड़ कर कहां जा रहे हो।वह पक्के कांग्रेसी थे और गांधीवादी सिद्धांतो का पालन करते थे उन्हें पूरी आज़ादी थी कि वह पाकिस्तान चलें जाऐं लेकिन उन्होंने मरते दम तक मुंबई के इसी कमाटीपुरा इलाके में रहे और 20 अप्रैल 1991 को आखिरी सासें भी इसी कमाटी पूरा की तंग गलियों में ली।वह शेर-व-शायरी और देशभक्ति की कविताऐं पढ़ कर देशवासियों के अंदर आज़ादी की शमां रोशन करते थे उसके साथ साथ पत्रकारिया भी की थी काफी समय तक उर्दू इंकालब और उर्दू टाइम्स में भी लिखते रहे।वह अगस्त क्रातिं मैदान में हुए अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल थे उस दौरान अंग्रेज़ पुलिस के द्वारा पीटे जाने पर वह बेहोशी की हालत में शालीमार सिनेमा के पास मौजूद हास्पिटल में भर्ती हुए तबियत सही होने के बाद उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था उसके बाद इसी तरह के आंदोलन में वह हिस्सा लेते रहे जिसके बाद दूसरी बार भी उन्हें जेल जाना पड़ा।
कमाटीपुरा का नाम 1880 में तब पड़ा जब कुलाबा इलाके से कमाटी (पत्थर तोड़ने वाले मज़दूर ) कुलाबा से आकर इस इलाके में बस गए और गरीबी,भुखमरी,रोज़ी रोटी छिन्नेने की वजह से उन्ही मज़दूरों की महिलाओं ने वैश्या वृत्ती का रास्ता अपना लिया जो कि आज तक कमाटीपुरा के नाम से जाना जाता था लेकिन मुद्दतों बाद लोगों की कोशिशों ने इसे फ्रीडॉम फाइटर असगर अंसारी के नाम से नामांकन कर दिया।
ई-वार्ड के वार्ड आफीसर किशोर देसाई ने कहा हमारे पास जब इसका आवेदन या तो कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए हमने पूरी मुंबई में इसकी जांच करवाई कि इस नाम से कोई रोड है तो नहीं जिसके बाद हमने इसको आगे बढ़ाते हुए संबंधित विभाग को सौंप दिया और फिर सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कमाटीपुरा के एक हिस्से को फ्रीडम फाइटर असगर अंसारी के नाम से घोषित करते हुए उनके नाम की तख्ती लगा दी है।
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