शाहिद अंसारी
मुंबई:महाराष्ट्र की आर्थिक स्तिथि कैसे बेहतर बनाई जाए इस बात को लेकर राज्य की जनता की राय और सुझाव लेने के लिए राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुगंटिवार ने 30 नवंबर 2015 को महाराष्ट्र विधान भवन में यह एलान किया था की राज्य की जनता इसके लिए अपने सुझाव दे और बेहतर सुझाव देने वालों को 4200500 रूपए को नक़द इनाम से नवाज़ा जाएगा।लेकिन यह एलान मात्र एक दिखावा था इस एलान के बाद से आज तक राज्य के किसी भी जनता को इस बेहतर सुझाव के लिए किसी भी तरह की कोई इनाम की राशि नहीं दी गई।हालांकि इसके लिए काफ़ी सुझाव आए और वह सरकारी दफ्तरों की धूल चाट रहे फाइलों के साथ कहीं दब गए।
30 नवंबर 2015 को राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुगंटिवार की ओर से सरकुलर नंबर (2015/प्र.क्र.42/अर्थ-1) जारी कर महाराष्ट्र मे आर्थिक स्तिथि को कैसे बेहतर बनाया जाए इस बात को लेकर सुझाव मांगे और इस बेहतर सुझाव देने वालों के लिए लाखों रूपए के इनाम की राशि भी तय की गई थी।इनमें सर्वोत्कृष्ट प्रथम सूचना(पहला बेहतर सुझाव) वाले एक व्यक्ति को 10 लाख रूपए नक़द और सर्वोत्कृष्ट द्वितीय सूचना (दूसरा बेहतर सुझाव) देने वाले के लिए 7 लाख 50 हज़ार जबकि इनके बाद के बेहतर सुझाव देने वाले 25 लोगों को एक-एक लाख की नकद राशि देने की घोषणा की गई थी।
सुधीर मुगंटिवार के एलान के बाद 30 नवंबर 2015 को प्रधान सचिव विजय कुमार ज़रिए महाराष्ट्र के राज्यपाल समेत कुल 31 जगहों पर भेजकर जनता को आवगत कराने के लिए कहा गया था।और राज्य के वित्त विभाग की आर्थिक स्तिथि में सुधार कैसे लाया जाए।इस सुझाव को मुगंटिवार की ऑफिस में जमां करने के लिए कहा गया था।लेकिन सुधीर मुगंटिवार के नागपुर चले जाने के बाद उनके विभाग में ही इन सुझाव को लेने इंकार किया गया।फिर भी राज्य भर से सैंकड़ों सुझाव आए जिनमें तकरीबन एक हज़ार करोड़ रूपए की बचत वाले सुझाव लोगों ने दिए।लेकिन इसपर आज तक ना ही किसी तरह की चर्चा हुई और ना ही किसी को इनाम की राशि दी गई।
इन सुझावों पर नज़र डालने के लिए वित्त विभाग के अपर सचिव की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया गया था जिसमें कुल 6 अधिकारियों का चयन किया गया।लेकिन सुधीर मुगंटिवार ने यह एलान जितने जोश के साथ विधामन भवन में किया था समय के साथ साथ वह उतनी ही तेज़ी से ठंडे बस्ते में चला गय।नतीजा यह हुआ कि साल खतम हो गया और दूसरा साल भी आधा खतम होने के कगार पर है लेकिन आज तक यह इनाम की राशि देने का मुअम्मा हल ही नहीं हुआ।
इस बारे में राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुगंटिवार ने Bombay Leaks से बात करते हुए कहा कि “ हम ने एलान तो किया था लेकिन अब तक कोई बेहतर सुझाव ही नहीं आया।इस वजह से अब तक इनाम की यह राशि किसी को नहीं दी गई हम अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हैं अगर कोई बेहतर सुझाव आएगा तो से वह राशि दी जाएगी ”।
अब ऐसे में यह कहावत बिल्कुल सही बैठती है कि “ काहे को नौ मन तेल होगा और काहे को राधा नाचेंगी ” सोचने वाली बात यह है कि क्या सैकड़ों लोगों के जो सुझाव वित्त विभाग को प्राप्त हुए हैं।क्या वह किसी काम के नहीं हैं या वह इस राशि के हकदार ही नहीं हैं।सोचने वाली बात यह भी है कि क्या जनता के सुझाव को मुफ़्त में ही इस्तेमाल कर लिया गया।क्योंकि इसका फैसला करने वाली कमेटी के अध्यक्ष कुमार बिजय (तत्कालीन प्रधान सचिव वित्त विभाग) का भी इस जगह से तबादला हो गया है और तब से लेकर अब तक इस कमेटी की इस मामले में ना कोई बैठक हुई और ना किसी सुझाव पर किसी अधिकारी को नज़र डालने ख्वाहिश हुई इसलिए इनाम की यह राशि किसी को नहीं दी गई।ऐसे में वह लोग जो राज्य के वित्त विभाग का भला चाहने के लिए जिस तरह से अपने सुझाव दिए और राज्य के मंत्री की ओर से इस लापरवाही को देखते हुए ऐसा ज़ाहिर होता है की यह लोगों की भावना के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।क्योंकि जिन लोगों ने अपने सुझाव दिए उनके सुझाव को अब तक महत्व ना देने का मतलब है उनका मज़ाक उड़ाने के जैसा ।हालाँकि उनके सुझाव से राज्य का हज़ारों करोड़ रूपया बचाया जा सकता है लेकिन मंत्री के ज़रिये इस लापरवाही से उस सुझाव को उपयोग में नहीं लाया जा सका।यही वजह है की लोग अपना राज्य और देश छोड़कर दूसरी जगह जा बस्ते हैं जहाँ उनका और उनके सुझाव को हाथों हाथ लिया जाता है।
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