Bombay Leaks Desk
मुंबई : Bombay Leaks द्वारा गुरुवार को प्रकाशित की गई ख़बर “ सीनियर पीआई ने यह क्या कर डाला , पुलिस थाने को ही बना दिया मधुशाला ” के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर के आदेश पर मामले की जांच ज़ोनल डीसीपी विरेंद्र मिश्रा को सौंपी गई है। इस बात की जानकारी मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने Bombay Leaks को दी है।
ध्यान रहे इस मामले में ख़बर प्रकाशित किए जाने के बाद राष्ट्रपति मेडल से नवाज़े जाने वाले ताड़देव पुलिस थाने के सीनियर पीआई संजय सुर्वे ने Bombay Leaks को नोटिस भेज कर ख़बर डिलीट करने और माफी मांगने के लिए कहा। यह बिल्कुल उसी तरह से जैसे चोरी ऊपर से सीना जोरी। इसपर शाहिद अंसारी ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख कर शराबी सुर्वे के ज़रिए उस रात पुलिस थाने में शराब पीने के मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है जिस पर जोनल डीसीपी विरेन्द्र मिश्रा ने शाहिद अंसारी का बयान रिकॉर्ड किया। अपने बयान में अंसारी ने बताया कि उस रात नाइट ड्युटी पर तैनात साइन डिवीज़न के एसीपी राजेंद्र त्रिवेदी का बयान रिकॉर्ड किया जाए साथ मे न वरिष्ठ अधिकारियों के जिनसे उस रात उन्होंने संपर्क कर मामले की जानकारी दी थी।
सुर्वे की नोटिस के अनुसार ऐसा आभास होता है कि पुलिस थाने में ऐसी कोई घटना घटी ही नहीं वह इस घटना पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं और खुद को सत्य के प्रतीक राजा हरिशचंद्र के जैसे साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन Bombay Leaks ने इस मामले में जो ख़बर लिखी है वह पूरी तरह से पुष्टि करने के बाद लिखी है क्योंकि उस रात नाइट राउंड ड्युटी पर तैनात साइन डिवीज़न के एसीपी राजेंद्र त्रिवेदी ने इस मामले में मुंबई पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों को कॉल कर के वारदात की जानकारी दी थी जिसमें एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्टेशन डायरी न बनाने और अपने स्तर पर कार्रवाई करने के लिए कहा था।
सुर्वे द्वारा इस प्रकार की नोटिस दे कर सच्ची और निष्पक्ष पत्रकारिता का गला घोटने की कोशिश की गई है ऐसे में संभव है कि उस रात हुई घटना के सुबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। क्योंकि ताड़देव पुलिस थाने के सीनियर पीआई वारदात के कई दिनों बाद भी उसी पुलिस थाने में उसी पद पर तैनात हैं।
पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई.पी. सिंह ने कहा कि कई मामले ऐसे भी होते हैं जब जांच चलती है और जांच की जो रिपोर्ट होती है उसके आधार पर फिर कार्रवाई की जाती है। अक्सर यह भी देखा जाता है कि मामला कितना संवेदनशील है। अब ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि पुलिस थाने के एक जिम्मेदार अफसर और उसके साथियों द्वारा शराब पीना मुंबई पुलिस के लिए कितना संवेदनशील है कि अब तक सुर्वे के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई।
क्या है मामला
घटना मुंबई के ताड़देव पुलिस थाने की है जब 6 और 7 जून की दर्मियानी रात 12 बजकर 47 मिनट पर साइन डिवीज़न के एसीपी राजेंद्र त्रिवेदी नाइट राउंड करते हुए ताड़देव पुलिस थाने पहुंचे तो वहां ताड़देव पुलिस थाने के सीनियर पीआई सुर्वे और एक पीआई सावंत और उनके आर्डर्ली साथ में बैठ कर शराब पी रहे थे। त्रिवेदी को देखते ही ताड़देव सीनियर पीआई सुर्वे ने शराब की बोतल पीआई सावंत के हवाले की उन्हें पकड़ने के लिए जैसे ही त्रिवेदी ने कोशिश की वह ताड़देव पुलिस थाने से भाग कर बगल में मौजूद पुलिस रहिवासी बिल्डिंग की तरफ़ भाग गए। इस दौरान त्रिवेदी ने इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी उसके बाद ताड़देव सीनियर पीआई और उनके सहयोगी पुलिस वाले का मेडिकल करने के लिए कहा गया जिसके बाद सुर्वे हाथ पैर जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगे और मौका मिलते ही पुलिस थाने से भाग गए। सुर्वे के सहयोगी दूसरे पुलिस वाले ने कहा साहब मेरे खिलाफ़ कार्रवाई मत करो यह लोग रोज़ रोज़ पीते हैं मैं क्या करूं। इस वारदात के समय तेज़ आवाज़ में हुई गहमा गहमी के बाद पुलिस थाने में पुलिस वालों के अलावा स्थानी लोगों का भी जमावड़ा लग गया। चश्नदीदों ने बताया कि ताड़देव सीनियर पीआई की हालत देखने लायक थी जब वह शराब की बोतल अपने सहयोगी के हाथ में देकर उसे भगाए और खुद मेडिकल के डर से हाथ पैर पकड़ के माफी मांग रहे थे और जैसे ही मौका लगा चोर के जैसे भाग खड़े हुए। यह सारी वारदात पुलिस थाने में मौजूद सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है।
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