शाहिद अंसारी
मुंबई:घटना 9 दिसंबर को रात मुंबई के साइन पुलिस थाने की है जब उसी पुलिस थाने की हद मे रहने वाले एक व्यापारी तेजल शाह ने अपनी बिल्डिंग के पास गैर कानूनी तरीके से बाहर के लोगों की पार्किंग को लेकर ऐतराज जाताया।यह एतराज जताना उनको भारी पड गया क्योंकि बाद मे पता चला कि आउट साइडर लोग उनकी ही बिल्डिंग मे रहने वाले एक छोटे मोटे बिल्डर के पास आए हुए हैं।उनके एतराज जताने के बाद बिल्डर और उसके दोस्तों ने उन्हें जमकर पीटा उनके मोबाईल फ़ोन भी तोड़ दिए।जिसके बाद उनके शरीर पर जख्मों के निशान आगये और उनके हाथों की उंगलियां फ्रेकचर होगई।उसी दौरन लोगों ने साइन पुलिस थाने को फोन किया पुलिस थाने जाने के बाद 8 घंटे माथा पच्ची करने के बाद साइन पुलिस थाने ने एनसी दाखिल कर आरोपियों को छोड दिया।पीडित ने जब उनसे FIR दर्ज करने की बात कही तो पुलिस थाने मे मौजूद महिला पुलिस ने FIR दर्ज करने से इंकार कर दिया।पीडित ने अपना मेडिकल साइन हास्पिटल मे कराया उसके बाद भी पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की।मजबूरन पीडित ने अपना मेडिकल प्राइवेट हास्पिटल में कराया जिसके बाद मेडिकल रिपोर्ट में उनकी उंगलियां फ्रेंक्चर बताई गई।
पीडित ने मामले मे FIR दर्ज करने करवाने के लिए जोनल डीसीपी अशोक दूधे से फरयाद की उन्होंने कहा कि वह पुलिस थाने जाऐं और मामले की FIR दर्ज कराऐं।लेकिन जब वह पुलिस थाने गए तो वहां पर मौजूद पुलिस कर्मी घोलप ने कहा कि ‘तू डीसीप के पास क्यों गया तेरे खिलाफ ही फर्जी केस ठोक दूंगा और लिखूंगा कि तू ने शराब पी रखी थी’।जिसके बाद पीडित ने वहां से निकल जाने में अपनी भलाई समझी।
इस बारे में साइन पुलिस थाने के सीनियर पीआई यशू दास गोरडे ने बताया कि अबतक साइन हास्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट नहीं आई।यह पूछने पर कि पीड़ित की प्राइवेट मेडिकल रिपोर्ट में साबित होगया है और उनके शरीर पर जो निशान हैं उसके आधार पर मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया तो उन्होंने फोन ही काट दिया।
जबकि मामले की सच्चाई यह है कि पीडित के हाथों प्लास्टर चढ़ा हुआ है और वह अपना एलाज प्राइवेट हास्पिटल से करवा रहें हैं।लेकिन पुलिस ने बिल्डर के असरो रुसूख के चलते मामले की FIR दर्ज ना कर एनसी दाखिल कर मामले को रफा दफा करने की कोशिश कर रही है।ऐसे में पुलिस के जरिए यह हैरान कर देने वाली बात है कि किसी पीडित ने वरिष्ठ अधिकारियों के पास अगर अपनी फ़रयाद सुनाई तो पुलिस FIR दर्ज करने के बजाए उलटा उसे ही धमका दे रही है।अब सवाल यह उठता है कि पुलिस पीड़ित के लिए या आरोपियों के लिए।
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