शाहिद अंसारी
मुंबई: पूरे डेढ़ साल की तय्यारी के बाद आखिर कार स्कॉटलैंड यार्ड (मुंबई पुलिस) ने पार्किंग माफिया को बचाने में कामयाबी हासिल कर ही ली यह अहम जानकारी उस वक्त हाथ लगी जब कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई।
घटना 7 सितंबर 2015 की है जब मुंबई कमिश्नर ऑफिस के पास सक्रीय पार्किंग माफिया कंपनी ग्लोबल पॉवर सिस्टम एजेंसी के खिलाफ़ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था मामला था बीएमसी की निर्धारित पार्किंग फीस से 5 गुना ज़्यादा पैसे वसूलने का।
वसूली की यह घटना 20 अगस्त 2015 की थी और पुलिस ने 7 सितंबर 2015 को आईपीसी की धारा 420 के तहेत मामला दर्ज कर पार्किंग स्टैंड पर कार्यरत नूर मुहम्मद नाम के उस शख्स को 16 सितंबर को गिरफ्तार किया जिसने पार्किंग के नाम पर पैसे ज़्यादा वसूले थे।
पुलिस ने यहीं से मामले में संबंधित कंपनी के मालिक पार्किंग माफिया सरगना को बचाने की तरकीब निकालनी शुरू कर दी।7 सिंतबर2015 को दर्ज हुई एफ.आई.आर में आज़ाद मैदान पुलिस थाने ने 10 महीने बाद 13 जून 2016 को चार्जशीट दाखिल करते हुए बताती है कि पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि जिस शख्स को उन्होंने गिरफ्तार किया था वही शख्स 20 अगस्त2015 को पार्किंग के लिए तय की गई रकम 60 रूपए ज़्यादा लिया था और 7 सितंबर को जब उसे गिरफ्तार किया तो उसके जेब से ठीक18 दिन बाद पार्किंग के नाम पर वसूले गए 60 रूपए को बरामद किया है।पुलिस ने कार्रवाई की लेकिन पार्किंग के नाम पर वसूले गए वही60 रूपए बरामद करना यह एक सोची समझी मनगढ़त कहानी है ताकि इसकी आड़ से पार्किंग माफिया जगत के उस सरगने को बचाया जासके जो दक्षिण मुंबई में पार्किंग का गोरख धंधा चला रहा है और पुलिस ट्राफिक बीएमसी हर वह विभाग जमकर मलाई खाते हैं।
दरअसल पुलिस के ज़रिए ठीक 18 दिन बाद पार्किंग के नाम पर वसूले गए 60 रूपए जो कि अधिक थे उसे बरामद करने के पीछे की यही वजह मानी जाती है कि पुलिस पार्किग माफिया के उस सरगने को आकिर कैसे बचाए इसलिए यह फंडा इंस्तेमाल करते हुए पुलिस ने रिकवरी दिखाई ताकि पार्किंग माफिया को बचाया जा सके।
सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि इसी मामले में पुलिस ने लोकअदालत में मामले को छोटा बताते हुए सटलमेंट करने की प्रक्रिया भी पूरी की थी।ताज्जुब इस बात का की करोड़ों के फैले इस गोरख धंधे को पुलिस छोटा मानती है क्योंकि उससे उनकी दुकानदारी चलती है और जिस दुकानदारी में पुलिस की हिस्सेदारी होती हैं पुलिस उसमें आरोपियों को और उस गोरख धंधें मे शामिल सरगनाओं को पूरी तरह से बचाने की कोशिशि करती है।
मुबंई कमिश्नर आफिस के पास फैले पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली वाले अड्डे में मुंबईऔर मुंब्रा के वह लोग सक्रीय हैं जो कि अपराधिक गतिविधियों मे शामिल हैं। इस पार्किगं माफिया के पीछे मुंब्रा के एनसीपी नेता सय्यद अली का हाथ है इसी लिए मामला दर्ज होने के बाद सय्य्द अली ने शिकायतकर्त को काल कर के मामला रफा दफा करने के लिए कहा था।
दक्षिण मुंबई में 30 से ज्यादा पार्किंग स्टैंड हैं और इनमें कुछ को छोड़ कर सब गैर कानूनी हैं यानी बीएमसी ने इन्हें मुफ्त रखा है लेकिन पार्किंग माफिया और पुलिस की मिली भगत की वजह से इन सब जगहों से लोगों से पार्किंग के नाम पर जम कर वसूली की जाती है और आलम यह है कि पार्किंग की जो असल फीस है उससे कई गुना ज्यादा वसूलते है इनमें दक्षिण मुबंई के कई पुलिस थाने शामिल हैं जिनकी शह पर पार्किंग माफिया पार्किंग के नाम पर गोरख धंधा फैलाए हैं इस दौरान अगर कोई ग्राहक पार्किंग के के नाम पर वसूले गए अधिक पैंसो को लेकर किसी तरह से बहेस करता है तो पार्किंग माफिया उसे न सिर्फ मारते पीटते हैं बल्कि स्थानी पुलिस भी उसकी शिकायत नहीं सुनती।हालांकि पिछले पांच सालों में पार्किंग माफिया के खिलाफ़ दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान,एम.आर.ए मार्ग.कुलाबा जैसे पुलिस थानों में कई मामले दर्ज हैं लेकिन यह मामले पुलिस मजबूरी में दर्ज करती है।क्योंकि पार्किंग माफिया के जरिए पुलिस को जो मलाई खाने के लिए मिलती है वह इसी तरह से मामला न दर्ज करने के लए और उन्हें शह देने के लिए मिलती हैं।
पिछले साल मुंबई के एमआरए मार्ग में एक जज की गाड़ी पार्क होने की वजह से पार्किंग माफियाओं ने अवैध रूप से पार्किंग फीस वसूली और असल फीस कई गुना ज्यादा वसूली की।कुछ दिनों तक इलाके में माहौल गरम रहा लेकिन रात गी बात गई और पार्किंग माफिया फिर सक्रीय होगए।हालांकि पांच साल पहले ही एमआरडीए और बीएमसी ने पुलिस को इस बात की चेतावनी देते हुए पत्र लिखा था कि जो फ्लाइओवर है उनके नीचे भी पार्किंग बंद कराई जाए क्योंकि आतंकियों की नजर इस पर पड़ सकती है और वह पार्किंग की आड़ मे आतंकी साजिश को अंजाम दे सकते हैं और इसी बात क देख राज्य सरकार ने भी यह सरकुलर जारी कर मुंबई भर के फ्लाईओवर के नीचे पार्किंग स्टैंड बांद किए थे लेकिन आज भी पूरी मुंबई में यह गोरख धंधा अपने ओरूज पर है क्योंकि स्थानी पुलिस का इन्हें पूरा सहयोग है।
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