शाहिद अंसारी
मुंबई:अंजुमन इस्लाम के अंतर्गत अकबर पीरभाई कॉलेज के बग़ल में स्तिथ छोटा सोनापुर क़बरस्तान से सटे करोड़ों के इस मौदान को लेकर अंजुमन इस्लाम और जामिया क़ादरिया अशऱफिया के बीच अंदरुनी जंग छिड़ी हुई है। जामिया क़ादरिया अशऱफिया के अध्यक्ष मुईन मियां है जब कि अंजुमन इस्लाम के अध्यक्ष डॉ. ज़हीर काज़ी हैं।जो कि एक समय में दोस्त थे लेकिन इस विवाद के चलते दोनों संस्थाओं के बीच और संस्था के अध्यक्ष के बीच जंग शूरू हो गई है फिलहाल यह मामला औरंगाबाद वक्फ़ बोर्ड के समक्ष है।
जामिया क़ादरिया अशऱफिया ने अवैध रूप से अपना अधिकार जमाते हुए वक्फ़ बोर्ड से इसे रजिस्टर करवा लिया है और खुद की कमेटी भी बना ली।मामले की जानकारी कुछ महीने पहले जैसे ही अंजुमन इस्लाम के लोगों को हुई उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
Bombay Leaks के हाथ लगे कुछ दस्तावज़ों से पता चला कि इस जगह पर अंजुमन इस्लाम का कब्ज़ा लंबो समय से था इस जगह पर जामिया क़ादरिया अशरफिया द्वारा बनाई गई कमेटी के ज़रिए 4 मार्च 2015 को अर्जेंट बेस पर रजिस्ट्रेशन करवाया गया है।जिसके बाद तत्कालीन वक़्फ़ बोर्ड के सीइओ सय्यद एजाज़ हुसैन ने मुबंई की वक्फ़ बोर्ड की ऑफ़िस को आदेश जारी करते हुए 9 मार्च 2015 को इस जगह का पंचनामा किया और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने 11 मार्च 2015 के इसे औरंगाबाद वक़्फ़ बोर्ड मुख्यालय में जमा किया जिसके बाद सीइओ सय्यद एजाज़ हुसैन ने 12 मार्च 2015 को रजिस्ट्रेशन का आदेश जारी कर दिया।19 मार्च 2015 को जामिया क़ादरिया अशरफिया की तरफ से वक्फ़ बोर्ड को जो हलफनामा और रिपोर्ट पेश की गई है उसमें कमेटी में बतौर अध्यक्ष मुईन मियां हैं जबकि उनके भाई सय्यद अली को सेक्रेटरी,मुहम्मद असलम सत्तार लाखा को बतौर खजांची,मुईन मियां के दूसरे भाई हुसैन अशरफ और सय्यद हसन को बतौर ट्रस्टी और मुईन मियां के बहनोई सैय्यद मनाज़िर हसन को भी बतौर ट्रस्टी जाहिर किया।उसके साथ साथ एडोकेट यूसुफ अबराहनी के बेटे शहजाद अबराहनी भी बतौर ट्रस्टी हैं।मुईन मियां की ओर से जमा की गई इस लिस्ट में कुल 11 सदस्य हैं ।
इस बारे में मुईन मियां से जब बात चीत की गई तो उन्होंने बताया कि इस जगह का अंजुमन से कोई लेना देना ही नही है वह जगह छोटा सोना पुर कबरस्तान ट्रस्ट की है।और जो नोटिस वक्फ बोर्ड से आई है उस नोटिस में यह है कि इस मे पहले से एक ट्रस्टी था और आपने अपनी कमेटी कैसी बनाई है।मुईन मियां ने बताया कि उनके परिवार से 5 से 6 लोग हैं और हमें इस बात की गलत फहमी थी इसी लिए हम अंजुमन से इजाज़त लेते थे लेकिन जब गलत फहमी दूर हो गई कि अंजुमन से इस जगह का कोई लेना देना नहीं है हम ने वक्फ में अपना कब्ज़ा साबित कर चुके हैं अभी केस चलस रहा है।
ताज्जुब इस बात का कि जिस ज़मीन पर मुईन मियां अपने अधिकार और हक की बात कर रहें हैं और अपना कब्ज़े की बात कर रहे हैं वास्तव में वह जगह उनके कबज़े में कभी थी ही नहीं।करोड़ों की इस जगह पर एक लंबे समय से अंजुमन इस्लाम का ही कबज़ा था और इस पर मुईन मियां की संस्था जामिया कादरिया की तरफ से दो बार लिखित रूप में कार्यक्रम की अनुमति ली गई है।ताज्जुब इस बात का कि मुईन मियां अपने स्वार्थ के लिए अपने परिवार वालों के नाम के साथ घुसपैठ कर अपना हलफ़नामा वक्फ बोर्ड मे दाखिल कर इस जगह को रजिस्टर तो करवा लिया।लेकिन जैसे ही वक्फ के संज्ञान मे यह फर्जी वाड़ा आया उसके बाद से ही वक्फ़ ने नोटिस देकर मामले की सुनवाई शुरू कर दी।हालाकिं वक्फ बोर्ड की प्रमुख नसीम सय्यद ने कहा कि किसी भी जगह का वक्फ द्वारा रजिस्ट्रेशन करवाने से वह संस्था या वह शख्स उस जगह मालिक नहीं हो सकता।
दरअसल अंजुमन की इस जगह पर लंबे समय से अंजुमन का कब्जा है और अजुंमन इस्लान इस के लिए बाकायदा सराकरी टैक्स अदा करती है।लेकिन अंजुमन के अध्यक्ष ज़हीर काज़ी के निकम्मेपन और लापरवाही की वजह से अंजुमन के कब्जे की इस करोंड़ों की जगह पर मुईन मियां और उनके परिवार वालों ने अपना अधिकार जाहिर किया।क्योंकि मुईन मियां और जहीर काज़ी के पुराने संबंध हैं और यह संबंध किसी से छुपे नहीं है।यही वजह है कि जब ज़हीर क़ाजी से इस बारे मे बात की गई तो ज़हीर क़ाजी लगातार कन्नी काटते नज़र आए।यह भी संभव है कि भले ही जहीर क़ाजी अपनी कुर्सी बचाने के लिए लोगों में के बीच इस क़बज़े को लेकर अफ़सोस जताया है लेकिन सच्चाई यह है कि ज़हीर क़ाज़ी और मुईन मियां की मिली भगत से ही इस जगह पर कबज़ा मुईन मियां ने अपना और अपने परिवार का दिखाया।धर्म का चोला पहेन कर इस से पहले भी मुईन मियां के ज़रिए आज़ाद मैदान की हिंसा छुपी नहीं।धार्मिक जगहों को अपने स्वार्थ के लिए हड़प कर अपना अधिकार दिखाना यह मात्र एक तरफ से नहीं बल्कि ज़हीर क़ाज़ी ने इसके लिए उन्हें मौक़ा दिया कि वह इस पर क़बज़ा कर इस जगह को किसी मनचाहे बिल्डर से डेवलप करवाऐं।जिसमें धार्मिक और राजनीति के घिनौने चेहरों की भरमार है।फिलहाल मामले की सुनवाई वक्फ़ बोर्ड में चल रही है अब ऐसे मे लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं कि वक्फ बोर्ड का ऊंट आखिर इस मैदान में किस ओर करवट लेगा।
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