मुंबई:लखन भैया फर्जी एनकाउंटर मामले में महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका लगा।इस मामले में मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें सभी दोषी पुलिस वालों को छह महीने के लिए सजा से आजाद करने का फैसला लिया गया था।
जिन पुलिस वालों पर कोर्ट की गाज गिरी है उनके नाम कैदी नंबर सी-6089-दिलीप सीताराम पालांडे, कैदी नंबर सी-6094-नितिन गोरखनाथ सरतापे, कैदी नंबर सी-6095 गनेश अंकुश हारपुडे, कैदी नंबर सी-6086-आनंद बालाजी पाताडे, कैदी नंबर सी-6085-प्रकाश गनपत कदम, कैदी नंबर सी-6097-देवीदास गंगाराम सकपाल, कैदी नंबर सी-6087-पांडुरंग गनपत कोकम, कैदी नंबर सी-6083-रत्नाकर गौतम कांबले,कैदी नंबर सी-6096-संदीप हेमराज सरदार, कैदी नंबर सी-6082-तानाजी भाऊसाहेब देसाई, कैदी नंबर सी-6088 विनायक बालासाहेब शिंदे है।
मुंबई में 2006 में हुए लखन भैया फर्जी मुठभेड़ के मामले में कुल 21 लोग दोषी ठहराये गये थे।इन 21 लोगों में 13 पुलिस वाले थे।इनमें से दोषी 11 पुलिस वालों की सजा 6 महीने के लिए स्थगित कर दी गई थी।लेकिन मुंबई हाई कोर्ट नें अपना फ़ैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी।कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को कोर्ट के ज़रिए सुनाे गए फ़ैसलों में दख़ल देने का हक़ नहीं।
ध्यान रहे 11 नवंबर 2006 की शाम को मुंबई पुलिस ने दावा किया था कि अंधेरी के नाना नानी पार्क के पास उन्होंने खूंखार गुंडे को मुठभेड़ में मार गिराया।लेकिन दूसरे दिन ही लखन के भाई राम प्रसाद गुप्ता ने प्रेस के सामने दावा किया कि उनका भाई मुठभेड़ में नहीं मरा है बल्कि उसे नवी मुंबई से अगवाकर पहले मुंबई ले जाया गया बाद में हत्या कर एनकाउंटर की फर्जी कहानी गढ़ी गई।इस एनकाउंटर के पीछे तत्कालीन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा का हाथ था लेकिन मुबंई सेसन कोर्ट ने उन्हें प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया था जबकि बाकी पुलिस वालों को सज़ा सुनाई थी।स सज़ा के बाद हाल ही में राज्य सरकार नें 6 महीने के लिए कई शर्तो के साथ उनकी सज़ा स्थागित की थी लेकिन आज मुंबई हाई कोर्ट ने उसपर रोक लगा दी।
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